कौन अपना कौन पराया – स्नेह ज्योति : Moral Stories in Hindi

यश शिवांगी से आए दिन लड़ता रहता था । उनकी शादी को दो साल हो गए थे । लेकिन यश ने कभी भी अपनी पत्नी की कद्र नहीं की ।

इसलिए वो शिवांगी को छोड़ किसी और से रिश्ता जोड़ बैठा । यश की हरकतों से तंग आ उसके माँ – बाप ने तो उससे रिश्ता ही तोड़ लिया था ।

लेकिन जब शिवांगी माँ बनने वाली थी । तो उसकी ख़ुशी की ख़ातिर वो उसे माफ करने को तैयार हो गए । उन्हें एक उमीद की किरण दिखी की शायद अब यश को अक़्ल आ जाए और वो घर वापस आ जाए ।

जब शिवांगी हॉस्पिटल में दर्द से कराह रही थी तो उसके अंदर के सारें दर्द आँसुओं में बह गए ।कुछ देर बाद जब सबको पता चला कि शिवांगी ने प्यारी सी बेटी को जन्म दिया है । तो सब खुश थे , लेकिन यश उदास था ! क्योंकि उसे बेटा चाहिए था ।

जब वो बच्ची को मिला तो उसे देखा भी नहीं और शिवांगी को हाथ में तलाक़ के पेपर थमा जाने लगा । यें सब देख उसके माँ – बाप ने कहा तुझे तो कहीं जा के डूब मरना चाहिए ! जो अपनी औलाद को नही अपना सकता , वो बाप कहलाने के क़ाबिल नहीं हैं ।

लेकिन यश की सोच और दिल दोनो पत्थर के हो चुके थे ।जो कोई उम्मीद बाक़ी थी वो भी टूट गयी ।

जब सब बच्ची को लेकर घर आए तो शिवांगी का भाई सब सच जानने के बाद उसे लेने आया । लेकिन शिवांगी ने जाने से मना कर दिया । उसके भाई ने उसे बहुत समझाया अभी तुम्हारी उम्र ही क्या हैं ?? मैं तुम्हारी दूसरी शादी करूँगा !

लेकिन शिवांगी अपना फ़ैसला कर चुकी थी । इस घर और अपनी बेटी को छोड़ मैं यश की तरह गलती नही करूँगी । यश के माँ बाप दोनो ने शिवांगी के आगे हाथ जोड़ें और अपने बेटे की ग़लतियों की माफ़ी माँगी ।

आज रिया दस वर्ष की हो गयी है ,लेकिन यश एक बार भी अपनी बेटी से मिलने नहीं आया । अपने बेटे की इन हरकतों के कारण उनका डूब मरने का दिल करता है । लेकिन शिवांगी और रिया की हँसी और प्यार से वो फिर से जी उठते हैं ।

बुरे वक्त में जो आपका साथ दे वोही अपना हैं वोही मान के क़ाबिल है ।

#डूब मरना

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

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