सारे लोग आज सरला चाची के घर पर इकट्ठे हो रखे थे सौ लोग सौ तरह की बातें कर रहे थे… इन सब के बीच में किसी के ज़ोर जो से रोने की आवाज़ कानों को भेद रही थी… करूण रुदन सुन कर सबका मन व्यथित हो रहा था पर होनी तो हो चुकी थी ।
“ देखो सरला बहन अब तो बेटे को प्यार से जाने दो…बहुत ताने देती रही उसको अंतिम विदाई प्रेम पूर्वक करो।”पड़ोस में रहने वाली हमउम्र लता चाची ने कहा
ये सुनते ही सरला फूटफूट कर रोते हुए ज़मीन पर पड़े अपने बेटे बिरजू को सीने से चिपका ली
पूरे ग़मगीन माहौल में बिरजू को मोहल्ले वाले ने अंतिम विदाई दी ।
सरला चाची और उनके पति किशन का इकलौता जवान बेटा उन्हें रोता बिलखता छोड़ कर चला गया और इन सब के लिए सरला चाची खुद को क़सूरवार ठहरा रही थी… पति लाख समझाते होनी को कौन टाल सका है तुम तो उसके भले के लिए ही कहती थी पर ऐसा कुछ हो जाएगा कौन जानता था।
“ नहीं जी अपने लाल को हम हीं मार दिए काम काज करता नहीं था … दिन भर आवारों की तरह भटकता रहता था ऐसे में जब सब कहते ये बिरजू अपने माँ बाप की कमाई पर ही बसर करेगा एक ढेला कमा कर ना लाएगा तब हमारे ही मुँह से निकल जाता था,” क्या कहें हमारे तो करम ही फूट गए जो ऐसी संतान को जन्म दी…।”कहकर सरला चाची रोने लगी सामने बेटे की हंसती तस्वीर देख कर सरला चाची को और रोना आने लगा.
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“ देखो भाग्यवान बेटे को सही राह पर चलाने के लिए ही माता-पिता उन्हें डाँटते भी है समझाते भी है….पर हमारा बिरजू कभी कुछ सुनना ही नहीं चाहता था तो तुम भी क्या करती ।”किशन जी ने उदास हो कर कहा
सरला चाची बेटे की तस्वीर देख कर एक महीने पीछे चली गई….
“ देख बिरजू अब तेरी उम्र के सारे लड़के काम धंधा करने लगे हैं बाइस बरस का हो गया है… ना पढ़ाई ठीक से करने का मन किया ना कोई काम करना चाहता है… सब मुझे कोसते रहते हैं एक ही बेटा है अभी से हाथ से निकल गया तो बुढ़ापे में क्या करेगा … ये सब मुझे अब ना सुनना… तू कोई काम काज खोज ले नहीं तो कल खाना ना दूँगी… सुन रहा है क्या बोल रही हूँ!!” सरला चाची ने कहा
और बिरजू मस्त टीवी चलाकर खाने में मग्न था… सरला चाची ने जब दो तीन बार कहा कि कुछ समझ आ रहा क्या कह रही हूँ… बिरजू तमक कर खाने की थाली सरकाकर उठा और घर से बाहर निकल गया ।
दो दिन तक वो घर ना आया सबको चिंता सताने लगी पर किसी को उसकी कोई खबर ना मिली ।
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एक दिन अचानक से बिरजू एक ऑटो लेकर आया और माँ से बोला ,”ले देख मैं काम करने लगा… बापू ऑटो चलाता है मैं भी यही काम करूँगा…और ये ले पैसे अब तो खाने को देगी ना?”
सरला चाची यूँ तो बहुत खुश हो रही थी पर बेटे के मुँह से आती बदबू उन्हें डरा रही थी ।
“ तू शराब पी कर आया है?” सरला ने पूछा
“ हाँ अपनी कमाई का पिया है… तुझे उससे क्या ?” तीखे तेवर दिखाते हुए बिरजू ने कहा और पास रखी चारपाई पर पैर पसार कर सो गया ।
अब तो बिरजू का ये हर दिन का काम हो गया था… पिता उसके लक्षण देख बहुत समझाते पर जब किशन को लगने लगा अब पत्थर से सिर फोड़ना बेकार है तो कहना ही छोड़ दिया सरला अपने माँ होने की कई क़समें दे चुकी पर बिरजू अपने मनमर्ज़ी का मालिक बन चुका था… सरला हमेशा खुद को कोसती रहती थी जाने कैसी संतान जनी क्या पता था उसका कहा ऐसे सामने आएगा…
एक दिन तीन चार दोस्तों ने सावन मेले में घुमने जाने की योजना बनाई… सरला ने खास हिदायत दी थी देख बिरजू जो है जैसा है तू ही हमारी संतान है … दारू पीकर ऑटो ना चलाना फिर अभी हर नहर तालाब मे पानी उपर तक आ गया है बेटा देख सँभल के जाना पर बिरजू ने कब किसी की सुनी…
क़स्बे से थोड़ा आगे एक पुलिया थी जिसपर पानी का बहाव ज़्यादा आ रहा था फिर भी बिरजू उसमें अपनाऑटो उतारने लगा सब दोस्तों ने कहा बिरजू मत उतार देख पानी का बहाव ज़्यादा है पर बिरजू ने उन दोस्तों का मज़ाक़ बनाते हुए ऑटो पानी में उतार दिया… दोस्तों के रोकते रोकते भी ऑटो के साथ साथ बिरजू उस बहाव में बह गया…एक दिन के बाद उसका शव बरामद किया गया और जब घर आया तो सरला और किशन दोनों को गहरा सदमा लगा…सरला को लग रहा था वो बिरजू को कोसती रहती थी इसलिए उसका बेटा उसे छोड़ कर चला गया।
“ सुनती हो..।” तभी किशन की आवाज़ सुन कर सरला यादों के दायरे से बाहर निकल करवअपने आँसुओं को पोंछते हुए बोली,” हाँ कहो।”
“ शाम ढल गया जरा दीया बती कर लो… बेटा जैसा भी था…था तो हमारा ही खून उसकी आत्मा की शांति के लिए पूजा कर लो।”कहते हुए किशन बेटे की तस्वीर के सामने दीया जला दिए
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
# क्या कहें हमारे तो करम ही फूट गए जो ऐसी संतान को जन्म दी
Sahi hai bacche maa baap ko hi dushman samajhte hain ye nahi sochte ki wo unke hi bhale ke liye bol rahe hain.