क्या ससुरालवालों से उम्मीद करना गलत है?? –  कनार शर्मा 

मांजी एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के चलते मुझे पुणे जाना है आप और विधि मिलकर रिया को संभाल लेंगी ना। 

कितने दिन के लिए जाना है बहू…???

 जी दो दिन की ट्रेनिंग है तीसरे दिन में घर आ जाऊंगी।

 ठीक है वैसे रिया को तुम उसकी नानी के पास छोड़ जाती है तो ज्यादा अच्छा होता…अब यहां विधि बेचारी अपने दो बच्चों का भी देखेगी रिया को भी देखेगी उसका काम कितना बढ़ जाएगा।

मांजी मेरी मां तीरथ यात्रा पर गई है बस तीन दिन की बात है रिया को स्कूल मत भेजिएगा, घर पर ही रख लीजिएगा जिससे आप लोगों को परेशानी ना हो… रेवती ने कसमसाते हुए कहा क्योंकि उसे पता था सास और देवरानी दोनों के ही मुंह बन चुके थे आखिर उसकी बेटी की जिम्मेदारी कोई लेना नहीं चाहता मगर मजबूरी थी जाना बहुत जरूरी है वरना नौकरी से निकाल दी जाती।

रेवती ना चाहते हुए भी अपनी बेटी को छोड़कर इस “उम्मीद” से ट्रेनिंग पर चली गई की मेरी सास और देवरानी एक मां की तरह मेरी बेटी का ख्याल रखेंगी। आखिर उसका सोचना सही भी था जब वो दिन रात घरवालों के लिए मेहनत करती तो 2 दिन इतनी सी “उम्मीद” करना कोई बल गलत बात नहीं थी…. तीसरे दिन जब लौटी तो अपनी सास से बोली “रिया कहां है”????

अरे उसे बुखार चढ़ा है… पड़ी है अपने कमरे में… तुम्हारी लड़की इतनी शैतान है तीन दिन में हमारा सर खा गई… एक जगह चुपचाप बैठती ही नहीं पूरे घर, सड़क पर दौड़ा दौड़ाकर इसने हमें बेहाल कर दिया। अब थोड़ी गर्म लग रही थी तो विधि ने उसने शहद चूसनी लगाकर लेटा दिया है। अब तुम ही जाकर देखो क्या करना है????

 रेवती अपनी सास की बात सुन बौखला गई तुरंत हाथ का सारा सामान छोड़ कमरे की तरफ भागी… सिर पर हाथ लगाकर देखा तो बेटी बुखार में तप रही थी…थर्मामीटर से चेक किया 102 बुखार हाय राम!! सुबह से मेरी बेटी बुखार में तप रही है किसी ने उसे डॉक्टर के पास ले जाना उचित नहीं समझा। तुरंत उसे गोद में उठाकर कॉलोनी के बाहर मिलने वालों ऑटो में बैठ क्लीनिक की तरफ भागी… और ऑटो में बैठे बैठे अतीत में जा पहुंची




छः साल पहले रेवती के घर अमित का रिश्ता आया पिताजी पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे दो बेटियां और थी इसलिए इतना जान कि लड़का इलेक्ट्रिशन का काम करता है, पिताजी का मकान है, बहू के नौकरी करने से उन्हें कोई समस्या नहीं इतना सुन और ज्यादा पूछताछ ना कर उसके हाथ पीले करती है।

शादी के कुछ दिन बाद ही पता चला अमित एक निहायत ही निकम्मा और आलसी किस्म का इंसान है। जब मर्जी आती है तब दुकान जाता है और जिस दिन उसका मन नहीं घर पर बैठ मक्कारी मारता है। इस तरह के रवैया से रेवती ने परेशान होकर जल्द से जल्द अपनी नौकरी ज्वाइन कर ली ताकि पैसों की किल्लत ना हो क्योंकि सास ससुर उसे घर में बैठकर चैन से खाने नहीं दे रहे थे। कहते तुम्हारा पति कुछ करता नहीं और तुम हमारी छाती पर मूंग दल रही हो, मुफ्त की रोटियां तोड़ती हो बस इन्हीं बातों से परेशान उसने अपनी नौकरी दोबारा ज्वाइन कर ली।

शादी के 1 साल बाद रिया हो गई नौकरी फिर छूट गई तो अगले 2 साल तक सास ससुर ने पैसो के पीछे उसे बहुत परेशान किया थक हारकर उसने प्रिया को प्ले स्कूल में डाला और अपनी नौकरी ज्वाइन की…

शादी के इतने सालों में वह बस नोट छापने की मशीन, स्वार्थ की सीढ़ी बनकर रह गई। अपनी जरूरतों के साथ-साथ घर मेहमानों सभी की जरूरतों का जरिया बन गई। राशन भरना, बिजली का बिल देना, दो ननदों की आवभगत और विदाई करना उसी के हिस्से में आते हैं। “क्योंकि वह बड़ी बहू थी छोटी बहू तो हमेशा नादान ही बनी रहती जैसे उसे कुछ समझ में ही नहीं आता हो”।

इतना ही नहीं उसकी मेहनत सिर्फ पैसे कमाने भर से नहीं खत्म होती सुबह चाय, नाश्ता, टिफिन और रात का खाना बनाने की जिम्मेदारी उसी की थी। छोटी बहू विधि देवरानी तो सिर्फ दोपहर का खाना बनाती उसमें भी कितनी बार मां बेटी के लिए दो रोटी डिब्बे में पड़ी रहती कभी सब्जी होती तो कभी जूठन पड़ी होती। इतनी सारी परेशानियों के बीच में भी रेवती अपने पति की कमजोरी की वजह से कुछ ना बोल पाती क्योंकि अगर वह कुछ कहना शुरू कर दे तो सास साफ-साफ कह देती ज्यादा परेशानी है तो उस घर से निकल जाओ…!!

 अब बीस हजार की तनखा में दस हज़ार किराए के मकान में दे देगी तो खाएगी क्या यही सोच चुप रह जाती।

ऑटो वाला बोला “बहनजी क्लिनिक आ गया… रेवती ने उसे पैसे दिए और धन्यवाद बोल अंदर पहुंची”…

 चेकअप के बाद डॉक्टर बोली “घबराने की कोई बात नहीं हल्का सा बुखार है क्या बच्ची ठीक से सोई नहीं या फिर खाना नहीं खाई बहुत कमजोर लग रही है????? 




नहीं मैम ये तो तीन दिन से घर पर ही थी स्कूल भी नहीं गई सोच रेवती आश्चर्य में थी कि कमजोरी कैसे???

 तीन दिन की दवा और मल्टीविटामिन लिख रही हूं पिलाती रहना जल्दी ठीक हो जाएगी।

क्लीनिक से निकल फिर रेवती ऑटो ढूंढ रही थी मेन रोड थी कोई ऑटो भी नहीं रोक रही थी बड़ी मुश्किल से उसे ऑटो मिली जिसमें बैठे ही रिया जाग गई और अपनी मां को देख गले से चिपककर बोली “मम्मी आप आ गई”… मुझे बचा लो चाची मुझे मार रही थी और उन्होंने बाथरूम में बंदकर दिया… दादी भी गंदी है वो कह रही थी “बंद करो इस बदमाश लड़की को तभी इसकी अकल ठिकाने आएगी”… बोल जोर जोर से रोने लगी…आप कहां चली गई थी… अब आप कहीं नहीं जाना…आप जहां भी जाओगे मैं भी आपके साथ चलूंगी मम्मी… चाची और दादी दोनों बहुत गंदी है रोते हुए लगातार एक ही बात काहे जा रही थी जिसे सुन रेवती का कलेजा मुंह को होने लगा 4 साल की बच्ची के साथ इस तरह का व्यवहार एक बार भी शर्म नहीं आई विधि को जिसके खुद के दो बच्चे हैं वो ऐसा कैसे कर सकती हैं….??????

घर पहुंचते ही रेवती गुस्से से चिल्लाई विधि बाहर निकलो क्या इसी तरह केसे बच्चों के साथ व्यवहार किया जाता है। तुम अपने बच्चों पर भी ऐसे ही जुल्म करती हो?????

तुमको एक बार भी शर्म नहीं आई जिसकी मां घर से बाहर गई हुई है उस बच्ची का थोड़ा ध्यान रख लो ज्यादा नहीं तो समय पर खाना दे दो और तुमने तो उस बच्ची को बाथरूम में बंदकर दिया बेचारी सिसकती रही और आप मांजी सब आराम से देखती रही आपको अपनी पोती के लिए जरा भी दर्द नहीं हुआ…????

अरे ऐसा भी क्या हो गया???? जो गला फाड़ फाड़ के चिल्ला रही है बच्ची है परेशान कर रही थी तो थोड़ा डांटना डपटना भी जरूरी था। विधि ने डराने के लिए बंद किया था थोड़ी देर में खोल दिया इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई???? अगर बच्चों को सही गलत ना समझाया जाए तो वे बिगड़ जाते हैं और तुम्हारी लड़की तो बहुत बिगड़ी हुई है… एक नंबर की शैतान है….जंगली कहीं की किसी की बात नहीं सुनती…. और हम इतने ही बुरे लगते हैं तो बांधो अपना बोरिया बिस्तर और निकलो यहां से…. सास कमला जी शर्मिंदा होने की बजाए उल्टा अपनी बहू पर चिल्लाने लगी जिससे उनकी और छोटी बहू की गलती पर पर्दा पड़ जाए!!





ठीक है आज ही मैं अपनी बेटी को लेकर इस घर से हमेशा के लिए जा रही हूं जहां मेरी इज्जत नहीं थी फिर भी मैं सिर्फ लिहाज और रिश्ते निभाने के नाम पर इस परिवार में रह रही थी लेकिन अगर मेरी बेटी के साथ इतना बुरा व्यवहार होगा तो मैं कभी भी सहन नहीं करूंगी… वैसे भी मैं इस घर की बहू कम स्वार्थ की सीढ़ी ज्यादा हूं जिसका मन आता है फायदा निकाल कर चला जाता है पर अब और नहीं… बोल अपने कमरे में सारा सामान समेटने लगी!!

तो अमित बोला कहां जाओगी?????

कहीं भी जाऊं आपको क्या पड़ी है…???? शादी करके इस घर में आपके भरोसे और इस उम्मीद से आई थी कि आप सब मुझे समझोगे बेटी नहीं बहू तो मानेंगे मगर मेरी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया मगर अब बहुत हुआ मुझसे बर्दाश्त नहीं होता मैं जाकर रेलवे स्टेशन या फिर किसी फुटपाथ पर सो जाऊंगी मगर अपनी और अपने बच्चे की इस दुर्दशा से तो बच पाऊंगी…आपकी वजह से इतने सालों से इस घर में नौकरानी से ज्यादा हैसियत नहीं मेरी जो घर और बाहर दोनों जगह गुलामी कर रही है फिर भी आज तक किसी को खुश नहीं कर पाई और ये कैसा परिवार है????? जो आपकी बेटी को 3 दिन नहीं रख सका और फिर मैं कोई मटरगश्ती करने नहीं गई थी अगर मैं ट्रेनिंग में नहीं जाती तो मुझे नौकरी से हाथ धोना पड़ता और फिर आपको तो हमारी परवाह है ही नहीं ना कभी आपने हमारे पक्ष में बोला… इसी वजह से जिसके मुंह में जो आया वो बोलता चला गया। किसी ने सही कहा है पति कद्र करता तो पत्नी की इज्जत अपने आप हो जाती है… आज ज्वालामुखी तरह फटकर रेवती ने अपना सारा दर्द बहा दिया…!!

आज रेवती ने इतने सालों बाद अपने पति को आईना दिखाया था उसे समझ में आया उससे भारी भूल हुई है। तुरंत रेवती का हाथ पकड़ बोला “तुम बिल्कुल चिंता मत करो तुम अकेली नहीं हो हम तीनों इस घर को छोड़कर जाएंगे” क्योंकि जहां हमारी कदर नहीं वहां हम अब एक पल नहीं रुकेंगे और मैं वादा करता हूं अपने इस मक्कारी और आलस को छोड़ अच्छे से अपने काम में ध्यान लगाऊंगा ताकि अपनी बेटी को अच्छी परवरिश दे सकूं और अब से तुम्हें कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा….!!

कमला जी अपनी बोली पर पछता रही थी उन्हें लगा नहीं था कि सोने का अंडा देने वाली मुर्गी आज बगावत कर बैठेगी साथ में बेटा भी चला जाएगा!!

आशा करती हूं मेरी रचना को जरूर पसंद आएगी साथ में आप पाठक like Share n comment ज़रूर करे ताकि मेरा उत्साह बना रहे और आप तक नई कहानियां पहुंचाती रहूं…. धन्यवाद

#उम्मीद  

 आपकी सखी

 कनार शर्मा 

(मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित)

 

5 thoughts on “क्या ससुरालवालों से उम्मीद करना गलत है?? –  कनार शर्मा ”

  1. इसका पार्ट दो भी लिखो क्यूंकि इससे कहानी अधूरी लगती है

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  2. देर से ही सही, निर्णय सही लिया। पति की आंखें भी शायद बहुत देर से खुलीं।

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  3. रेवती का डेसिजन एकदम सही हैं. अगर वो पहले हि ये कदम उठाती तो हॊ सकता कीं पती पहिले हि सुधर जाता और ऊसका मान भी बना रहता.

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