क्यों अशांति फैलाते हो – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

क्यों अशांति फैलाएं हुए हैं तुम लोग इस घर में कितनी शांति से जीवन बीत रहा था हम दोनों का जबसे तुमलोग आए हो रोज कुछ न कुछ बबाल मचा रहता है। मोहिनी जी आज बहू मुक्ता और बेटे अमित पर चिल्ला पड़ी।

                घर में मोहिनी जी और उनके पति राघवेन्द्र जी का हंसी खुशी से जीवन बीत रहा था ।एक बेटा था अमित जो हैदराबाद में नौकरी करता था। दरअसल मुक्ता और अमित की लव-मैरिज थी ।करोना के दो महीने पहले ही शादी हुई थी। मोहिनी और पति राघवेन्द्र इस शादी को तैयार न थे । लेकिन दोनों एक ही आफिस में काम करते थे।

धीरे धीरे दोनो के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी और फिर दोनों ने शादी करने का निर्णय लिया ।अमित ने घर में मोहिनी जी को कुछ नहीं बताया था पहले से फिर एक दिन अचानक से फोन करके कहने लगा मम्मी मुझे मुक्ता से शादी करनी है ।कौन मुक्ता? वो मेरे आफिस में मेरे साथ ही काम करती है ,पर बेटा खानदान कैसा है परिवार वालों को भी नहीं जानते ये सब भी तो देखना पड़ता है।

परिवार खानदान के साथ थोड़े ही रहना है मुझे अमित बोला मुझे तो मुक्ता के साए रहना है।पर तेरे पापा ? वो आप बात कर लो उनसे।

            आज जब राघवेन्द्र जी से बात की मुक्ता ने तो उन्होंने साफ साफ मना कर दिया।न परिवार वालों से मिले न मां बाप से मिले ऐसे कैसे  शादी कर दें । लेकिन अमित जिद पर ही अडा रहा कि मुझे मुक्ता से शादी करनी है। आखिर में हार मान ली मोहिनी और राघवेन्द्र जी ने और अमित की शादी हो गई।

             शादी के एक हफ्ते बहू और बेटा तो दोनों घर पर ही रहे और फिर हैदराबाद चले गए। यहां रहकर भी मुक्ता बस कमरे में ही पड़ी रहती ।जब मोहिनी जी नाश्ता खाना बना लेती तो बस नीचे आकर खाकर फिर ऊपर चली जाती ‌‌‌‌‌‌नीचे कोई काम है रसोई से कुछ हटाना बढ़ाना है कोई मतलब नहीं। एक हफ्ते बाद दोनों चले गए मोहिनी ने भी उस समय कुछ नहीं कहा कि अभी दिन ही कितने हुए हैं ।नई नई शादी है ।

                      लेकिन दो महीने बाद ही करोना आ गया और सबको अपने अपने घर भागना पड़ा।अमित और मुक्ता भी अपने घर आ गए । कुछ दिन तो घर से दोनों का आफिस का काम चलता रहा लेकिन मुक्ता की कुछ समय बाद नौकरी चली गई।उस समय बहुत लोगों के साथ ऐसा हुआ। मोहिनी जी दिनभर बहू बेटे के लिए खाना नाश्ता करती बाकी सब व्यवस्था ऐ देखती लेकिन मुक्ता बिल्कुल भी किसी काम में हाथ न लगाती ।दिनभर ऊपर कमरे में मोबाइल लेकर पड़ी रहती ।अमित कुछ कहता तो लड़ाई झगडे होते ।

             एक दिन मोहिनी जी को बुखार आ गया और वो सुबह उठी नहीं बस पड़ी रहीं ।जब 12 से गए तो अमित नीचे आया क्या मम्मी अभी तक नाश्ता नहीं बना।देखा तो रसोई बंद पड़ी थी और मां लेटी थी। क्या हुआ मम्मी नाश्ता नहीं बनाया क्यों लेटी हो । थोड़ी तबियत ठीक नहीं है बेटा बुखार लग रहा है । अच्छा सुन मुक्ता से कह दे कुछ नाश्ता बना दे और खाना भी ।अमित ऊपर गया तो मुक्ता से बोला मम्मी को बुखार है जाओ नीचे नाश्ता बनाओ और खाना भी । मैं , मुक्ता बोली हां तुम ,जब मम्मी 

बीमार है तो तुम्हीं बनाओगी न। नहीं मैं नहीं बना सकती , मुझसे न होगा ऐसा करो कुछ आडर्र कर दो बाहर से । अरे करोना चल रहा है बाहर से कहां से आएगा ।वो किसी तरह नीचे आई मुझसे नहीं होता ये सब काम खाना वाना बनाना मुझे अच्छा नहीं लगता। राघवेन्द्र जी दूसरे कमरे में बैठे थे सब सुन रहे थे बोले अच्छा बनाना नहीं अच्छा लगता लेकिन खाना अच्छा लगता है ।तो क्या मैं खाना बनाने के लिए आई हूं ,तो क्या यहां कोई तुम्हारा नौकर बैठा है क्या जो दिनभर तुम्हें बना बना कर देता रहे ।

राघवेन्द्र जी को गुस्सा आ गया और वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगे अमित, अमित नीचे आ देखो तुम्हारी बीबी क्या कह रही है ।बस सबकुछ दिनभर बना बनाया मिल गया बस खा पीकर पड़ी रहो,तुम्हारी मां नौकरानी है क्या।वो इस शादी से तो वैसे भी नाराज़ थे मुक्ता की ऐसी बातें सुनकर और गुस्से में आ गए।जाओ तुमलोग यहां से अपने घर,इस घर में जगह नहीं है तुम लोगों के लिए। लेकिन पापा हम लोग कहां जाएंगे सबकुछ बंद है रेलगाड़ी , यातायात के सब साधन बंद है कैसे जाएंगे। लेकिन इस तरह से तो नहीं चलेगा ।

काम तो तुम्हारी बीबी को करना ही पड़ेगा।जब मैं मना कर रहा था शादी के लिए कि थोड़ा घर परिवार तो देखने दो तो शादी के लिए उतावले हुए जा रहे थे अब भुगतो ।और नहीं तो ऊपर के हिस्से में अपना रसोई अलग कर लो और अपना खाना पीना बनाओ । मां की भी तुम्हारी उम्र हो रही है सारा दिन लगी रहती है समझ नहीं आता । नहीं बनेगा नीचे खाना मोहिनी सिर्फ मेरा और अपना बनाएगी बस ।

                    अब अमित और मुक्ता में भयंकर तू,तू मैं मैं शुरू हो गई।शोर से कान फटे जा रहे थे मोहिनी के । उठकर बाहर आई अच्छा अच्छा शांत हो जाओ तुम लोग। लोगों के घर बहुएं आती है तो खुशहाली आती है लेकिन हमारे यहां तो अशांति फैल गई है। फिर मोहिनी जी ने दवा ली और थोड़ी देर में खिचड़ी बनाई फिर सबने खाया।

               दूसरे दिन अमित और मुक्ता को नीचे आने की हिम्मत नहीं हो रही थी क्योंकि पापा ने कहा दिया था ऊपर बनाओ । अभी तक तो सब बना बनाया मिल जाता था आराम से पड़े रहते थे। फिर अमित ने मुक्ता को समझाया देखो मुक्ता करोना पता नहीं कब तक रहेगा और हम लोगों को पता नहीं कब तक यहां रहना है ।और कोई ठिकाना नहीं है कहां जाएंगे।देखो अगर ऊपर बनाना पडा तो सबकुछ तुम्हारे ऊपर पड़ जाएगा।

जाओ नीचे थोड़ा मम्मी का हाथ बंटाओ, नहीं आता तो सिखों । मेरा तो आफिस का काम है तुम्हारा तो आफिस भी नहीं है। ऐसे कैसे चलेगा। मुक्ता चुपचाप सुन रही थी लेकिन नीचे जा नहीं रही थी। मुक्ता, मुक्ता कुछ सुन रही हो कि नहीं , फिर बड़े गुस्से में बोली हां सुन रही हूं ।तो जाओ नीचे और देखो मम्मी क्या नाश्ता बना रही है उनकी मदद करो ।

                     देखो मुक्ता मम्मी ऐसी नहीं है कि सारा काम तुम पर छोड़ देंगी वो तो वैसे भी बहुत काम करती है। थोड़ा उनके साथ लग जाओ ऊपर के काम भी बहुत होते हैं । फिर धीरे-धीरे सीख जाओगी । मुक्ता उठी और गुस्से में पैर पटकते नीचे आ गई फिर अपने गुस्से को दबा कर बोली क्या नाश्ता बनना है मम्मी ,।पोहा , पोहा बनाना आता है अच्छा चलो मेरे सामने बनाओ मैं बताती  जा रही हूं तुम बनाओ । मोहिनी जी ने माहौल को थोड़ा हल्का करना चाहा ।

                 ऐसे ही मोहिनी रोज ही कुछ न कुछ नया सिखाती बड़े सब्र और प्यार से देखो ये ऐसे बनता है ये वैसे बनता है ।बस थोड़े धैर्य की जरूरत है सब सीख जायेगी थोड़े दिन में। मोहिनी जी सोचने लगी जो भी कर रही है ठीक है अब पूरा काम तो नहीं कर सकती अभी थोड़ा थोड़ा ही सही कुछ तो मदद हो रही है ।अब रोज रोज की किचकिच से अशांति की जगह शांति से काम निपट जाए तो भी अच्छा। मोहिनी जी को थोड़ा तो आराम मिलने लगा।

               ऐसे ही काम करते करते मुक्ता का थोड़ा मन लगने लगा काम में और कुछ कुछ सीख भी गई थी।आज शाम को मोहिनी जी मोहल्ले में सुंदर काण्ड के पाठ में गई थी वहां देर हो रही थी तो घर के खाने की चिंता होने लगी । मोहिनी जब घर आई तो देखा मुक्ता ने आलू टमाटर की सब्जी और पराठें बनाए हैं । मोहिनी जी बहुत खुश हुई कि चलो आज बनाना नहीं पड़ा कम से कम बना बनाया खाना तो मिलेगा। हमेशा खुद ही बनाओ तो खाओ।

              मोहिनी जी ने मुक्ता के सिर पर हाथ फेरा बहुत अच्छा बेटा तुमने सीखने की कोशिश की तो देखो आ गया न बहुत बढ़िया।अपनी तारीफ सुनकर मुक्ता मोहिनी जी के गले लग गई।अब सबकुछ सीखा देना मम्मी मुझे , हां हां क्यों नहीं परफेक्ट कुक बना दूंगी और दोनों जोर से हंस पड़ी ।

दोस्तों बहुत से घरों में ऐसा है जहां बेटियों को कोई काम नहीं सिखाया जाता । बड़े लाड़-प्यार से रखा जाता है ।लाड़ प्यार करें लेकिन अपना और घर का काम जरूर सिखाएं नहीं तो बहुत मुश्किल आती है ।

धन्यवाद 

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

20 जुलाई

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