क्या अपने सगे भी करते ऐसा धोखा….? – रश्मि प्रकाश 

सीता कुंज में आज बहार थी… घर के इकलौते चिराग़ की शादी जो होने वाली थी…. हल्दी, संगीत सब ख़ूब धूमधाम से हुआ….चारबहनों के इकलौते भाई की शादी जो थी… सबने मनपसंद कपड़े पहने हुए थे… साज सजावट देखते बन रही थी… आज शादी का दिनऔर बारात बड़ी धूमधाम से निकली… सब खूब मस्ती कर रहे थे…. दूल्हे मयंक  के मन में अपनी दुल्हन को देखने की ललक बढ़ती जारही थी….होना भी लाजिमी था क्योंकि दूल्हे ने इसके पहले बस तस्वीर ही देखी थी। 

चार बहनों के इकलौते भाई के लिए पहले ही बहनों ने कह दिया था,‘‘ देख छोटे तूने कोई  अपनी पसंद की खोज रखी है तो बता दें नहींतो इकलौती भाभी हम ही लेकर आएंगे।”प्यारे दुलारे भाई ने आँख बंद कर सहमति दे दी पर कह दिया था,‘‘ दीदी आप खोज लो परखोजना ऐसी कि चार लोगों के सामने अच्छा व्यवहार करना जानती हो…आप सबको दिल से अपनाए और इज्जत करे।”

बहनों ने अपने माता पिता के साथ मिलकर लड़की पसंद कर ली। सगाई की रस्म उनके यहां नहीं चलती थी तो वो भी नदारद ही रहा।बस लड़के ने भी सोच लिया बहनों ने खोजी होगी तो पक्का मेरे टक्कर की ही होगी।

नियत समय पर दरवाजे पर बारात लगी। 

होने वाले सास ससुर ने बड़े जतन से दामाद को तिलक लगाया। दुल्हन कंचन के भाईयों ने गोद में उठा कर मयंक को स्टेज तक ले गए।ये सब देख मंयक बड़ा गदगद हो रहा था ….हो भी क्यों ना इतना मान सम्मान जो मिल रहा था।

तभी दूर से दुल्हन के आने की हलचल हुई। जल्दी से स्टेज खाली करवाया गया।कंचन का खूबसूरत लहंगा मेकअप देख पूरे पंडाल मेंचारों तरफ चर्चा चलने लगी कि दीवान साहब ने जरूर कुछ पुण्य किए होंगे जो ऐसी बेटी को हीरे सा दामाद मिल गया।

दुल्हन के बढ़ते कदमों के साथ साथ मयंक की दिल की धड़कन भी बढ़ने लगी थी। ज्यों ज्यों कंचन समीप आ रही थी मंयक व्याकुलहोता जा रहा था।

सखियों से घिरी कंचन की झलक देख कर एक बार मंयक अपने सिर  को झटका दे कर फिर उस ओर अपनी नजर दौड़ाई, इतनी मोटीऔर सूरत से भी साधारण सी लगने वाली कंचन के साथ उसकी बहनों ने रिश्ता तय कर दिया। वो चाह रहा था सिर पीट ले पर समाजके लिए और परिवार की इज़्ज़त देख चुप रह गया।

जयमाल के साथ ही उसके खिले चेहरे पर पौ बारह बज चुके थे।जयमाल के बाद शादी  की रस्मों से पहले  कुछ देर के लिए वो एककमरे में बैठ कर सोचने लगा, ‘‘मेरी अपनी बहनों ने ऐसा क्या देखा इसमें जो मेरे लिए चुना….कितने भरोसे से बोला था अच्छी लड़कीदेखना कम से कम अपने जैसी ही देख लेती पर ये तो….’’

तभी कमरे में सभी बहनें आई और पूछी,‘‘ अच्छी लगी ना?‘‘

‘‘ आपको ये अच्छी लगी???और ये तो तस्वीर वाली लड़की है भी नहीं? आप सबने मिलकर मेरे साथ धोखा क्यों किया ,जिसमें मेरीजिन्दगी दांव पर लगा दी…लड़की मुझे बिल्कुल पसंद नहीं….मुझे नही करनी ये शादी…..कान खोल कर सुन लो आप सब।‘‘ गुस्से मेंमयंक ने कहा



तभी बड़ी बहन ने कहा,‘‘ अब तो शादी करनी पड़ेगी….ये लोग बहुत पैसे दे रहे हैं…अरे लड़की का क्या है गांव की है शहर में रहेगी तोदेखना एक दम बदल जाएगी….अभी मना करने से बहुत बदनामी होगी।‘‘ 

बहनों के मनुहार और माँ बाप की इज्ज़त का सोच मंयक  कंचन को ब्याह कर घर ले आया।

पर कहते हैं ना ज्यादा पैसा हो तो सिर चढ़ कर बोलता !!ऐसा ही कंचन के साथ था। पैसे के घंमड में चूर वो किसी को कुछ समझती हीनहीं थी। ससुराल में सबका जीना हराम करने लगी। कोई कुछ बोले तो धौंस अलग की पैसे देकर यहाँ आई हूं तुम लोगों की औकात हीक्या है जो मुझे कुछ बोलो। मयंक तो कंचन से दो गज की दूरी पर ही रहता जिसका कंचन को कोई अफसोस भी नहीं था। माँ बाप नेबेटी के रूप में शायद बला ही टाल दिया था।

उसके गांव के कुछ लोग इनके पहचान के भी थे जो एक दिन मयंक को मिल गए बातों बातों में पता चला “लड़की के लक्षण शुरू सेठीक नहीं थे आप कैसे ब्याह को राजी हो गए समझ नहीं आया ? ये कंचन तो किसी के साथ भाग भी गई थी जैसे तैसे मना कर लाए सबइसलिए तो इतना तिलक दहेज देकर शादी किए  दीवान साहब नहीं तो आस पास के गाँव घर में लड़कों की कमी नहीं है जो दूर शहर केलड़के संग बाँध दिए।बबुआ बहुते कहे रहे तोहार बापू के ना करो हिया ब्याह पर वो हम लोगन के एक ना सुने।देखो बबुआ ध्यान रखनाकाहे कि तुम हमको पहले मिले होते तो बता ही देते सब सच।”

मंयक कुछ नहीं बोल सका समझ गया सब पैसे की महिमा में उसकी बलि चढ़ा दिए हैं ।

अब मयंक ने ठान लिया कि इसके साथ रहकर अपनी जिन्दगी बर्बाद नहीं करूंगा।

उसने कंचन से साफ साफ कह दिया कि वो इस शादी को नहीं मानता। तुम चाहो तो तलाक ले सकती हो।

कंचन आसानी से तलाक़ देने वालों में नहीं थी।नकचढ़ी और बिगड़ैल लड़की से अच्छे की उम्मीद करना गलत ही होगा।

उसने सब पर बहु को प्रताड़ित करने का आरोप लगा कर जेल तक भिजवा दिया ।कंचन के पिता ने भी पैसे का रूआब दिखाया औरबोले अब मेरी बेटी वही रहेगी चाहे कुछ कर लें।

बहुत बुरे दौर से गुजर कर मयंक के परिवार वालों को समझ आया कि पैसे के लालच में बेटे की जिन्दगी तो बर्बाद किए हैं अपनी भीबदनामी अलग करवा लिए। जिन बहनों ने मन्नत से भाई को पाया था उसकी खुशियों पर ग्रहण लगा दिया। एक भरोसे ने मंयक कीजिन्दगी बर्बाद कर दी।

सारे रिश्ते बिखर गए।

देर से ही सही मंयक के परिवार वाले बाहर आ गए। तलाक भी हो गया क्योंकि कंचन ने कभी भी इस परिवार को अपना समझा ही नहींवो ना सूरत से अच्छी था ना सीरत से।

समय पंख लगाकर उड़ने लगा मयंक ने फिर से अपनी नौकरी पर जाना शुरू किया और एक समझदार जीवनसाथी के रूप में लावण्याको पा लिया। हाँ बहनों के लिए मैल कम नहीं कर पाया क्योंकि जब एक बार भरोसा टूट जाता है तो उसकी कसक जिन्दगी भर रहती है, उपर से बस एक मुखौटा जरूर लग जाता।

कंचन अपने पीहर बैठकर पैसा पैसा कर रही।

दोस्तों ये सच है कि हम हमेशा लड़के के परिवार को तिलक दहेज लेने के लिए दोषी करार देते है पर कहीं कहीं पर लड़की वाले भीलड़के वालों को बहुत प्रताड़ित करते हैं…. कंचन ने बहुत बुरा सलूक किया था इस परिवार के साथ…. और बहनों ने बस पैसे के लालचमें आकर अपने सगे भाई को धोखा दिया ये कह कर लड़की बहुत अच्छी है…. किसी भी शादी में लड़का लड़की का रिश्ता मायने रखताहै… पैसे का क्या है वो जिस विधि आता उसी विधि चला भी जाता है…पर इसके लिए अपनों को धोखा देना ये जायज नहीं हैं….इस बारेमें आपका क्या कहना है?

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

 

#धोखा 

 

1 thought on “क्या अपने सगे भी करते ऐसा धोखा….? – रश्मि प्रकाश ”

  1. ऐसी भी बहने होंगी,ये विश्वास करने लायक नही है।और मां बाप?आंख पर जाने कौन सा पट्टी बांध बैठे की बेटे के भविष्य को ही दांव पर लगा दिया

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