आज उसकी शादी की सालगिरह है । किसी की विवाह की वर्षगांठ हो या जन्मदिन महिला-मंडल की सब महिलाएं मुबारक बाद देने ज़रूर आती हैं। सब लोग मिलकर एक छोटी सी पार्टी इन्जाय करते हैं।।
उपहारों के आदान-प्रदान की सख्त मनाही है, इसलिए सब लोग बेझिझक होकर एक दूसरे के घर आते हैं । इस लिए वह सुबह से ही तरह तरह की डिशेज बनाने में जुटी हुई थी। धीरे धीरे सभी सदस्य पहुंच गए और बात चीत के साथ खाने-पीने का दौर भी शुरू हो गया ।
“स्नैक्स बहुत अच्छे बने थे ” मिसेज कपूर ने खुश हो कर कहा ।
“पर चाय का मजा नही आया , स्नैक्स लेते लेते ठंडी हो गई थी ।”अब मिसेज नरूला बोली ।
“कोई बात नहीं ,एक एक कप चाय मैं और बना देती हूँ ।”उसने कहा और किचन की ओर चल पड़ी ।चाय बनाते समय वर्षों पहले घटी घटना फिर याद आ गई ।
इसी तरह सब लोग बैठे थे । पर मिसेज शर्मा नदारद थी ।बातचीत के दौरान सुई मिसेज शर्मा की ओर घूम गई । उनका हंसता -खेलता संयुक्त परिवार था , पर आज कल कुछ पारिवारिक समस्या चल रही थी ।
“सुना है, दोनों भाई अलग हो गए हैं ।यहां तक कि पूरे बिजनेस का भी बंटवारा हो गया है ।” मिसेज नरूला ने कहा ।
” क्या ? कब ? कैसे ? ” सब ने चौंक कर पूछा ।
” अभी पिछले हफ्ते ही । दोनों भाइयों ने आपसी सहमति से ही सब तय कर लिया । ” मिसेज नरूला बोली
“आपसी सहमति से ? इतना बड़ा घर , बिजनेस ,जमीन , जायदाद और बंटवारा इतनी सहजता से ! बात कुछ हजम नहीं हुई । ” मिसेज कौशिक कुछ हैरान हो कर बोली ।
“कल मुझे मिसेज शर्मा मिली थी ।कह रही थी कि परिवार के सब लोगों ने मिलकर तय किया है कि नीचे वाले फ्लोर पर वह रहेगी और ऊपर वाले फ्लोर पर उनकी देवरानी । ” मिसेज नरूला ने कहा
“देवरानी मान गई ?”मिसेज कौशिक हैरान हो कर बोली “
” मिसेज शर्मा को घुटनों की समस्या है न ! उन्हें सीढ़ियां चढ़ने उतरने में परेशानी होती है । इस लिए यह उनकी देवरानी का ही सुझाव था ।” मिसेज नरूला बोली
“क्या ?”सब हैरान हो कर बोली
” अरे ! यह सब बहाने हैं ।असल में कोई आए , कोई जाए । दरवाजा खोलने ,बंद करने की जिम्मेदारी निचले फ्लोर वालों की होती है । ऊपर फ्लोर वालों का इससे कोई मतलब नही होता है । फिर ऊपर वाला फ्लोर ज्यादा सुरक्षित होता है ।” मिसेज मेहता ने कटाक्ष किया ।
हम किसी की अच्छाई को अच्छाई की तरह क्यों नहीं ले सकते हैं । वह मन ही मन सोच रही थीं ।
” इतना बड़ा बिजनेस है , उस का क्या किया ?”मिसेज कौशिक ने पूछा
“शो रूम का काम शर्मा जी सम्हालेंगे और बाहर काम उनका देवर “मिसेज नरूला ने उसका समाधान किया ।
“बहुत चालाक हैं , दोनों पति-पत्नी ! बाहर का काम सम्हालते सम्हालते उनका देवर पूरा का पूरा बिजनेस अपने हाथ में कर लेगा ।”मिसेज कौशिक फिर विष उगलने लगी।
“मिसेज शर्मा की बेटी तो अब विवाह योग्य है । पता नहीं कैसे होगा यह सब ?” मिसेज कपूर बोली । लिप सिम्पैथी हम भले ही कितनी दिखाएं पर दूसरों को विपत्ति में देख कर हम मन ही मन पता नहीं क्यों खुश होते हैं । दूसरों का दुखी होना ही हमारी खुशी का कारण बन जाता है । पर यह क्या ?
” उस का भी समाधान दोनों भाइयों ने सोच लिया है । बंटवारा करने से पहले ही बेटी की शादी के लिए पैसे रख लिये हैं ।” मिसेज नरूला ने उत्तर दिया ।
सब का मुंह खुला का खुला रह गया ।
“कुछ मजा नहीं आया ।” मिसेज कौशिक फिर बोली ।
“क्या मतलब ?” सब ने हैरान हो कर पूछा ।
“कुछ नहीं मेरे कहने का मतलब था कि बंटवारे ऐसे थोड़े ही न होते हैं ?उन्हें अपने रिश्तेदारो को भी बुलाना चाहिए था , किसी अच्छे वकील से भी सलाह मशविरा करना चाहिए था ।” उन्होंने बातें बनाते हुए कहा । पर उनके लहजे से स्पष्ट झलक रहा था कि समस्या का यह सौहार्द पूर्ण समाधान उन्हें रास नहीं आ रहा ।वह मिसेज शर्मा का तमाशा बनता देखना चाहती थी ।
वह सोच में पड़ गई । यह कैसी मित्रता है ? सामने कुछ , और मन में कुछ और । हम किसी का भला नहीं कर सकते हैं तो किसी का बुरा तो न चाहें। दूसरे यह कैसी मानसिकता है ? मिसेज कौशिक ही नहीं , आज कल अधिकतर लोगों को दूसरों की खुशी जहां अंदर ही अंदर सालती है वहीं दूसरों का दुख एक आंतरिक संतोष प्रदान करता है । पता नहीं क्यों ?
बिमला महाजन