मां,क्यों परेशान कर रही हैं?प्लीज!चली जाइए,मुझे आपको मना करते हुए बहुत जोर पड़ता है,साहिल बोला,
कब से उसकी मां सुधा दरवाजा खटखटा रही थीं और कह रही थीं “देख बेटा! बस एक बार इससे मिलकर तो
देख! तू मना नहीं कर पाएगा इसे,अपनी मां पर यकीन नहीं तुझे?”
मन मारकर साहिल उठा, “ये मां रोज नई लड़की की तस्वीर लेकर दिखाती हैं मुझे,इससे शादी कर ले…कहा न
मुझे काव्या के अलावा किसी को अपना हमसफर नहीं बनाना है…” दरवाजा खोलकर पलटने ही वाला था कि
उसकी नज़र सामने खड़ी काव्या पर पड़ी।
तुम??बरबस उसके मुंह से निकला,कहां चली गई थी तुम काव्या मुझे अकेला छोड़कर?मेरी बिलकुल याद नहीं
आई।
काव्या उसे कुछ बता रही थी और वो क्या क्या पूछ रहा था,कुछ देर में चेतते हुए बोला,अरे!मां कहां गई?
सुधा उन दोनों को अकेला छोड़कर चली गई थी कुछ देर जान बूझकर।
काव्या ने बताया,आंटी मुझे आज मार्केट में मिली थीं,देखते ही पहचान गई और यहां ले आई तुमसे मिलाने।
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वैसे तुम नहीं आतीं?साहिल ने तड़प कर पूछा,क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करतीं?
वो बात नहीं है साहिल,वो उदास आवाज मे बोली,इतने सालों में क्या कुछ घट गया,तुमने अभी तक शादी
क्यों नहीं की?क्या मेरे इंतजार में?उसकी आवाज कांप रही थी।
ये भी मुझे बताना पड़ेगा काव्या?तुम हमेशा से मेरी हमसफर बनना चाहती थीं और आज मिली हो तो बहकी
बातें कर रही हो!
मै तुम्हारे लायक नहीं रही साहिल,वो सिर झुका कर बोली,अपनी गलतियों की कालिख मै तुम्हारे बेदाग चरित्र
पर नहीं पड़ने दूंगी,कहकर वो रोती हुई जाने को पलटी।
ऐसा भी क्या हो गया?क्या तुम किसी और को चाहने लगी हो?दर्द भरी आवाज मे साहिल ने पूछा।
बहुत लंबी कहानी है,कहां से शुरू करूं?काव्या खो गई थी अतीत में…
साहिल और काव्या दोनो एक साथ इंजीनियनिंग की पढ़ाई कर रहे थे।साहिल पढ़ाई में नंबर वन था तो काव्या
दूसरी गतिविधियों में,कॉलेज फेस्ट में वो छाई रही।उसका गला बड़ा सुरीला था,खूबसूरती ऐसी कि सब उसे
कहते, तू कहां इंजीनियरिंग करने आ गई तुझे तो मॉडल बनना चाहिए था।
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वो खुद भी बहुत महत्त्वाकांक्षी थी,अभिनय की दुनिया में किस्मत आजमाना चाहती थी।जहां सारे लड़के उसे
पसंद करते ,वो जान छिड़कती थी साहिल पर।
कितना धीर गंभीर,सरलचित और प्रतिभावान।लड़कियों से दूर अपनी किताबों से दोस्ती रखता,उसे जल्दी
ही इंजीनियर बन अपनी मां के कष्टों को दूर करना था।उसकी मां ही उसकी सब कुछ थीं,ऐसा लोगों ने काव्या
को बताया था।
काव्या को उस पर बहुत प्यार आता और वो काव्या को देखता तक नहीं।फिर कॉलेज फेस्ट में काव्या मिस
फ्रेशर बनी और साहिल मिस्टर फ्रेशर।
दोनो की दोस्ती हुई,काव्या के अप्रतिम सौंदर्य और मीठी बातों का जादू साहिल पर भी चल ही गया और
दोनो एक दूसरे को टूट कर चाहने लगे।
कॉलेज खत्म होते ही, जॉब मिलेगी,मां खुश हो जाएंगी फिर काव्या को मिलवा दूंगा मां से,मेरी पसंद उन्हें
नापसंद हो ही नहीं सकती,ऐसा विश्वास था साहिल को।
इसी बीच,काव्या का अभिनेत्री बनने का सपना सच होने लगा, उस पर कॉल लेटर आया मुंबई से और वो तो
खुशी से दीवानी हो गई।
“तुम चली जाओगी बीच में,एग्जाम इतने पास हैं काव्या?” बुरी तरह चौंकते हुए साहिल ने पूछा था।
“ये लाइफ में वन टाइम ऑपर्च्युनिटी होती है साहिल…सबको नहीं मिलती।”उसने मनाना चाहा था साहिल
को।
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“और हम दोनो ने जो वादे एक दूसरे से किए हैं,उसका क्या?” गुस्से से साहिल ने पूछा।
“वो मै आखिरी सांस तक निभाऊंगी,तुम मेरे हमसफर बनोगे,ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है,इसे कोई नहीं रोक
सकता,जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए समझौते तो करने पड़ते हैं।”काव्या ने दलील दी।
“समझौते वाले काम सफल नहीं होते काव्या”,टूटी आवाज में साहिल बोला।
काव्या ने उसके गले लगते कहा,मेरा इंतजार करना, मैं जरूर आऊंगी और जल्दी ही आऊंगी।
फिर कितने ही वर्ष निकल गए और साहिल काव्या का इंतजार करता रह गया।
उसकी मां ने उसे बहुत समझाया,कब तक प्रतीक्षा करेगा उसकी,किसी और से शादी कर ले पर साहिल इसके
लिए बिल्कुल तैयार नहीं था।
और आज अचानक इस तरह काव्या साहिल के सामने आ खड़ी हुई थी और कतरा भी रही थी।
बताओ काव्या!मैंने तुम्हारी बहुत प्रतीक्षा की है,क्या तुम्हारी जिंदगी में कोई और है?साहिल ने गंभीर होते
पूछा।
तुम तो जानते हो फिल्मी नगरी कैसी होती है,वहां ऊंचाइयों पर जाने के लिए या तो आपका कोई गॉड फादर
हो नहीं तो कदम कदम पर समझौते करने पड़ते हैं,वो दुखी स्वर में बोली।
और ये बात तुम्हें अब समझ आ रही है?थोड़े रोष से साहिल बोला था, तुम में तो प्रतिभा कूट कूट के भरी थी?
ताना मार रहे हो?काव्या की आवाज उदासी में डूबी थी।
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नहीं ,हकीकत जानना चाहता हूं,ऐसा क्या हुआ तुम्हारे साथ कि तुम मुझे भूल गई?
भूली नहीं हूं साहिल,तुम मेरी हर सांस में समाए हो आज भी लेकिन अपने काम को लेकर मैंने कई समझौते
किए जिसमें अपनी पवित्रता भी खो दी मैंने,आज उस मुकाम पर पहुंच गई हूं जिसके सपने देखा करती थी मैं
कभी लेकिन अब उन कामों से ऊब होती है, घिन आती है अपनी ही जिंदगी से,इसलिए सब छोड़ आई मै।
बोलते बोलते,काव्या रुआंसी हो गई थी।
तो इसका मतलब है तुम मुझसे शादी नहीं करोगी?साहिल ने पूछा था उससे।
क्या मां हमारे इस रिश्ते को तैयार होंगी?और तुम भी भावुकता में ऐसा कह रहे हो अभी,सच्चाई जान चुके
हो,मेरा अतीत तुम्हें कांटों की तरह चुभेगा साहिल!प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो।काव्या ने प्रार्थना की।
तभी सुधा वहां आई,बेटा काव्या! गंगा नदी कितने पापियों के पाप धोती है तो क्या वो अपवित्र हो जाती
है?तुमने जो भी किया वो मजबूरी में किया होगा,आज तुम्हें अपनी गलती का एहसास है,बस इतना ही काफी
है।साहिल ने तुम्हारे पीछे,किसी की तरफ आंख उठा कर नहीं देखा, जितना प्यार वो तुम्हें करता है,उसे तुम
मिलनी ही चाहिए।
आप बहुत महान हैं आंटी!काव्या सुधा के पैरों में झुक गई, मैं आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी
आगे,आपने,मेरे हमसफर को मुझे लौटाकर जो कृपा की है,आपका ये एहसान मेरे पर कर्ज रहेगा।
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बस बहुत बातें हो गई,अब जाओ और अपने पेरेंट्स को बता देना घर जाकर कि कल हम लोग तुम्हारे और
साहिल के रिश्ते के लिए आ रहे हैं।
काव्या शर्मा गई थी और साहिल खुश था कि भगवान ने उसकी सुन ही ली और उसकी मां की वजह से आज
उसका हमसफर मिल गया था उसे।
समाप्त
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
#हमसफर