हाय माधुरी, क्या बात है? आजकल तो ईद का चाँद हो गई हो, नजर ही नहीं आती।
क्या बताऊँ यार ! गृहस्थी की जिम्मेदारियों से फुर्सत ही नहीं मिलती। मैं तुम्हारे जैसी भाग्यशाली कहाँ हूँ। तुम्हारी तो बहुओं ने सारी जिम्मेदारी उठा ली है। मजे तो बस तुम्हारे ही हैं, सातों सुख भोग रही हो
हाँ , इसमें तो कोई शक नहीं है माधुरी, बहुएं बहुत समझदार हैं मेरी। तुम भी देव की शादी कर ही लो न, अब तो जॉब भी लग गई है उसकी। घर में रौनक हो जायेगी और तुम्हारा अकेलापन भी दूर हो जायेगा।
हाँ शालू लड़कियाँ तो कई देखी है हमने, पसंद भी आईं पर सारी बात कुंडली पर आकर रुक जाती है। कोई लड़की नहीं जमती और जो सही लगती है उसकी कुंडली नहीं मिलती।
क्या बात ले बैठी हो तुम भी इक्कीसवीं शताब्दी में। जिनकी कुंडली मिला कर शादी होती हैं उनके झगड़े नहीं होते या कोई अनहोनी नहीं होती उनके जीवन में। ये सब बातें मैं तो नहीं मानती। अभी पिछले साल ही तो गुप्ता जी के बेटे का विवाह हुआ था, पूरे 28 गुण मिले थे और देख लो साल भर के अंदर ही तलाक भी हो गया।
पर शालू मेरे मन में तो बचपन से ही यह बात इस कदर घुसी हुई है कि ग्रह न मिलने के कारण होने वाले अनिष्ट की आशंका से ही कांप उठती हूँ।
काफी दिन गुजर गये माधुरी से कोई मुलाकात ही नहीं हो पाई। एक दिन वह अपने पति के साथ बेटे की शादी का कार्ड देने आई, बहुत खुश थी वो। अच्छी लड़की मिल गई थी उसे और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि गुण भी पूरे 32 मिले थे दोनों के।
दो साल बाद उसका फोन आया, शालू मैं आ रही हूँ तुम्हारे पास। जल्दी फ्री हो जाना काम से फिर तुम्हें मेरे साथ चलना है।
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मैंने पूछा, कहाँ?? तो वो बोली,, यह वहीं आकर बताऊंगी।
जब वह आई तो मैंने कहा,, कितने सस्पेंस में रख छोड़ा है तुमने सुबह से। काम में मन ही नहीं लग रहा। बार बार दिमाग में यही बात आ रही है , जाने कहाँ ले जायेगी मुझे ऐसे कोई करता है क्या?
माधुरी हँसते हुए बोली,, चल, एक खुशखबरी सुनाऊँ तुम्हें, मैं दादी बनने वाली हूँ।
क्या सच में!! यह तो बड़ी खुशी की बात है।
चल अब जल्दी तैयार हो जा। ज्योतिषी के पास चलना है, कल बहू का ऑपरेशन है।
वो तो डॉक्टर करेगा न, इसमें ज्योतिषी का क्या काम है?
यार तुम सवाल बहुत पूछती हो। जब ऑपरेशन ही करवाना है तो क्यों न शुभ मुहूर्त में ही करवाया जाये। सारे ग्रहों की स्थिति कुंडली में ठीक होगी तो आगे चलकर परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
मैं अवाक् हो कर उसका मुँह देख रही थी। क्या इसे पूर्वनियोजित भाग्य निर्माण या अपनी इच्छानुसार कुंडली निर्माण कहना उचित न होगा? क्या इस तरह से प्राप्त ग्रह फल सही होगा? फिर तो दुनियाँ में कोई दुःखी ही नहीं होगा सारे ग्रह हमारी मर्जी के अनुसार ही कार्य करेंगे और चारों तरफ अमन चैन होगा।
आज जहाँ दुनियाँ मंगल ग्रह पर पहुँच गई है वहाँ हमारे देश के लोग पूजा पाठ और अनुष्ठान से मंगल ग्रह की दशा बदल देते हैं। है न कमाल की बात
कमलेश राणा
ग्वालियर