कुछ करने की चाह – स्नेह ज्योति : Moral Stories in Hindi

आरव बहुत कश्मकश में था । इसलिए शाम को जैसे ही जय ऑफ़िस से आया तो आरव पानी का गिलास लेकर गया और अपने पापा के पास बैठ गया ।

क्या बात है आरव कुछ कहना है ……

हाँ जी , पापा इस साल मुझे इंटर्न शिप करनी है । तो आप मुझे बता दीजिए इनमे से कौन सी कम्पनी चुनूँ ????

थोड़ी देर बाद जय बोला “ यें कम्पनी ठीक नहीं है “। मैं तुम्हें बाद में बताता हूँ कौन सी कम्पनी सही है । ऐसे ही बात आयी गयी हो गयी ।जय अपने काम में इतना व्यस्त हो गया कि आरव को सही दिशा दिखा नहीं पाया ।

एक दिन उसने अपने दोस्त के कहने पर ऑनलाइन अपना सीवी बना अपलोड कर दिया तभी उसे काम के लिए ऑफ़र आया और उसे बोला गया कि आपको आपके काम के पैसे नहीं बल्कि सर्टिफ़िकेट दिया जाएगा ।

आरव को इंटर्न शिप करनी थी तो उसने हाँ कर दी ।

आरव कॉलेज के बाद घर से बैठे बैठें काम करने लगा । ये बात उसने अपने पापा को नही बताई । क्योंकि उसे लगता था कि वो मना कर देंगे ।

उनके पास समय नहीं है और मैं और समय बर्बाद नही कर सकता । जब उसकी इंटर्न शिप ख़त्म होने को आयी

तो कम्पनी वालों ने बोला कि “अगर आपको सर्टिफ़िकेट चाहिए तो आपको दस हज़ार रुपए देने होंगे “। ये सब जान उसे बड़ा आश्चर्य हुआ । अब आख़िरी समय पर यें ऐसे कैसे कह सकते है ।

इस बात ने उसे बहुत परेशान कर दिया । उसने अपने दोस्त से पूछा तो उसने कहा यार बहुत सी कम्पनी सर्टिफ़िकेट के पैसे माँगती है ।

बताओ यार इनके लिए हम फ़्री में काम करे और हमसे ही पैसे भी माँगे ।

उसने जैसे तैसे अपनी सेविंग से और कुछ अपने दोस्त से उधार ले उसने सर्टिफ़िकेट के पैसे देने का सोचा ।

आरव जब घर आया तो उसके पापा जो कम्पनी के काम से बाहर गए थे वापस आ गए । जय ने आरव से पूछा और तुम इंटर्न शिप कर रहे हो । कैसा चल रहा है सब …..

पापा मेरी इंटर्न शिप हो गयी है बस मैं पैसे जमा कर दूँ , फिर मुझे सर्टिफ़िकेट मिल जाएगा ।

यें कौन सी कम्पनी है जो पैसे ले रही है । जरा मुझे बताओ इस कम्पनी के बारे में ! आरव ने जब सब कुछ अपने पापा को बताया

तो जय ने इंटर नेट पर रिसर्च की तो पता चला कि कम्पनी फ़र्ज़ी हैं। ऐसी फ़र्ज़ी कंपनिया ना जाने हर साल कितने बच्चों को अपने झाँसे में फाँस उनके उज्जवल भविष्य को अंधकार में धकेल रफ़ूचक्कर हो जाती है ।

कुछ दिनो बाद जब आरव ने सुना कि जिन बच्चों ने पैसे दे दिए थे उनको जो सर्टिफ़िकेट मिले है वो मान्य नहीं है । तब उसे एहसास हुआ कि पापा सही थे । ऐसे ही किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए । आज मैं पापा की वजह से किसी के झाँसे में आने से बच गया । शाम को वो अपने पापा के पास गया और शुक्रिया कहने लगा ।

नहीं बेटा , इसमें गलती मेरी है ! मुझे माफ करना ! अगर मैंने तुम्हारी बात को महत्व दिया होता । सही वक्त पे सही सलाह दी होती , तो आज तुम इस धोखे के शिकार ना होते ।

दोस्तों अगर हम चाहतें है कि बच्चे सही दिशा में चले ,तो हमें हमेशा उनका मार्गदर्शक बनकर चलना चाहिए ।

#झाँसे में आना

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

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