कुमार सर ने अनुराधा कि तरफ़ मुड़कर देखा, और कहा कि मुझे जैसी लड़की चाहिए थी, वो मिली ही नहीं थी कभी।
अनुराधा ने तपाक से पूछ लिया तो कैसी लड़की चाहते थे सर आप?
कुमार सर ने अनुराधा कि और देखकर मुस्कुरा दिया, और कहा कि इस सवाल का जवाब भी मै तुम्हें सही वक़्त आने पर दूंगा।
अगले दो दिन भी कुमार सर और अनुराधा इसी तरह डिनर पर किसी रेस्टोरेंट में गए, उनके दिल मिलते जा रहे थे, पर कोई भी इज़हार करने कि हिम्मत नहीं कर रहा था।
अगले दिन यानी रविवार को कुमार सर ने अनुराधा के साथ फिल्म देखने का प्लान बनाया, अनुराधा कि खुशी का ठिकाना नहीं था, जींस और टीशर्ट के साथ गॉगल लगाकर कुमार सर किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं लग रहे थे, अनुराधा ने उनकी और देखकर चहकते ही कहा, ये लड़के लोग भी न, सच में कुर्ते पैजामें में अंकल, लोअर और टी शर्ट में मजदूर, कोट पेंट में एकदम साहेब कि तरह और जींस और टीशर्ट में एकदम कॉलेज जाने वाले लड़के की तरह लगते हैं।
कुमार सर को उनकी कही हुई बात याद आ गई, बोले अच्छा तो अनुराधा जी कितने लड़कों से मिल चुकी हैं अब तक आप?
अनुराधा ने मुस्कुराकर कहा, वैसे तो कई लोग मिले लाइफ में, पर आपकी तरह वाले सिर्फ आप ही हैं अब तक?
कुमार सर ने पूछा मेरी तरह वाले मतलब?
अनुराधा ने शर्माते हुए कहा , मतलब जिनके लिए मेरे दिल में कुछ खास जगह हो।
अनुराधा का दिल जोर जोर से धड़कने लगा, उसने जिंदगी मै पहली बार किसी से प्यार का इशारों में इजहार किया था।
पर कुमार सर तो शायद कुछ और ही मूड में थे बोले तुम्हारा मतलब है कि मै कुर्ते पैजामे में अंकल लगता हूँ।
अनुराधा ने खीजकर कहा, नहीं जी आप तो कुर्ते पैजामे में 10 साल के बच्चे की तरह लगते है।
कुमार को समझ नहीं आया कि अनुराधा क्यों चिढ़ रही है, उधर अनुराधा चिढ़ रही थी, कि हाय रे मेरी किस्मत, जिंदगी में पहली बार किसी से इशारों मै प्यार का इज़हार किया और वह मूर्ख उस समझ भी नहीं पा रहा है।
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कुमार सर के साथ वो सिनेमा हाल पहुंची, वह फिल्म जितनी रोमांटिक नहीं थी, उससे ज्यादा सुखद था उसका कुमार सर के साथ एकदम बगल में बैठकर फिल्म देखना, एक ही ऑफिस में काम करने के बाद भी उन दोनों में इतनी मर्यादा थी कि, वो कभी भी एक दूसरे से सट कर नहीं बैठे, पर यहां पर सिनेमा हॉल मे सीट इतनी दूर तो नहीं होती कि बगल में बैठे व्यक्ति का कोई स्पर्श ही न हो, अनजाने में जैसे ही कुमार सर का हाथ अनुराधा को स्पर्श हो जाता, उसका रोम रोम खड़ा हो जाता था, शरीर में अलग सी झुनझुनी हो जाती, मानो कोई करंट सा छू गया हो। लगभग यही हाल कुमार सर का भी था।
इंटरवल में पॉपकॉर्न खाते हुए अनुराधा को लग रहा था कि वो छोटी सी बच्ची हो, उसे लगा कि आज वह कुमार सर से अपने दिल की बात कह ही दे.. पर हिम्मत नहीं कर सकी। फ़िल्म खत्म होने के बाद, शाम को कुमार सर, कार में रोमांटिक सॉंग्स शुरू करके गाजियाबाद घुमाने के लिए चल पड़ें,
रविवार होने के कारण यहां कि सड़के लगभग खाली ही थी। उन सड़कों पर ढलते सूरज की रोशनी सुनहरा रंग बिखेर रही थी, पेड़ों की लंबी होती छांव, नवंबर की खुशनुमा हल्की ठंड, और सड़क के किनारे की फसलों की भीनी भीनी खुशबू और इन सब से बढ़कर कुमार सर का मनभावन साथ।
आज का दिन तो अनुराधा के जीवन का सबसे खुशनुमा दिन साबित हो रहा था, माँ के गुजरने के बाद से कभी भी अनुराधा का ऐसा कोई दिन नहीं था, कि अपने अकेलेपन में माँ को याद करके उसकी आंखे न भीग आई हो। पर आज के दिन की बात कुछ और ही थी, अनुराधा भावुक हो रही थी, उसे लगा कि आज का दिन कभी खत्म ही न हो, वह कुमार सर के कंधे पर सर रखकर पूरा वक़्त गुजारना चाहती थी, पर कर न सकी..
एक अच्छे रेस्टोरेंट में कुमार सर ने कार रोकी और वहां पर डिनर करते करते कुमार सर अनुराधा से उसकी पसंद और ना पसंद के बारे में पूछने लगे, वो भी अनुराधा के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते थे।
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रात होते ही कुमार सर अनुराधा को गेस्ट हाउस में छोड़ कर जाने लगे, तभी अनुराधा ने कुमार सर के एकदम पास आकर कहा, सर कल का डिनर आपको मेरी तरफ़ से रहेगा।
कुमार सर ने अचरज से कहा, क्यों कल क्या खास बात है?
अनुराधा ने कहा, सर कल मेरा जन्म दिवस है, और आपको मेरी तरफ़ से पार्टी रहेगी।
कुमार सर ने खुश होकर कहां, वाह फिर तो हम कल ऑफिस में सेलिब्रेट करेगें,
अनुराधा ने सहमकर कहा, नहीं सर मै कोई रंग में भंग नहीं चाहती, मै तो कल की शाम सिर्फ आपके साथ ही गुजारना चाहती हूं।
उसकी प्यार भरी बात सुनकर कुमार ने कहा, बिल्कुल कल हम शाम को शानदार पार्टी करेंगे।
कुमार सर के निकलते ही, अनुराधा रूम में आ गई, और दिन भर की प्यारभरी बातों को अपनी यादों में संजोने लगी।
सुबह अपना दरवाजा खटखटाने कि आवाज़ से अनुराधा कि नींद खुली, अनुराधा ने हड़बड़ाहट में दरवाजा खोला तो देखा कि गेस्ट हाउस में काम करने वाला लड़का संदेश लेकर आया कि नीचे रिसेप्शन पर उसके लिए किसी वीरेश्वर मिश्रा का फ़ोन आया है, वह दौड़कर फ़ोन लेने पहुंची, अनुराधा के पिता वीरेश्वर मिश्रा ने उसे जन्मदिवस की बधाई देने के लिए फ़ोन किया था, उसके साथ साथ भास्कर राव त्रिवेदी और सुलक्षणा ने भी उसके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में उसे ढेर सारी शुभकामनाएं दी।
ऑफिस में पहुंच कर उसने एक फाइल निकाल कर देखना शुरू ही किया था कि तभी कुमार सर उसके पास आकर गुड मार्निंग कहा और धीरे से हैप्पी बर्थडे बोल कर चाय का आर्डर कर दिया। अभी वह चाय पी ही रहे थे, कि तभी कमिश्नर सर का फ़ोन आया और उन दोनों को अपने ऑफिस में बुलाया..
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जल्द ही कुमार सर और अनुराधा कमिश्नर सर के केबिन में थे, उनके आते ही कमिश्नर सर ने बाकी स्टाफ को बाहर जाने को बोल दिया,
एकांत होने पर कमिश्नर सर ने कुमार सर और अनुराधा को कहा, एक बड़ी खबर है जिसके लिए तुम दोनों को यहां बुलाया है, कुमार सर ने कहा जी बोलिए सर..
कमिश्नर सर ने कहा कि कोर्ट ने मंत्री जी की अर्जी पर बाहरी लोगों के मंत्री जी से मिलने की रोक हटा ली है, हालांकि मंत्री को जमानत नहीं मिली पर कोई भी आकर मंत्री से मिल सकता है, इससे हमारे लिए ख़तरा बढ़ गया है, मंत्री जी के अपराधिक तत्वों से संपर्क के बारे में कमिश्नर सर और कुमार सर भली भांति परिचित थे, इसलिए वो दोनों किसी अनहोनी की आशंका से चिंताग्रस्त थे। कमिश्नर सर ,अनुराधा, कुमार सर, ठेकेदार और स्वयं के परिवार की सुरक्षा के बारे में चिंतित थे। मंत्री जी ने कितने लोगों को अपने आप को बचाने के लिए मरवा दिया था, उसका भी अंदाजा था कमिश्नर सर को..
कमिश्नर सर और कुमार सर को चिंताग्रस्त देख कर अनुराधा ने कहा, सर मेरे पास एक प्लान है, अगर आप लोग अनुमति दें तो मै कुछ कहूं..
कमिश्नर सर ने अनुमति दी तो अनुराधा ने कहा कि सर जिस जगह पर मंत्रीजी से मिलने के लिए लोग आएंगे उस कमरे में हम छुपे हुए कैमरे लगा कर रख देंगें, उसकी मॉनिटरिंग हम हेडक्वार्टर से करते रहेंगे, इससे हमें मंत्री जी के सारे प्लान के बारे में पता चलता रहेगा, और हम सही समय पर सही एक्शन लेते रहेंगे। बस आप यह सुनिश्चित करलें कि इस बात की किसी को भी कानों कान खबर न हो।
उसकी बात सुनकर कुमार सर और कमिश्नर सर के चहरे में खुशी की लहर आ गई, कमिश्नर सर बोले ग्रेट आइडिया है, वो पूर्व मंत्री होने के कारण हम उस पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उसके मुंह को खुलवा ही नहीं पाए, पर अब इस तरीके से तो हमें उसके सारे राज जो अभी तक सिर्फ मंत्री और उसके घनिष्ठ ही जानते है, वह हमें भी मालूम हो जाएंगे, और वक़्त पड़ने पर इन रेकॉर्डिंग्स को हम मंत्रीजी के खिलाफ सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते है।
कमिश्नर सर ने अनुराधा से कहा कि अभी ऑफिशियल तौर से इस केस का पूरा चार्ज तुम्हें भले ही दे रहा हूं, परन्तु ए कुमार इस मामले में “अन- ऑफिशियल हेड” रहेंगे, तुम्हें कोई इस केस के बारे में कोई भी काम कुमार के coordination में ही करना है, कुमार का कल ऑफिशली यहां पर आखिरी दिन है, दो तीन दिन के बाद मथुरा ज्वाइन करने के बाद भी वह बीच बीच में इस केस के लिए जरूरत पड़ने पर आकर तुम्हें मदद करने आता रहेगा।
इसके बाद कमिश्नर सर ने तुरंत ही एक प्राइवेट इलेक्ट्रीशियन को रात में गुपचुप तरीके से जेल के उस कमरे में छुपे हुए कैमरे इस तरह से लगवा दिए की वहां पर होने वाले व्यक्ति कि हर एंगल से रेकॉर्डिंग्स हो सकती थी और किसी को भी पता नहीं चलता।
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कमिश्नर सर के ऑफिस से अपने ऑफिस वापस आकर एक बार फिर से कुमार सर अनुराधा को बची हुई फाइलों की ब्रीफिंग में लग गए. और अनुराधा इंतजार कर रही थी कि कब शाम हो और कब वह कुमार सर के साथ उस शाम के बचे हुए वक़्त को अपनी हसीन यादों में संजो ले.
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कुटील चाल (भाग-11) – अविनाश स आठल्ये : Moral stories in hindi
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अविनाश स आठल्ये