” हेलो जी मेरा नाम सिमरन है आप शायद इस क्लब मे पहली बार आये हो क्योकि आपको पहले नही देखा यहाँ ?” आहना रैकेट लिए खड़ी थी कि एक औरत उसके पास आकर बोली।
” जी हाँ असल मे हम अभी कुछ दिन पहले ही यहां शिफ्ट हुए है और आज क्लब मे पहला दिन है हमारा वैसे मेरा नाम आहना है !” आहना शालीनता से बोली।
” बहुत अच्छा जी !! आप अकेले आये हो यहां ?” सिमरन ने दूसरा सवाल किया।
” जी नही मै अपने पति के साथ आई हूँ वो गाडी निकालने गये है …वो देखिये वो आ गये !” आहना बोली और सामने आते शख्स की तरफ इशारा किया।
” क्या …ये तुम्हारे पति है ..इनके तो अभी दाढ़ी मूँछ भी नही आई शायद …मेरा मतलब है बहुत छोटे नही है ये उम्र मे !” सिमरन ने बात संभालते हुए पूछा।
” चलो आहना !” तभी उसके पति ने उसे आवाज़ लगाई और आहना सिमरन को बाय बोल चली गई। सिमरन को आहना के पति की शारीरिक बनावट , उसकी आवाज सब बड़ा अजीब लगा वो कंधे उचकाती हुई अपनी टोली मे शामिल हो गई। पर अब उसकी नज़र रोज आहना पर होती थी वो उसके और उसके पति के बारे मे पता लगाने को मचल रही थी क्योकि उसको आहना का पति सामान्य नही लग रहा था और जैसा कि कुछ लोगो को आदत होती है दूसरों की जिंदगी मे ज्यादा ही ताक झाँक की वही आदत सिमरन को थी। कहने को वो खेलने के लिए बना क्लब था पर सिमरन के लिए वो जासूसी का अड्डा बन गया था।
” तुम्हे पता है ये जो आहना है इसका पति आदमी नही है !” एक दिन क्लब की ही एक मेम्बर निक्की ने सबके सामने रहस्य खोला।
” क्या….आदमी नही तो और क्या है ट्रांसजेंदर है क्या ..मुझे लगा ही था उसमे कुछ तो गड़बड़ है !” सिमरन एक दम से बोली।
” अरे नही नही ट्रांसजेंदर नही है …वो एक लड़की है !” निक्की बोली।
” लड़की …लड़की ने लड़की से शादी की है ये कैसे संभव है तुझे कैसे पता लगा ये बात !” एक दूसरी औरत बोली।
” हाँ लड़की ने लड़की से शादी की है वो क्या कहते है गे …गे है दोनो !” निक्की बोली।
” गे नही लेस्बियन …जब दो लड़कियां एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो शादी करे उन्हे लेस्बियन बोलते है गे पुरुषो को बोलते है पर तुझे ये बात कैसे पता लगी ?!” सिमरन ने कहा।
” हाँ हाँ वही लेस्बियन है दोनो और मजे की बात देखो दोनो ने धूमधाम से शादी की थी । रही मुझे ये बात पता लगने की याद है परसो हमने ग्रुप फोटो ली थी यहां उसमे आहना भी थी !” निक्की बोली।
” हाँ !” सभी एक साथ बोली।
” तो वो फोटो मेरी दिल्ली की एक दोस्त ने देखी ये आहना और उसका पति ऋषिका जो अब ऋषभ बन कर रह रहा उसी के मोहल्ले मे रहते है उसने इसे पहचान लिया और बताया कि कैसे इनके प्यार के किस्से मशहूर थे वहाँ । ” निक्की ने बताया।
” ओह्ह देखो तो क्या जमाना आ गया है कोई लाज शर्म नही लड़की होकर लड़की से शादी और फिर लड़का बनकर रह रही है ऐसे लोग हमारे क्लब के मेम्बर है कितने शर्म की बात है ये हमारे लिए हमें क्लब के मालिक से बात करनी चाहिए कि जहाँ ऐसे लोग रहेंगे वहाँ हम नही रहेंगे बल्कि इनका तो समाज से ही बहिष्कार कर देना चाहिए !” सिमरन बोली।
” हाँ हाँ चलो !” सारी औरते बोलने लगी।जैसे ही वो पीछे मुड़ी तो देखा आहना और ऋषभ खड़े है उन्हे देख सबने घृणा से मुंह फेर लिया।
” किस बात की शर्म आनी चाहिए हमें सिमरन जी हमने कोई चोरी की डाका डाला है ? या हम आप जैसे नही है ? ” आहना उनकी बात से आहत् हो बोली।
” तुम हमारे जैसे नही हो । तुम तो हमारी सोसाइटी के लिए कलंक हो !” सिमरन गुस्से मे बोली।
” क्यो हम इंसान नही क्या …हम भी आप जैसे ही थे अपने माँ बाप की लाडली बेटियां पर वक्त के साथ हमें पता लगा हममे कुछ अलग है बाकी लड़कियों से। हम लड़को की तरफ आकर्षित नही हुए एक बार तो लगा नियति ने हमारे साथ ये क्या खेल खेला है फिर हम एक दूसरे से मिले पता लगा हम दोनो एक से है हम करीब आते गये एक दूसरे का साथ हमें अच्छा लगने लगा। जब हमारे माता पिता को हमारे बारे मे पता लगा उनको धक्का सा लगा हमें भला बुरा भी कहा एक दूसरे से दूर किया गया।” ऋषभ बनी ऋषिका बोली।
” हाँ तो कोई भी माँ बाप ये कैसे बर्दाश्त करते !” निक्की मुंह बना कर बोली।
” जी सही कहा आपने पर इसमे हमारा क्या दोष की हमें ईश्वर ने ऐसा बनाया । घर वालों के ताने सुने पड़ोसियों की घृणा से भरी नज़रो का सामना किया यहाँ तक की घर वालों ने हमारी शादी के लिए लड़के भी देखने शुरु कर दिये थे क्योकि उन्हे लगता था हम एक दूसरे से अलग होकर भूल जाएंगे एक दूसरे को ! पर ऐसा कैसे हो सकता था ये कोई आकर्षण नही था बल्कि हमारे अंदर की कमी या यूँ कहो हममे अलग बात थी जो दूसरी लड़कियों मे नही होती । नियति के एक खेल को हमने हँस कर झेल लिया पर जब हमे देखने लड़के वाले आने लगे तब लगा अगर हमारी शादी किसी से कर दी गई तो एक नहीं चार जिंदगियां तबाह होगी क्योकि हम किसी लड़के को अपने जीवन साथी के रूप मे स्वीकार नही कर सकते थे। ” आहना बोली।
” कितने जुल्म सहे हमने कितने ताने सुने कितने कितने दिन तक हमें कमरे मे बंद रखा गया। फिर हमने निश्चय किया अपने घर वालों से दो टूक बात करने की तब हमने अपने घर वालों को समझाया उन्हे ऐसे और लोगो के विडिओ दिखाए उनके बारे मे बताया उन्हे बताया कि अब तो लेस्बियन रिश्ते को कानून की रजामंदी भी मिल गई है । उन्हे बताया कि हमारी शादी जबरदस्ती किसी लड़के से कर भी दी गई तो ना हम खुश रहेंगे ना वो क्या होगा अगर कल को उन लड़को ने हमें तलाक दे दिया तो ?” ऋषभ ने कहा।
” तब जाकर हमारे घर वालों ने इस शर्त पर हमारी शादी करवाई की हम उनसे दूर चले जाएंगे तब ऋषिता ने लड़के का रूप बनाया क्योकि हम नही चाहते थे कोई हमें ताने दे । पर नियति से एक बार तो लड़ लिए हम लेकिन वो बार बार हमारे आगे नई परीक्षा ले आती है लोगो को जैसे ही हमारे बारे मे पता लगता है वो हमें नफरत से देखने लगते है पर क्यो? ” आहना आँखों में आँसू भरकर बोली तो ऋषभ ने उसे संभाला।
” देखिये हम लोग नियति से लड़ते लड़ते खुद को सही साबित करते करते थक गये है । हम एक दूसरे के साथ खुश है फिर क्यो किसी को हमारी खुशी रास नही आ रही हमने कोई गलत काम नही किया। आप सब लोग भी मानते है ना जोड़ियाँ उपर से बनकर आती है तो हमारी जोड़ी भी तो उसी ईश्वर ने बनाई होगी फिर क्यो आप लोग हमारे रिश्ते को नफरत से देखते है क्या शादी का मतलब दो लोगो की खुशी नही होती ? फिर हम खुश है एक दूसरे के साथ तो क्या दिक्कत किसी को !” ऋषिता बोली। उन दोनो की बाते सुन वहाँ मौजूद लोगो की आँखों मे घृणा कम हो गई थी।
” पर शादी सिर्फ दो लोगो की खुशी नही होती वो माध्यम होती है वंश बढ़ाने का आप दोनो पति पत्नी तो बन गये पर माँ बाप कैसे बनेंगे !” एक महिला ने सवाल किया ।
” जरूरी नही हम लड़का लड़की माँ बाप बनते ही है उनमे भी कोई कमी हो जाती है जिससे वो इस सुख से वंचित रहते है । वैसे भी हमने निश्चय किया है दो बच्चियों को गोद लेने का । जिसके लिए हमने कई अनाथाश्रमो से सम्पर्क भी किया है !” आहना बोली।
” देखिये हम लोगो को सफाई दे देकर और जगह बदल बदल कर थक चुके है आप लोग हमें क्या इस क्लब से निकालेंगे हम खुद ही यहां नही आना चाहते यहाँ पर आप प्लीज हम पर हमारे रिश्ते पर ऊँगली उठाने की जगह हमें समझे । हमने कोई अपराध नही किया शादी की है वो भी अपनी पसंद से तो आप लोग हमें सामान्य पति पत्नी की तरह समझे ना की हमें दया या नफरत की दृष्टि से देखें !” ऋषिका ने कहा।
” आपको इस क्लब को छोड़ने की कोई जरूरत नही है जिन्हे आप लोगो से दिक्कत है वो खुद यहां से जा सकते है वैसे भी जो लोग दूसरों को खुश देख खुश नही उनका हमारे क्लब मे कोई स्वागत नही आप लोग अपनी अपनी फीस वापिस ले सकते है । आहना जी और ऋषभ जी मुझे खुशी है आप जैसे प्यारे पति पत्नी हमारे क्लब के सदस्य है । !” तभी वहाँ क्लब का मालिक आकर बोला। उसकी बात सुनकर सभी का सिर झुक गया। आहना और ऋषभ ने क्लब छोड़ने को बहुत कहा पर उसका मालिक तैयार ना हुआ वहाँ मौजूद बाकी सब लोगो को भी समझ आ गया था लेस्बियन होना कोई अपराध नही है वैसे भी जब वो दोनो एक् दूसरे के साथ खुश है तो किसी को कोई परेशानी नही होनी चाहिए उन्होंने आहना और ऋषभ से माफ़ी मांग ली और खुले दिल से उनका और उनके रिश्ते का स्वागत किया। ऋषभ और आहना को आज लगा की उन्होंने नियति को हरा दिया क्योकि कम से कम कुछ लोग तो अब उनके रिश्ते को समझने लगे है।
दोस्तों कोई भी लेस्बियन या गे अपनी खुशी से नही होता ये कुछ लोग मे स्वभाविक रूप से होता है ऐसे लोग बहुत कुछ झेलने के बाद अपनी मंजिल पाते है ऐसे मे बजाय की उनको घृणा की दृष्टि से देखने के उन्हे उनके रिश्ते को खुले दिल से स्वीकारना चाहिए क्योकि उन्ह नियति ने ऐसा बनाया तो क्या हुआ खुश रहने का हक तो उन्हे भी है ना।
दोस्तों ये एक काल्पनिक कहानी है पर कुछ लोगो की हकीकत भी है शायद जिसे कुछ लोग शायद स्वीकार ना करे तो ऐसे लोगो से हाथ जोड़कर विनती है नकारात्मक टिप्पणियां ना करे उन जोड़ो का दर्द समझे । साथ ही कहानी लिखने मे कोई त्रुटि हुई हो या किसी की भावनाये आहात हुई हो तो मैं तहे दिल से क्षमा चाहती हूँ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल ( स्वरचित )
#नियति