लड़ाई – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

अरे! आज फिर कूड़ा डाल दिया मेरे अहाते में? जया गुस्से में बड़बड़ाई..ये मालिनी भी न जाने कब मैच्योर होगी?

मम्मी!मालिनी आंटी हमसे चिढ़ती हैं,हमेशा नज़र लगाती हैं हमारी खुशियों पर और जब तब चोरी छिपे ये

ओछे काम करती रहती हैं।

श्वेता बोली।

नहीं ..अब मैं और चुप नहीं रहूंगी..आज उसको समझा के ही रहूंगी,ऐसे तो इसके हौसले बढ़ते ही जाएंगे। जया

गुस्से में थीं आज।

मालिनी! मालिनी!वो तेज तेज सुर में आवाज़ देने लगी उसे।

तभी मालिनी घर से बाहर निकली..क्यों जया दीदी!आज फिर घर में लड़ाई हुई जीजाजी से जो गुस्से में लाल

पीली हो रही हो?

मेरी क्यों लड़ाई होती उनसे,तुम्हारे कारनामे से परेशान हूं…कुछ पन्नी,पेपर उठाकर उसकी तरफ फेंकते वो

बोली..लो! अपनी नेमतें खुद संभालो।

मालिनी गुस्से से आग बबूला होते बोली,आपने देखा मुझे ये फेंकते हुए? मैं इज्जत से बात कर रही हूं और

आप लिमिट क्रॉस कर रही हैं।

लिमिट तुम क्रॉस कर रही हो मालिनी..न जाने तुम्हें मुझसे मुंह मोड़ने में क्या संतुष्टि मिलती है?मैंने तुम्हें हमेशा

माफ कर दिया लेकिन अब और नहीं!!

आप तो सीधे आरोप ही लगा रही हैं,भूल गई पिछले हफ्ते आपने हमारे घर में अपनी चूहेदानी से चूहा छुड़वा

दिया था,कितनी गिरी हुई हरकत की आपने और अब जरा से पन्नो से चीख पुकार लगा रखी है।

जरा से पन्ने??यानि तुम अपनी गलती कुबूल करती हो?और ये जरा से हैं?इतनी साफ जगह गंदगी फैलाते

तुम्हारे हाथ नहीं कांपे?

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मालिनी की छोटी बिटिया रिशा उसका साड़ी का पल्लू पकड़ते बोली…मां! अंदर चलो न!क्यों लड़ाई कर रही

हो?

लड़ाई मैं नहीं कर रही बल्कि ये कर रही हैं!उम्र में बड़ी हैं तो कुछ लिहाज तो करें ..

 

रिशा को अच्छा नहीं लग रहा था अपनी मां मालिनी का इस तरह झूठ बोलना क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले

उसने ही जया मौसी के साफ अहाते में पूरा डस्टबिन पलटा था।

उसे समझ नहीं आता था कि उसकी मां, पड़ोस वाली आंटी का इतना तिरस्कार क्यों करती थीं?

उसी रात,देर रात उसकी मां अपने फोन पर किसी से चैटिंग कर रही थी…

मां!किससे बात कर रही हो?रिशा बोली।

ये मेरी फोन फ्रेंड है..देवयानी!बड़ी अच्छी है और हमेशा भली सलाह ही देती है।

दिखाओ कैसी दिखती हैं ये?रिशा ने उनका चेहरा देखना चाहा।

उन्होंने अपनी डी पी में भगवान कृष्ण की फोटो लगाई है,शक्ल तो मैं भी नहीं जानती उनकी कैसी है?पर

स्वभाव बहुत अच्छा है।

कमाल है!आप कहती हो कि ये आंटी काफी समय से आपकी फोन फ्रेंड हैं और आपस में मिले नहीं

कभी,एक दूसरे की शक्ल भी नहीं जानते?

तो क्या हुआ? मैंने भी उन्हें अपना नाम नैना बताया है…मालिनी बोली,वो राय तो हमेशा अच्छी देती हैं…मैंने

पूछा था कि मेरी पड़ोसी मुझसे बहुत लड़ती हैं तो बोली…कोई बात नहीं..मुंह कितना ही मोड़ना उनसे लेकिन वैर

भाव मत रखना मन में कभी…थोड़ी बहुत खटपट से जिंदगी का मजा बना रहता है पर हद मे रहकर ही।

तो आपने मानी उनकी बात?

खोखली होती जड़ें -लतिका श्रीवास्तव

मैंने कहा कि आप मेरी पड़ोसन को नहीं जानती,वो बहुत दुष्ट है,अहंकारी कहीं की!फिर वो अचानक चुप हो

गई।

रिशा सोचने लगी..मां भी अजीब ही हैं…लड़ाई भी करनी है और हद भी बनाए रखनी है..क्या डॉक्टर ने बताया है

कि पड़ोसी से लड़ो नहीं तो खाना हजम नहीं होगा।फिर अपनी दोस्त की सलाह भी नहीं सुनती ये तो।

तभी मालिनी का फोन बज उठा…ओह शैतान का नाम लिया और शैतान हाजिर!ये जया मुझे क्यों फोन कर

रही है इस वक्त?

रिशा के कहने पर मुश्किल से मालिनी ने फोन उठाया,उधर से घबराई हुई श्वेता की आवाज आई..

आंटी!आप जल्दी से आ जाओ..न जाने मम्मी को क्या हो गया है?

पापा को बताओ अपने,मुझे क्यों कह रही हो?मालिनी गुस्से से बोली।

पापा आउट ऑफ स्टेशन हैं..प्लीज आंटी!हेल्प अस…उसने प्रार्थना की।

रिशा सुन चुकी थी तब तक…अभी आप कह रही थीं कि आपकी फ्रेंड देवयानी हमेशा अच्छी राय देती हैं,उनसे

पूछ लें।

लेकिन अब वो बीस मिनट से ऑफ लाइन है..मुझे नहीं जाना,भुगतेगी अब खुद वो घमंडी!

लेकिन मां!एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी की मदद नहीं करेगा,उससे मुंह मोड़ेगा तो कैसे चलेगा?

चल !तू कहती है तो देखती हूं चलकर पर दिल नहीं हैं मेरा।

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थोड़ी देर में,मालिनी जया के बेडरूम में थी,उसकी बेटी श्वेता घबराई हुई थी,उसने डॉक्टर को भी कॉल की थी

जिनके आने में अभी वक्त लगता।

मालिनी ने जया को बहुत झिझोड़ा,हिलाया पर शायद वो नहीं रही थी अब।

मालिनी की आँखें भर आई…बेवजह मैं इनसे कितना लड़ती रही,बताओ!अब ये दुनिया ही छोड़ गई.. धिक्कार

है मुझ पर।

तभी उसने श्वेता से पूछा..ये कब और कैसे हुआ?

श्वेता बोली,मम्मी!मोबाइल पर चैटिंग कर रही थीं ,अचानक उनकी तबियत खराब हो गई।

दिखाओ..क्या चैटिंग कर रही थीं?उत्सुकता से मालिनी बोली।

मालिनी के होश उड़ गए जब उसने देखा कि जया दीदी कोई और नहीं उसकी फोन फ्रेंड देवयानी ही थीं और

जब उसने उन्हें घमंडी और अहंकारी कहा तो उनके दिल पर बहुत चोट लगी,शायद इस बात के आघात ने ही

उनका हार्ट फेल्योर करा दिया?

मालिनी की आँखें भर आई और उसे पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ कि वो अपनी देवयानी

दीदी की भी बात कहां सुनती थी?दरअसल आज उसके बुरे व्यवहार ने उनकी जान ले ली।उसे दुख था कि

जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता तब भी हम अपने रिश्तेदारों,पड़ोसियों से मिलजुल कर नहीं रहते,उनसे मुंह

मोड़ते हैं और समाज में उपद्रव फैलाते हैं।

 

समाप्त

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

वैशाली,गाजियाबाद

#मुंह मोड़ना(तिरस्कार करना)

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