सुनो ना एक बात कहनी थी आपसे… पापाजी को देखा है आजकल फोन पर कितने व्यस्त रहने लगे हैं???
हां…देखता तो हूं..कभी न्यूज़ सुनते हैं कभी गाने सुनते हैं,कभी वीडियोज़ देखकर हंसते रहते हैं…. अच्छा ही है ना मां के जाने के इतने सालों बाद कहीं मन तो लगाने की कोशिश कर रहे हैं ना,वरना चुपचाप बैठे रहते थे।
दीपक….सिर्फ ये सब ही करते तो ठीक था,पर मुझे कुछ दाल में काला लगता है,अपना फोन आजकल बिट्टू को भी छूने नहीं देते… मैसेज लिखते लिखते मुस्कुराते रहते हैं,बालकनी में जाकर कभी कभी धीरे धीरे बात करते हैं,कभी कुछ पूछूं तो हड़बड़ा से जाते हैं।
तुम भी ना शिखा.. कुछ भी बोलती रहती हो..तुम पापा पर शक कर रही हो?? उनकी उम्र और सीधेपन का तो कुछ लिहाज करो…तुम बहू हो तुमसे आजतक नजर उठाकर बात की है उन्होंने…शुरू से ही पापा बहुत शर्मिले और सीधे साधे इंसान रहे हैं…उनकी ईमानदारी और सच्चरित्रता का किस्से कहे जाते हैं हमारे शहर में और तुम इतनी घटिया बात…
दीपक मैं जो दिख रहा है वहीं कह रही हूं आपसे…समझे.. कोई स्टोरी नहीं बना रही..भरोसा ना हो तो बिट्टू से पूछ लो.. बिट्टू तो उनसे पूछ रहा था एक दिन…. दद्दू वो जो आंटी से आप बात करते हो उनका नाम क्या है??
शिखा…अब बस भी करो…तुम क्या खुद भगवान भी आकर मुझसे इस तरह की बातें कहेंगे ना पापा के बारे में तो मैं यकीन नहीं करूंगा..समझी तुम और सुनो..टीवी पर सीरियल्स थोड़े कम देखा करो… दिमाग वैसा ही होता जा रहा है तुम्हारा,चलो सब्जी वाला थैला दे दो, आता हूं मार्केट से–दीपक ने कहा और पापाजी के कमरे की ओर चल दिया।
उसे देखते ही फोन पर कुछ लिख रहे पापाजी ने अचकचा कर फोन नीचे रख दिया और थोड़ी घबराहट सी आई उनके चेहरे पर…।
पापा..कैसे हो आप?? मैं क्या कह रहा था चलिए ना नीचे जा रहा हूं सब्जी के लिए आपका भी थोड़ा बहुत वाॅक हो जाएगा..।
इस कहानी को भी पढ़ें:
आता हूं बेटे…थोड़ा वाॅशरूम हो आऊं–कहकर सदाचरण जी वाॅशरूम में घुस गए।
दीपक वहीं बैठा उनका इंतजार करने लगा…इस बीच कम से कम बीस पच्चीस बार उनके फोन पर बीप बीप की आवाजें आई मैसेजेज के…।
ये औरतें भी ना दिमाग में शक भर देती हैं तो नार्मल चीजें भी संदिग्ध नजर आने लगती हैं, कंपनी वालों के मैसेज होंगे..सोचकर दीपक ने फोन उठाया तो देखा वो मैसेजेज किसी सेनोरिटा के थे जो आ रहे थे और आगे कुछ देख पाता…तभी सदाचरण जी के आने की आवाज से उसने फोन वापस रख दिया।
पापा…आप अकेलापन तो महसूस नहीं करते ना मैं तो व्यस्त रहता हूं,शिखा से कभी ज्यादा बातचीत की नहीं आपने, बिट्टू तो स्कूल से आने के बात खुद में ही उलझा रहता है–रास्ते में पूछा दीपक ने।
नहीं बेटा अब तो अकेलापन नहीं महसूस करता …जबतक स्मार्ट फोन में दिमाग नहीं लगाया था तब तक तो करता था पर ये फोन तो जादू की पुड़िया है और सोशल मीडिया पर जब से जुड़ा हूं दोस्त बने हैं तबसे तो समय का पता ही नहीं चलता…
अरे वाह ये तो बड़ी अच्छी बात है… कोई आपके फ्रेंड… मतलब स्कूल कालेज या ऑफिस के…मिले या नहीं आपको??
कई हैं बेटे…पर सबके सब हमेशा इनएक्टिव रहते हैं,चार दिन आठ दिन पर जवाब आते हैं उनके…आजकल के कुछ बच्चे हैं जिनसे दोस्ती हुई है वो बड़े स्मार्ट हैं और बड़ा मन लगाते हैं —सदाचरण जी काफी खुश लग रहे थे।
पर आजकल के बच्चे आपसे दोस्ती…समझा नहीं कुछ
अरे बेटा… मैं जो कविताएं लिखता हूं ना उन्हें अपने सोशल मीडिया पर भी अपलोड किया हुआ है…उसकी तारीफ करते करते कई बच्चे मेरे दोस्त बन गए हैं…जैसे ही कोई नई कविता डालता हूं सबके मैसेज आने लगते हैं।
अच्छा…
हां बेटे…और तुम्हें पता है एक लड़की है विदेशी है…वो इंग्लैंड में रहती है
इस कहानी को भी पढ़ें:
वो तो पूछो मत… दरअसल उसे हिंदी भाषा से बहुत प्यार है,उसी प्यार के चलते उसने हिंदी बोलने सीखा है हालांकि बहुत बढ़िया तो नहीं बोल पाती पर कोशिश अच्छी करती है, उसका इंडिया आने का भी प्लान है कुछ हिंदी रिसर्च को लेकर…इधर मैं कविता डालता नहीं हूं कि उसके मैसेज आ जाते हैं,हमेशा मैसेज करती रहती है….
वो सब तो ठीक है पापा…पर थोड़े सावधान रहिएगा.. दुनिया बहुत बुरी हो चुकी है…आप समझ रहे हैं ना??—दीपक को कुछ खटका..पेशे से अकाउंटेंट पापा की हिंदी इतनी भी अच्छी नहीं थी कि वो बहुत अच्छी कविता लिख पाएं थोड़ी बहुत तुकबंदियां कर लिया करते थे,पर उससे इंप्रेस्ड होकर फ्रेंड्स वो भी बीस साल ग्रुप वाले बन जाएं..ऐसा सुनना थोड़ा अजीब तो था।
समझता हूं बच्चे,आए दिन तो पढ़ता रहता हूं वो फ्राॅड वगैरह जो होते हैं, इसलिए तो मैं तुम्हारे कहने पर भी अपना बैंक अकाउंट ऑनलाइन नहीं करता क्या भरोसा कब किस तरह का धोखा कर लें कोई??
अगले दिन पापा से फिर उस संदर्भ में बात हुई…पापा सेनोरिटा को लेकर काफी उत्साहित थे।
पता है दीपक… सेनोरिटा मुझे डैड बुलाती है,उसके पापा काफी कम एज में नहीं रहे थे और वो कहती हैं उसके पापा की शक्ल मुझसे मिलती जुलती सी है…देखो ना अपने पापा की फोटो भेजी थी मुझे।
वो सब तो ठीक है पापा..पर आप संभल कर रहिएगा…
तुम्हें पैसे का ही डर लग रहा है ना बच्चे….तो तुम्हें बता दूं सेनोरिटा ने कई दफा मुझसे पूछा है कि अगर मुझे किसी तरह की फाइनेंशियल हेल्प की जरूरत हो तो उसे बताऊं वो कमाती भी है और उसके पापा की प्रापर्टी भी अच्छी खासी है
दीपक निरूत्तर तो हो गया था पर पापा को लेकर उसका डर गया नहीं था।
लगभग सात दिन बाद पापा…अपना फोन लेकर आए उसके पास…
इस कहानी को भी पढ़ें:
दीपू…बेटा देख ना वो सेनोरिटा इंडिया आ रही है उसने अपना टिकट भेजा है…अब तो भरोसा करेगा…अब तू एक काम करना किसी अच्छे होटल में आठ दिन के लिए एक कमरा बुक करवा देना..अगले मंडे को वो यहां पहुंच जाएगी।
दीपक ने देखा इंग्लैंड से एयर टिकट थी और कई शहरों से कनेक्ट होकर उसके पास वाले शहर आ रही थी…टिकट उतनी अच्छी तरह समझ नहीं आया दीपक को…पर टिकट तो था पक्का…।
ठीक है पापा… मैं कमरा बुक करवा दूंगा आप टेंशन मत लो..पर हां अभी भी यही कहूंगा आप उसके साथ कहीं अकेले मत जाना और उसे जब मिलना हो तो घर पर ही बुला लेना।
तू मेरी इतनी फ़िक्र मत कर बेटे, कोई लड़की उतनी दूर से उतने पैसे खर्च कर आ रही है, इसके पीछे धोखाधड़ी नहीं प्यार और भावनाएं हैं,मुझे भी वो बेटी ही लगने लगी है अब तो…।
खैर वो दिन भी आ गया जब सेनोरिटा, इंग्लैंड से मुम्बई और मुंबई से इलाहाबाद आने वाली थी।
बेटा…वो एयरलाइंस वाले कुछ बोल रहे हैं.. मैं समझ नहीं पा रहा तू बता दें बेटे।
हैलो सर…ये मैडम जो आपकी गेस्ट हैं…इनकी लगेज बहुत ज्यादा है तो हमारी एयर कैब से इनका सामान भेजना पड़ेगा..अब ये कह रही हैं कि इनके पास इंडियन करेंसी खत्म हो गई है तो मैनेज नहीं कर सकतीं.. तो इसमें हम क्या कर सकते हैं सर??
मेरी बात उनसे करवाइए प्लीज़
हैलो सर… मैं सेनोरिटा… मैं सुना था आपके इंडिया में गेस्ट का बहुत इज्जत होता,पर ये लोग मुझे पैसे के लिए परेशान कर दिया..डैडी को मैं बताया तो वो बोला मैं कुछ करता हूं,पर उसका अकाउंट ऑनलाइन नहीं है तो वो क्या करेगा,आप उनका बेटा हो तो तुम कर दोगे क्या, मैं वहां पहुंचकर वापस कर दूंगी सारा मनी—वो लड़की टूटी फूटी हिंदी में बात कर रही थी।
कुल मिलाकर एयरलाइंस वाले साठ हजार के आसपास मांग रहे थे जिसमे वो सेनोरिटा को सामान सहित कैब से उस सिटी तक पहुंचा देने वाले थे।
इस कहानी को भी पढ़ें:
दीपक को थोड़ा शक तो मन में था,उसने फटाफट दस मिनट का टाइम लेकर जल्दी से गूगल किया तो…उसके होश उड़ गए जब इसी तरह के स्कैम से पूरी की पूरी साइट भरी पड़ी थी…विदेशी लड़की,सोशल मीडिया से कान्टैक्ट करना,थोड़ी कम जानकारी रखने वाले बुजुर्ग शिकार, एयरलाइंस वाले चक्कर और फिर पैसे मांगना…।
दीपू… सेनोरिटा का फिर फोन आ रहा है…वो बहुत परेशान हो रही है,रो भी रही है,बीस साल की लड़की इतनी दूर अकेली और इतनी परेशानी आते साथ ही,क्या सोचेगी वो हम भारतीयों के बारे मे़ं–सदाचरण जी बहुत परेशान थे।
पापा..फोन देना..
हैलो मिस सेनोरिटा या आप जो कोई भी हो अब फोन करना बंद करो और निकल लो क्योंकि अब आपकी दाल यहां नहीं गलेगी,सच में विदेशी हो तो कल की फ्लाइट लो और निकल लो…आपके स्कैम का पता हमें चल चुका है और हमें और मूर्ख बनाने की कोशिश मत करो–दीपक ने कहकर फोन काट दिया।
ये क्या किया तुमने?? वो बेचारी…
दीपक ने फिर सारी चीज़ें सदाचरण जी को नेट से खोलकर दिखाई..फिर भी सदाचरण जी सकते में थे उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था कि सेनोरिटा…उन्हे अपना डैड मानने वाली सैनोरिटा उनके साथ ऐसा धोखा भी कर सकती है…।
दूसरे दिन उनका मन नहीं माना,उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने फिर मैसेज कर दिया..
इस कहानी को भी पढ़ें:
साॅरी बेटे… मुझे तुम्हारी बहुत चिंता हो रही है
उधर से हंसने वाली स्माइली आई…
पहले क्यों नहीं बताया बुड्ढे कि तेरा मालिक तेरा बेटा है…तू उससे पूछ पूछ कर सारे काम करता है…सब पूछता है पर लड़की मिल गई तो मजे लेने लगा…
छि छि छि…ये तुम कैसी बात कर रही हो सेनोरिटा… मैं तो तुम्हें बेटी मानता हूं आज भी
सेनोरिटा…. नहीं मैं भावेश हूं भावेश… पटियाला से..समझा..और सुन अब इस नंबर पर फोन वोन मत करियो ओके..चल फूट।
तीन दिन बाद से वो नंबर स्विच ऑफ हो गया तब भी सदाचरण जी को भरोसा नहीं हो पाया कि वो लड़की ही नहीं पूरी की पूरी घटना ही फेक थी…उन्हें तो आज भी इंतजार है कि फोन बजेगा और उधर से टूटी फूटी हिंदी में प्यारी सी आवाज आएगी….
हैलो डैड… मैं आपकी बेटी सेनोरिटा…ठीक और शुद्ध हिंदी बोला ना !!!
उधर शिखा पूरे घटनाक्रम के बाद अपनी पीठ थपथपाने में लगी थी और पति को नजरों से एहसास दिला रही थी कि देखा हम औरतों की नजर कितनी तेज होती हैं…ससुरजी आखिर चक्करों में तों पड़े थे ना…!!
और दीपक अपने पिता का उदास चेहरा देखता दुखी होता और सोचता…क्या मिला तुम्हें मेरे पापा का भरोसा तोड़ कर अनजान लड़की?
#भरोसा
मीनू झा