नलिनी एक टक घड़ी की तरफ देख रही थी और सोच रही थी समय का पहिया कहा किसी के लिए रुकता है आज तीन साल हो गए उसे ससुराल छोड़ मायके आए इन तीन सालों में रिश्तों के नए नए रंग देखे। जो भाई गर्व से उसे ससुराल से लाया था कि तेरा भाई अभी जिंदा है उस भाई ने दूरी बना ली। मां – बाप के लिए भी अविवाहित बेटियां इतना बोझ नहीं होती जितना विवाहित बन जाती है। तभी तो भाभी को कुछ कहने की जगह मां ने मुझे ही सुनाया। जबकि बात कुछ थी भी नहीं फिर भी इतनी बड़ी बन गई। छोटी मोटी नोलझोंक तो भाभी और उसमे होती ही रहती पर आज….
” दीदी आप ये अपने भाई की शर्ट प्रेस कर दो मैं अवि को नहलाने जा रही हूं !” नलिनी की भाभी सुरुचि ने कल सुबह कहा था।
” भाभी शर्ट आप प्रेस कर दीजिए मैं नाश्ते की तैयारी में लगी हूं !” नलिनी ने शांति से जवाब दिया।
” नाश्ता बाद में बन सकता है !” सुरुचि थोड़े कठोर स्वर में बोली।
” अवि भी बाद में नहा सकती है ना भाभी नाश्ता देर से बना तो मुझे और भैया दोनों को देर हो जायेगी !” नलिनी ने अभी भी शांति से ही उत्तर दिया।
पर उसका इतना कहना था कि घर में हंगामा हो गया…
” खुद की तो ना गृहस्थी ना बच्चे मुझे नसीहत देने चली है !” सुरुचि दहाड़ी।
” भाभी मैने ऐसा कुछ नहीं कहा आप अवि को बाद में भी नहला सकती हो घर में ही तो हैं आप तो पहले जिन्हें जाना उनके काम हो जाएं।” नलिनी अभी भी आराम से बात कर रही थी।
” लो अब हमे घर में रहने के भी ताने मिलेंगे ये कमाती जो हैं!” सुरुचि चिल्लाते हुए बोली।
” क्या बात है क्यों शोर मचा रखा है सुबह सुबह घर में !” तभी नलिनी का भाई तुषार गुस्से में बोला।
” ये अपनी लाडली बहन को देखो….!” और भाभी ने नमक मिर्च लगा कर भाई को बात बताई।
” नलिनी मेरी गृहस्थी में आग मत लगा तू आराम से सब मिल रहा फिर भी तुझे दिक्कत है चाहती क्या है तू आखिर तेरा घर नहीं बस पाया मेरा तो बसा रहने दे …घर में रहेगी तो दो चार काम तो करने होंगे ना।” तुषार नलिनी की बात सुने बिना ही चिल्लाया।
” मां आप बताओ ना भाई को बात क्या हुई थी !” नलिनी हैरानी से बोली।
” नलिनी बेटा तू ऐसा कर ऊपर का कमरा ले ले कमाती तू है ही अपना खुद देख हमे शांति से रहने दे !” मां ये बोल अपने कमरे में चली गई। बाकी सब भी अपने अपने कामों में लग गए पीछे रह गई अकेली नलिनी आंसू बहाती हुई।
” मेरे कारण अशांति है घर में” …नलिनी सिसक कर बोली
चार साल पहले जब इसी नलिनी की शादी हुई थी तब सबने यही कहा था घर की रौनक ही चली गई। पीहर आने पर मां पापा के साथ साथ भाई भाभी भी कितना लाड़ लड़ाते थे। जब शादी के एक साल बाद चेतन ( नलिनी के पति) की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद सास ने नलिनी के घर वालों को बुला साफ कह दिया था जब बेटा नहीं तो इसे रखकर क्या करें आप ले जाइए दुबारा शादी करें या कुछ भी करें हमे कोई मतलब नहीं इससे। तब भाई बड़े गर्व से बोला था इसके बाप भाई जिंदा है सारी उम्र भी अपने पास रख सकते लाड़ से। आज उसी भाई ने इतनी बड़ी बात बोल दी। पापा तो जबसे रिटायर हुए कुछ बोलते ही नहीं मां ने भी आज अलग होने को बोल दिया।
” इसमें मेरा क्या कसूर की चेतन मुझे इतनी जल्दी छोड़ गए , या मेरे सास ससुर ने मुझे नहीं रखा । ससुराल से परित्याग की बेटी मायके ना आए तो कहां जाए फिर मैं किसी पर बोझ तो नहीं तीन साल से कमा ही रही ( ससुराल से आ कुछ दिन बाद नलिनी ने रिसेप्शनिस्ट की नौकरी पकड़ ली थी जिससे किसी पर बोझ ना रहे) भाभी भैया के बच्चों पर भी जान छिड़कती फिर मैं बोझ कैसे घर में …. हे ईश्वर क्या बेटी हमेशा बोझ ही बनी रहेगी !” नलिनी अपने कमरे में आ सिसक सिसक कर रो दी। उसका ऑफिस जाने का भी मन नहीं हुआ तो फोन पर तबियत खराब का बहाना बना दी।
” बेटा मुझे माफ़ कर दे पर हमे तो तेरे भाई भाभी के साथ ही रहना है तो कुछ नहीं कर सकते हम तेरे लिए !” तभी नलिनी की मां वहां आ बोली।
” पर मां मैं कहां कुछ करने को बोल रही हूं पर मेरी गलती कहां थी आप ही बताओ!” नलिनी रोते हुए बोली।
” बेटा तू गलत नहीं पर ये भी सच है तू जबसे इस घर में वापिस आई है तेरी भाभी का व्यवहार बदल गया है ये घर घर कम जंग का मैदान बन गया इसलिए मैने तुझे ऊपर रहने को कहा है। मैने तो तुझे कितनी बार कहा घर बसा ले दुबारा पर तू सुनती नहीं अब बता इस उम्र में हम क्या कर सकते हैं!” मां तड़प कर बोली।
” हां मां आप भी अपनी जगह सही हो गलत तो मैं हूं क्योंकि मेरी किस्मत ही खराब है ना चेतन यूं जाते ना मैं ससुराल वालों के लिए बोझ होती ना यहां आती ना इतना कुछ होता।”नलिनी बोली।
” बेटा तू मेरी बात मान घर बसा ले वरना हमारे बाद तेरा क्या होगा !” तभी वहां नलिनी के पापा आकर बोले।
” पर पापा …!”
” पर वर कुछ नहीं मेरे दोस्त का बेटा है उसका एक साल का बच्चा है पत्नी बेटे को जन्म देते ही स्वर्ग सिधार गई उन्होंने मुझसे कई बार तेरा हाथ मांगा है मैं हर बार चुप हो जाता था पर आज जो हुआ उसे देख लगता है तुझे शादी कर लेनी चाहिए अब इससे ज्यादा रिश्तो मे कड़वाहट आई तो शायद ये घर बिखर जायेगा और वैसे भी ..बेटा जिंदगी अकेले नहीं कटती और पहले रिश्ते से बाहर आने को तीन साल बहुत होते हैं मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूं अपनी जिंदगी और हमारा बुढ़ापा मत खराब कर !” पापा ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
जवाब में नलिनी ने सिर झुका दिया जिसे उसकी मौन स्वीकृति समझ नलिनी के पापा ने अपने दोस्त से बात की । नलिनी और उस लड़के विवेक को मिलाया गया और नलिनी अपने मां बाप की खुशी की खातिर हां कर दी।
आज नलिनी इस घर से विदा हो रही है पर उसके मन में एक फांस एक कड़वाहट हमेशा रहेगी ससुराल से त्यागी बेटी क्यों मायके में बोझ बन जाती है जबकि उस वक़्त उसे सबसे ज्यादा सहारे की जरूरत होती। किसी भी बेटी के साथ ऐसा हो तो वो जाए तो जाए कहां आखिर।
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आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
#कड़वाहट