क्या सही क्या गलत – ऋतु दादू : Moral Stories in Hindi

गरिमा से फोन पर बात करने के बाद रिद्धि गुस्से से तमतमा रही थी, भाभी अपने आपको समझती क्या है? इतने बड़े पद से सेवा निवृत हुए है पिताजी, उन्हें नौकर बना कर रख दिया है। 

गरिमा रिद्धि के मायके की सहेली है, गरिमा कुछ दिन अपने मायके रहने गई थी, जिसका घर रिद्धि के मायके के सामने ही है। बातों बातों में गरिमा ने रिद्धि को बताया कि उसके पिताजी तो दिन भर घर के कामों में लगे रहते हैं,

बच्चों को स्कूल बस तक छोड़ना, लाना ,आतें वक्त सब्ज़ी लेकर आना, यहां तक कि बगीचे की सफाई भी तेरे पिताजी ही कर रहे थे, यह सुन रिद्धि को गुस्सा आ गया क्या पिताजी इतने लाचार हो गए

कि भैया भाभी ने उन्हें नौकर बना कर रख दिया, उसे सबसे ज्यादा गुस्सा अपने भाई पर आ रहा था, भाभी तो फिर भी पराई है पर भाई ऐसा कैसे कर सकता है। पूरी जिंदगी पिताजी ने काम किया ये उम्र तो उनके आराम करने की है, ना कि किसी दिनचर्या में बंधने की।

अगले दिन रिद्धि अपने मायके जाने के लिए निकल गई। पूरे रास्ते उसका विचार मंथन चलता रहा। रिद्धि की सासु मां भी उसके साथ रहती है पर रिद्धि और उसके पति नीरव ने उनको सुख सुविधा देने में कोई कमी नहीं कर रखी है,

वक़्त के बदलते रिश्ते। – रश्मि सिंह

उनके कमरे में ही  टीवी लगा रक्खा है, एक छोटा सा मंदिर भी कमरे में है, वो जितनी देर चाहे अपने हिसाब से ध्यान पूजा करे, एक पूरे समय की नौकरानी लगा रखी है, उसको सख्त हिदायत है, मां को जब जो चाहिए उनके कमरे में पहुंच जाना चाहिए।

रिद्धि की मां को गुजरे करीब ६ माह हो गए थे, मां के जाने के बाद उसका घर जाने का मन ही नहीं करता, जब भी जाती कुछ घंटों के लिए जाती और सबसे से मिलकर आ जाती। 

घर पहुंची तो देखा पिताजी लाल लाल गाजर कद्दूकस कर रहे हैं, उसे देख खुश हो गए, अरे वाह! बिटिया बड़े अच्छे समय पर आई है, देख ,तेरी भाभी गाजर का हलवा बनाने की तैयारी कर रही है। और गाजर आपसे किसवा रही हैं, रिद्धि ने कटाक्ष किया। उसके पिता ने हंसते हुए कहा, वो नहीं किसवा रही मैं अपनी मर्जी से किस रहा हूँ, मुझे अच्छा लगता है। 

भोजन करने के बाद रिद्धि  अपने पिता के साथ कमरे में आ गई। कुछ देर इधर उधर की बात करने के  बाद , वह बोली, पिताजी कुछ दिन के  लिए  आप मेरे साथ मेरे घर चलिए , आपको भी थोड़ा बदलाव लगेगा और शायद भैया भाभी को भी अच्छा लगेगा। यह सुन पिताजी चौंक गए, क्यों भई मेरे जाने से तुम्हारे भाई भाभी क्यों खुश होने लगे?

अब रिद्धि से  रुका नहीं जा रहा था,  उसने कहना शुरू किया, पिताजी आप को क्या लगता है ,आप अपने मुंह से कुछ नहीं बताएंगे तो मुझे कुछ पता नहीं चलेगा, कितना दुख भर रहे हो आप यहां,अब आपके आराम करने के दिन हैं और भैया भाभी ने आपको नौकर बना रक्खा है। कितने राजसी  ठाठ थे आपके, पहले तो कभी

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मैंने आपको बगीचे की सफाई करते, मटर छीलते ,गाजर किसते नहीं देखा ? -घर से दफ्तर  और दफ्तर से घर आकर आराम से बैठा करते थे, टीवी देखते थे दोस्तों के साथ बतियाते थे। चाय ,पानी सब आपको हाथ में मिलता था।आप अभी मेरे साथ चलिए, जब मैं सासू मां को सारी सुख सुविधा दे सकती हूँ, तो आपको क्यों नहीं।

पिताजी ने बहुत प्यार से उसके सिर पर हाथ रखकर कहा बहुत अच्छी सोच बिटिया तेरी पर सच बताऊं,तेरी भाभी बिल्कुल दूसरी बेटी है मेरी, बहुत ख्याल रखती है, वह मेरा। 

पहले मेरे पास दफ्तर का काम था तो घर का काम करने के लिए मेरे पास ना तो समय था और ना ही कोई ऐसी जरूरत, तेरी मां और भाभी मिलकर सारे काम कर लेती थी अब मेरे पास भी समय ही समय है और हाथ पैर  चलाता रहूंगा तो स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा और घर में मेरी जरूरत भी महसूस होगी।तेरा भाई अब दफ्तर से घर आता है

यदि मैं दिखाई न दूं तो सबसे पहले मेरे बारे में पूछता  बच्चे घर पर आते हैं ,दादाजी दादाजी शोर मचाते आते हैं  क्योंकि उन्हें मेरे साथ पार्क में खेलने जाना होता है। घर के कार्य में बहू की मदद करने से मैं कुछ छोटा नहीं हो जाऊंगा बल्कि मेरा शरीर स्वस्थ रहेगा। 

बुरा मत मानना पर तुम्हें क्या लगता है तुमने अपनी सास को एक कमरे में सारी सुख सुविधा देकर उन्हें बहुत आराम दे रहे हो नहीं तुम उनको एक कमरे में कैद करके रख रहे हो, 

आराम देने के चक्कर में तुम उन्हें अपने ही घर में अपनी मर्जी से जीने नहीं दे रहे है अरे सोचो, जिन्होंने सारी जिंदगी काम किया उन्हें आराम देने के बहाने एक कमरे में कैद कर दो, ये कहा का न्याय है?तुम्हे पता है, तुम्हारी मां के जाने के बाद मैं कितना अकेला हो गया था,

अंगूठी –कहानी–देवेंद्र कुमार

तुम्हारी भाभी ने कितने प्यार से संभाला है, मुझे दोबारा जीना सिखाया, मेरे साथ बैडमिंटन, चेस, कैरम खेलती है, बच्चों को मेरे पास सुलाती है, यही कारण है , बच्चे मुझ से इतना प्यार करते हैं।

बैंक के सारे काम कर देता हूं तो पुराने दोस्तों से मिलना भी हो जाता है, और तुम्हारे भाई का काम भी थोडा हल्का हो जाता है।शायद तुम्हे यह सुनकर अच्छा नहीं लगेगा कि अगर तुम्हारी भाभी भी मुझे सुख सुविधा देने के नाम पर एक कमरे में कैद कर देती तो शायद मैं जिंदा ही नहीं बचता।

रिद्धि हैरान परेशान सी अपने पिता की बातों को सुन रही थी, एक बारगी तो उसके मुंह से निकल ही गया कि “आपको तो अपनी बहु की अच्छाई के आगे कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता है”।

घर वापिस आते समय वह मन मन चिंतन कर रही थी कि कैसे उसे और नीरव को साथ मिलकर सासु मां के जीवन में दोबारा उत्साह भरना है।

ऋतु दादू 

इंदौर मध्यप्रदेश

#वाक्य प्रतियोगिता #”आपको तो अपनी बहु की अच्छाई के आगे कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता है।”

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