माधवी अपने कमरे से निकल कर माँ को आवाज़ देती है कि माँ जल्दी से लंच बॉक्स दे दीजिए सुनीता आ रही होगी ।
हो गया है बेटा ला रही हूँ कहती हुई सरस्वती बॉक्स उसके हाथ में थमा कर कहती है कि जल्दी आ जाना बिटिया देरी करोगी तो मेरा दिल बैठा जाता है ।
अरे माँ मैं कोई छोटी बच्ची हूँ क्या जो अपना ख़याल नहीं रख सकती हूँ और मैं अकेली नहीं मेरे साथ सुनीता भी है ।
सुनीता और माधवी दोनों पक्की सहेलियाँ हैं । बचपन से एक ही कक्षा में पढ़ती आई हैं। अब वे दोनों एक ही कॉलेज में इंजीनियरिंग के लास्ट ईयर में पढ़ाई कर रही थीं । वे आज बहुत खुश हैं क्योंकि उनके कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट के लिए कुछ कंपनियाँ आ रही हैं दोनों ईश्वर से यही प्रार्थना कर रही थीं कि उन्हें एक ही कंपनी में जॉब मिल जाए ।
माधवी माँ को बॉय कहते हुए सुनीता के साथ कॉलेज के लिए निकल गई । उनके कॉलेज पहुँचते ही उन्होंने दूसरे लड़के लड़कियों को ऑडिटोरियम की तरफ़ जाते हुए देखा तो सुनीता ने कहा कि माधवी चल लगता है कंपनियों के लोग आ गए हैं।
उन दोनों ने यही सोच लिया था कि वे एक ही कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई करेगी इसलिए दोनों एक जगह बैठ गए।
माधवी को पहले बुलाया गया और उसको कंपनी से ऑफ़र लेटर मिला। लेकिन वह सुनीता का इंतज़ार कर रही थी कि जिसे उसके बाद बुलाया गया था । उसे डर सता रहा था कि सुनीता को उसी कंपनी में जॉब मिलेगा कि नहीं?
जैसे ही सुनीता बाहर आई उसके चेहरे को देखकर समझ गई कि उसे भी ऑफ़र लेटर मिल गया है दोनों सहेलियों ने एक दूसरे को गले लगा लिया ।
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माधवी ने घर पहुँच कर अपने माता-पिता को बताया कि उसका और सुनीता को एक ही कंपनी में जॉब लग गया है । सरस्वती खुश हो गई कि बेटी को नौकरी मिल गई है । उसने और पति ने यह सोच लिया था कि माधवी एक दो साल नौकरी कर लेगी फिर उसकी शादी करा देंगे ।
वह समय भी आ गया था जब दोनों सहेलियों ने माता-पिता को बॉय कहकर नौकरी के लिए हैदराबाद पहुँच गए । वहीं पर उन्होंने एक सर्विस अपार्टमेंट लिया और ऑफिस आने जाने लगे । ऑफिस तो एक ही था परंतु वे अलग-अलग टीमों में थीं ।
सुनीता की उसके टीम में ही काम करने वाले सुशील से अच्छी दोस्ती हो गई थी । उसने माधवी से भी उसका परिचय कराया था । माधवी बातूनी नहीं थी सब लोग दस बातें करते थे तो उसके मुँह से एक शब्द निकलता था वह भी ज़रूरी है तो ही । इसलिए सुनीता के अलावा उसके कोई दोस्त नहीं बन पाए थे । इधर सुनीता माधवी के साथ साथ और भी बहुत लोगों के साथ बातचीत करती थीं । अब तो अलग टीम है तो उसके अलग से कुछ मित्र बन गए थे । जिनमें उसका टीम मेट सुशील भी था जिसका परिचय माधवी उसने कराया था परंतु माधवी उससे दूर ही रहती थी । सुनीता के कारण वह उन दोनों के साथ घूमने या रेस्टोरेंट में जाने लगी थी लेकिन उनकी बातों को सुनती रहती थी ।
सुनीता को उसके पिता का फोन आया था कि दादी की तबीयत बहुत खराब है तुम्हें देखना चाहती हैं दो तीन दिन छुट्टी लेकर आ जा । सुनीता ने माधवी को पिता की बातें बताकर अपने गाँव चली गई । उसके जाने के बाद भी सुशील माधवी से मिलने आ ही जाता था । माधवी उसकी बातों को मुस्कुरा कर सुनती रहती थी ।
सुनीता की दादी के गुजर जाने के कारण उसे आने में दस दिन लग गए थे । इस बीच सुशील और माधवी के बीच नज़दीकियाँ बढ़ गई थीं ।
सुनीता जब गाँव से आई तो उसे ऑफिस में ज़्यादा देर तक रुक कर अपना पेंडिंग काम को पूरा करना पड़ रहा था ।
उसने देखा कि माधवी और सुशील एक-दूसरे के साथ ज़्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं । उन्हें फ़िक्र ही नहीं है कि सुनीता उनके साथ आना चाहती है या नहीं । यह बात सुनीता को खटकने लगी क्योंकि वह सुशील को चाहने लगी थी । उसे लगता था कि माधवी सुशील को उससे छीन लेगी । वैसे अभी तक उसने सुशील को अपने दिल की बात बताई नहीं थी ।
एक दिन जब सुनीता घर पहुँची तो देखा सुशील उनके घर पर ही था माधवी उसके लिए चाय बना रही थी । म सुनीता को देखकर माधवी ने कहा जा फ्रेश होकर आजा मैं तेरे लिए भी चाय बना रही हूँ । सुनीता ने कुछ नहीं कहा क्योंकि सुशील को अपने घर माधवी के साथ देखकर उसके दिल में यह बात खटक गई थी । । उसने उनकी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं ली और चाय पीकर अपने कमरे में चली गई । माधवी को लगा कि थक गई होगी इसलिए बातें नहीं कर रही है ।
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समय का पहिया ऐसा घूम गया कि अब सुशील सुनीता का दोस्त नहीं बल्कि माधवी का प्रेमी बन चुका था । अब उन्होंने सुनीता को अपने साथ बुलाना बंद कर दिया था । वे दोनों ही एक दूसरे के साथ अधिक समय बिताने लगे थे ।
इस बात को सुनीता ने भी महसूस किया । उसे अच्छा नहीं लगा था कि सुशील माधवी का होता जा रहा है । उसके मन में बदले की भावना पनपने लगी ।
एक दिन उसने अपने घर में बहुत क़रीब होते हुए देखा । उसका चेहरा ग़ुस्से से तमतमा उठा । उन्हें ना हाय कहा ना बॉय कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया उसकी आँखों के सामने दोनों एक दूसरे के गले लग रहे थे यही चित्र उभर कर सामने आ रहा था । उसकी आँखें भर आईं थीं ।
उस दिन के बाद से उसने यह भी नोटिस किया था कि वे दोनों आए दिन ऑफिस से लंच के समय या ऑफिस से जल्दी निकल जाते थे । उसके दिमाग़ ने एक घटिया प्लान तैयार कर लिया और एक छोटे से कैमरे को माधवी के कमरे में इस तरह से लगाया कि उन दोनों को पता ही नहीं चल पाए ।
प्लान के मुताबिक़ जब वे दोनों अपना समय बिता कर चले गए तो सुनीता ने उस कैमरे को वहाँ से हटा दिया था । समय बीतता रहा । एक दिन सुशील ने माधवी को बताया था कि हमारे टीम में एक नया बंदा आया है उसका नाम अजय है । सुनीता की उसके साथ दोस्ती हो गई है । माधवी खुश हो गई थी कि चलो उसकी सहेली को भी एक अच्छा लड़का मिल गया है । वह इस बात से अनजान थी कि सुनीता उससे नाराज़ है।
माधवी तबीयत खराब होने के कारण ऑफिस नहीं जा पाई थी और घर में ही सो रही थी । सुनीता समय पर ऑफिस चली गई थी ।
माधवी गहरी नींद में सो रही थी कि अचानक दरवाज़े पर बिना रुके बेल बजाने की आवाज से माधवी घबरा गई और उठकर डोर ओपन करने गई । उस तरफ सुशील खड़ा हुआ था जैसे दरवाज़ा खुला अंदर आ गया और दरवाज़ा बंद कर दिया था ।
माधवी ने कहा कि मेरी तबीयत ख़राब है सुशील कुछ बात करनी है तो कल करेंगे उसने उसकी बातों की तरफ़ ध्यान नहीं दिया और ना ही पूछा कि क्या हुआ है दवाई खाई या मैं ले आऊँ ।
उसके सामने अपने फोन पर एक वीडियो दिखाई जिसे देख कर माधवी के होश उड़ गए । उस वीडियो में सुशील और उसकी नज़दीकियों को शूट किया गया था । उसने हैरानी से सुशील की तरफ देखा तो वह ग़ुस्से में लाल हो रहा था और कहा कि आज से मेरी तुम्हारी दोस्ती कट मुझे फिर अपना चेहरा दिखाने की कोशिश नहीं करना कहते हुए उसकी बात बिना सुने चला गया ।
सुनीता जब शाम को घर पहुँची तो माधवी को रोते देख उससे रोने का कारण पूछा । जब माधवी से सुना कि सुशील उसे छोड़ कर चला गया है तो वह मन ही मन खुश हुई कि मुझे जो नहीं मिला वह तुम्हें कैसे मिल सकता है माधवी । यह मेरा ही तो कमाल है ।
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उसने माधवी को बताया था कि मेरे पिताजी ने एक सप्ताह पहले फोन किया और मुझसे कहा कि मैं उन्हें दो लाख रुपए अर्जेंट भेजूँ क्योंकि भाई के लिए इंजीनियरिंग की फीस भरनी है ।
मैंने उन्हें बताया था कि मैं अपनी सेलरी में पैसे बचाकर रखती हूँ । अब मैं पैसे कहाँ से लाऊँ बोल हम यहाँ किराया खाना पीना कपड़े लत्ते में पैसे खर्च कर लेते हैं । उन्हें पता चलेगा कि मैंने एक भी पैसा नहीं बचाया है तो नौकरी छुड़वा कर शादी करा देंगे इसलिए अजय से उधारी ले कर उन्हें भेज दिया है।
माधवी ने सिर्फ़ सुना परन्तु जवाब नहीं दिया क्योंकि वह खुद बहुत दुखी थी उस वीडियो को देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यहाँ घर में किसने कैमरा रखा होगा । उसके मन में एक बार सुनीता पर शक हुआ परन्तु वह तो उसकी जिगरी दोस्त है ।
इसी उधेड़बुन में उसके दिन गुजर रहे थे सुशील तो उससे कन्नी काटकर फिर से सुनीता के साथ रहने लगा था । अब वे घर नहीं आते थे । माधवी ने उन दोनों को देख कर भी अनदेखा कर दिया था । अजय एक दिन अचानक उसके घर में आकर कहता है कि मेरे साथ चलो वर्ना यह वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट कर दूँगा । माधवी को समझ में नहीं आ रहा था कि कौन सा वीडियो है जब उसने दिखाया तो यह वही वीडियो था जिसे सुशील ने दिखाया था ।
माधवी ने उससे पूछा कि यह तुम्हारे पास कहाँ से आया पहले तो ना नुकुर करता रहा फिर कहा मेरे साथ चल तब बताऊंगा । मजबूरी में माधवी उसके साथ चली गई और कुछ कमजोर पलों में उसने बताया था कि सुनीता ने उसे पैसे लेकर दिया है ।
माधवी को लगा कि वह बेहोश हो जाएगी कभी भी उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी अपनी सगी सहेली इस तरह का काम कर सकती है ।
उसे लगा कि मुझे डरना नहीं चाहिए है आज सुनीता ने अजय को पैसों के लिए वीडियो दिया कल किसी और को देगी मुझे उस पर रोक लगाना है यह सोचकर हिम्मत करके वह पुलिस के पास पहुँची। पुलिस ने भी उसका साथ देने का वादा किया क्योंकि आजकल इस तरह के साइबर क्राइम बहुत बढ़ गए हैं ।
माधवी कमरे में गई तो देखा सुनीता अकेली बैठी हुई है माधवी ने बिना किसी भूमिका के सुनीता से पूछा तुमने अजय को मेरा वीडियो भेजा है ।
सुनीता ने कहा कौनसा वीडियो कैसा वीडियो..
माधवी- वही जिसे भेज कर भाई के इंजनीयरिंग की फीस भरी थीं ।
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सुनीता ने पहले तो ना कहा पर फिर कह दिया था कि सुशील से मैं प्यार करती थी और तुमने मुझसे उसे छीन लिया है इसलिए जब मुझे पता चला कि तुम दोनों हमारे घर में ही समय बिता रहे हो तो मैंने कैमरा फिट कर दिया था ताकि तुम्हें ब्लैक मेल करूँ परंतु पिताजी ने जब पैसे माँगे तो मुझे यह कदम उठाना पड़ा ।
माधवी रोते हुए बोली कि सुनीता तुम एक बार कहकर तो देखती कि तुम सुशील से प्यार करती हो तो मैं तुम्हारे रास्ते से हट जाती । हम तो बचपन के दोस्त हैं और तुमने तो मुझे एक हिंट भी नहीं दिया था । मेरी ज़िंदगी खराब करने के पहले एक बार सोचा होता तुमने तो गुनाह किया है ।
उसी समय पुलिस अंदर आती है और सुनीता को अरेस्ट कर लेती है । सुनीता माधवी को अपनी दोस्ती की दुहाई देती है और कहती है कि मुझे अफ़सोस है मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूँगी परंतु माधवी कहती है सुनीता कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता है उसकी सज़ा तो भुगतनी ही पड़ती है ।
माधवी अपने घर पहुँच कर माता-पिता को सब कुछ बता देती है और कहती है कि मुझे जो सज़ा आप देना चाहते हैं दीजिए मैं उसे भुगतने के लिए तैयार हूँ। सुनीता ने ही नहीं मैंने भी आपके विश्वास को तोड़ा है और गुनाह किया है और उसके लिए प्रायश्चित नहीं किया जा सकता है ।
माधवी के माता-पिता ने उसे माफ़ किया है या नहीं यह तो मालूम नहीं है पर एक जवान बेटी को आँखों के सामने देखते हुए एक जिंदा लाश की तरह जी रहे हैं ।
दोस्तों किसी भी रिश्ते में भरोसे को क़ायम रखना ज़रूरी होता है चाहे वह दोस्ती का हो या किसी और का भरोसे के टूटने पर रिश्ता टूट जाता है इस तरह की घटनाओं से हमें सबक सीखना चाहिए।
के कामेश्वरी