क्यों ना करूं अपनी किस्मत पर नाज – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

कहां मर गई सीमा सौतेली मां ने कर्कश आवाज में कहांl यह बर्तन पड़े हुए हैं उन्हें कौन साफ करेगाl

अपने हाथ में ली हुई किताब तकिए के नीचे छुपा कर सीमा चुपचाप जाकर बर्तन साफ करने लगी l बर्तन साफ करके हाथ सुखा रही थी कि उसकी मां विमला देवी ने फिर से आवाज लगाई यह कपड़े कौन धोएगा l सीमा तुरंत कपड़े धोने लगी और फिर उसने भैंस के नीचे का गोबर भी साफ किया l

सब काम करने के बाद सीमा बोली मां अब मैं अपने स्कूल जाऊं l विमला देवी बोली स्कूल जाकर कौन सी नौकरी करनी है तेरे लिए कौन सी कुर्सी खाली है घर का काम ही तो करना है l सीमा चुप रही l सीमा की दादी यह सब देख रही थी पर कुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि घर मैं विमला देवी की ही चलती थी l

विमला देवी का सीमा के प्रति दुर्व्यवहार देखकर उन्हें सीमा की मां की याद आने लगी जो सीमा को 6 माह की छोड़कर स्वर्गवासी हो गई थी l वह बहुत सीधी शादी और सुशील थी और उनकी सेवा भी खूब करती थी l

सीमा का पालन पोषण दादी ने किया l सीमा सीमा की उम्र 5 साल की थी तब रिश्तेदारों के दबाव में आकर उसके पिता रघुनाथ जी ने दूसरी शादी कर ली l क्योंकि उसकी दादी की भी उम्र हो गई थी उनसे घर का पूरा काम नहीं होता था l

घर पर खेती-बाड़ी का काम और एक भैंस भी थी उसे भी संभालना पड़ता था l 1 साल तक तो विमला देवी शांति से रही उसके बाद उन्होंने सीमा को परेशान करना शुरू कर दिया l घर के सभी काम उसी से करवाती और खाने को रुखा सुखा ही देती पति के सामने प्यार का दिखावा भी करती और खाने को भी अच्छा-अच्छा देती l

लेकिन सीमा कभी किसी से कोई शिकायत नहीं करती हमेशा मुस्कुराती रहती l उसके पिता उसे पढ़ना चाहते थे इसलिए विमला देवी स्कूल जाने से सीमा को नहीं रोक पाती थी l

सीमा अपनी क्लास में पहले नंबर पर थी दिन में घर का काम करती और रात में पढ़ाई करती और जिस दिन स्कूल नहीं जा पाती सहेलियों की कॉपी से होमवर्क कर लिया करती l

सीमा इस वर्ष इंटर में पढ़ रही थी बड़ी होने के कारण अब छोटे भाई की देखभाल भी उसे करनी पड़ती थी l

सीमा ने दसवीं क्लास में प्रथम श्रेणी में पास की थी l रघुनाथ जी अपनी बेटी की काबिलियत पर खुश होते थे और विमला देवी मुंह बनाती थीl क्योंकि उन्हें लगता था की सीमा ज्यादा पड़ेगी तो लड़का भी पढ़ा लिखा देखना पड़ेगा और दहेज भी देना पड़ेगा l

इंटर की क्लास थी इसलिए सीमा ने रात-रात भर जाग कर पढ़ाई की और उसकी मेहनत रंग लाई वह इंटर में भी प्रथम श्रेणी में पास हो गई l

रघुनाथ जी की इच्छा सीमा को आगे बढ़ाने की थी l परंतु एक दिन उनकी पत्नी उनसे बोली की लड़की सयानी हो गई है उसकी शादी नहीं करनी है आप चुप लगा कर बैठे हैं कहीं लड़का तो देखिए l

रघुनाथ जी बोले कि मैं रिश्तेदारों से कह रखा है की कोई अच्छा लड़का हो तो बताएं l

जब विमला देवी बाहर चली गई तो रघुनाथ जी से उनकी मां बोली की बेटा ऐसा घर देखना जिसमें मेरी बेटी सुखी रहे उसने बहुत दुख झेले हैं l वे बोले अम्मा ऐसा ही देखूंगा l

कुछ दिन बाद एक रिश्तेदार का फोन आया की पास के गांव में एक लड़का है आप जाकर देख ले पिता आर्मी से रिटायर है और लड़का एयर फोर्स में सेलेक्ट हो गया है l

दूसरे दिन रघुनाथ जी तैयार हुए तो पत्नी बोली कहां जा रहे हैं वह बोल सीमा के लिए लड़का देखने जा रहा हूं l

पास में रामपुर गांव है लड़का वहीं पर देखना है l विमला जी मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी की जल्दी शादी तय हो जाए जिससे सीमा से पीछा छूट जाए l

रघुनाथ जी रामपुर लड़के के घर पहुंचे तो देखा कि वह उनके पुराने मित्र का घर है वह अंदर पहुंचे तो उनके मित्र बड़े प्यार से उनसे गले मिले l उन्होंने रघुनाथ जी से पूछा की कैसे आना हुआ रघुनती हाथ जोड़कर बोले की लड़की का पिता हूं आपके बेटे को देखने आया हूं वे समझ गए l उन्होंने बड़े आदर से रघुनाथ जी को बिठाया और चाय नाश्ता कराया अपने बेटे को बुलाकर परिचय कराया l

उनका बेटा बहुत सुशील और अनुशासित लग रहा था रघुनाथ जी ने लड़के से थोड़ी बात की और फिर अपने मित्र से बोले की लड़का नौकरी पर लग गया है अब तो तुम्हारी अच्छी मांग होगी l

वह बोले वह औरों के लिए है तुम्हारी बेटी भाभी जी की तरह सुशील और संस्कारी होगी और सुंदर भी होगी मुझे इतनी अच्छी बहू मिल रही है फिर मुझे क्या चाहिए l भगवान का दिया मेरे पास सब कुछ है l मेरा बेटा भी सामाजिक और संस्कारी है वह मेरी बात जरूर मानेगा l

यह सुनकर रघुनाथ जी गड़बड़ हो गए और अपने मित्र से बोले कि आजकल के समाज में ऐसे काम ही लोग देखने को मिलते हैं l

दोनों मित्र बहुत दिन बाद मिले थे तो बहुत देर तक बातें करते रहे और फिर लड़के के पिता बोले कि आप निश्चिंत रहें l रघुनाथ जी अपने घर चले गए l

घर पहुंच कर उन्होंने सभी को यह खुशखबरी सुनाई और कुछ दिन बाद की शादी की तारीख में निकल वाली l

शादी की तैयारी होने लगी और सीमा भी खुश होकर अपना काम कर रही थी जब शादी का दिन आया वह लाल जोड़े में बिल्कुल परी लग रही थी l एक की बात एक शादी की रस्में हो रही थी l सुबह सीमा की विदाई हुई वह रघुनाथ जी से और अपनी दादी से मिलकर बहुत रोई मां से मिली लेकिन विमला जी को कोई दुख नहीं था l

थोड़ी देर में ही सीमा ससुराल पहुंच गई वहां उसका भव्य स्वागत किया गया l वहां के रीति रिवाज पूरे किए गए l सीमा बहुत सुंदर थी घर के सभी लोगों से देखकर बहुत खुश थे और सभी का उसे खूब प्यार मिल रहा था l उसके पति अविनाश भी बहुत खुश थे l

कुछ दिन ससुराल में रहने के बाद सीमा अपने मायके आ गई जेवरों से लदी हुई बहुत सुंदर लग रही थी l गांव की सभी औरतें उसे देखने के लिए उतावली हो रही थी l

सीमा की सभी सहेलियां मुझसे मिलने आई और कहने लगे की सीमा तुम्हारी तो किस्मत खुल गई तुम्हें तो अपनी किस्मत पर गर्व करना चाहिए l

सीमा बोली क्यों ना करूं अपनी किस्मत पर नाच l सब कुछ मुझे मेरी किस्मत से ही तो मिला है l

सुंदर नौकरी वाला पति धनी ससुराल ससुराल के सभी लोग प्यार करने वाले और आरामदायक जीवन जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था क्यों ना करूं अपनी किस्मत पर नाज l

स्वरचित 

अप्रकाशित 

बिंदेश्वरी त्यागी बरहन आगरा 

#क्यों ना करूं अपनी किस्मत पर नाज

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