किटी पार्टी – अर्चना सिंह  : Moral Stories in Hindi

आज की सुबह बहुत अलसायी हुई, सुस्त सी महसूस हो रही थी ।  मधु ने सोचते हुए झट से खिड़की के पर्दे को हटाया । एक तो आज इतवार भी था, और आज ही उसे देर तक सोने का मन भी था । न जाने क्यों आज स्कूल वाले समय पर आँखें खुल गईं । 

थोड़ी देर तक खिड़की से अपलक बाहर की खूबसूरती वो निहारने लगी तो अचानक उसे याद आया आज तो उसके घर किटी है । उसने रिचार्ज होने के लिए चूल्हे पर झट चाय चढ़ा दिया और फ्रेश होकर चाय पीते हुए अलग ऊर्जावान  अनुभव कर रही थी । 

तब तक धीरे – धीरे उसने कबाब, रोल, उपमा , छोले – चावल आदि की तैयारियाँ की और अपने पति निखिल को उठाने कमरे में गई । हड़बड़ाते हुए निखिल को उठाया..”जल्दी उठिए निखिल ! आज मेरी किटी है, शिप्रा बेटा, शुभ्रा बेटा जल्दी उठो और स्नान ध्यान करो, मैं भी बिस्तर, सोफे और घर ठीकठाक कर लूँ ताकि सहेलियों के आने के बाद कोई काम छूटा न रह जाए ।

निखिल चिड़चिड़ाते हुए बिस्तर के पास लगी आराम कुर्सी पर आँखें बंद कर अलसा रहे थे तभी मधु ने चिल्लाते हुए कहा…”जल्दी करिए न, टाइम नहीं है मेरे पास । बुदबुदा कर निखिल रह गए और अब बच्चों की शामत आयी थी ।

मधु को इस सोसायटी में आए लगभग दो साल हो रहे थे । इतने कम समय में उसने दो किटी समूह जॉइन कर लिया था। वैसे तो इसमें सब उम्र दराज महिलाएं थीं जो बाद में किटी बनी थी पर मधु को ऐसा चस्का लग गया था कि निखिल के ऑफिस जाने के बाद वो एक पल घर मे नहीं रहती थी । पहले तो उसने अपने आस पास की महिलाओं को इकट्ठा कर के समूह बनाया, फिर पूजा – कीर्तन मंडली वाली आंटियों के साथ भी उसने दूसरा बना लिया ।

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टाइम उससे मैनेज नहीं हो पा रहा था फिर भी वो घर , पति बच्चों को अनदेखा करके पार्टी के लिए हरदम तैयारी में रहती । कभी ऐसा पहनना, कभी क्रॉकरी लेना, कभी पकवान सोचना ये सब उससे रोजमर्रा में शामिल हो गया था   । शिप्रा और शुभ्रा दो बेटियाँ उसकी जो क्रमशः पाँचवीं और तीसरी में पढ़ती थीं । वैसे तो अच्छी थी दोनों बहनें पढ़ने में, जब जो पूछती और लिखवाती वो सब बहुत अच्छे से कर लेती थीं ।

इसी घमंड में हरदम फूली रहती मधु । उसने पार्टी के चक्कर में बेटियों को पढ़ाना बहुत कम कर दिया । 

निखिल नहाकर आए तो उन्होंने डायनिंग टेबल पर बैठते हुए मधु से पूछा..”क्या है आज सन्डे स्पेशल ? बेटियां भी बोलने लगीं..”जल्दी दे दो मम्मी, बहुत भूख लगी है । मधु ने झटपट मैगी बनाकर परोस दिया सबके प्लेट में । सबके चेहरे उतरे हुए थे, अब पहले जैसे क्रेजी नहीं थे सब। क्योंकि पार्टी की तैयारी करके थक जाती थी मधु और उसे सबसे आसान लगता था मैगी बना देना ।

निखिल ने भौहें तानते हुए मधु से कहा..”क्या यार ! पसन्द है मैगी इसका मतलब ये थोड़ी है कि हर दिन खाया जाये । कभी – कभार स्वाद बदलने के लिए सही है, तुमने तो इसे रूटीन में ही कर दिया है   । छोटी शुभ्रा ने कहा…”हाँ पापा मुझे भी नहीं खाना और शिप्रा ने अपनी प्लेट भी खिसका दी । मधु के चेहरे से उसके भाव साफ नजर आ रहे थे । उसका गुस्सा अब सातवें आसमान पर था  । निखिल ने मधु के कंधे पर हाथ रखते हुए

पूछा…”इतनी देर से जो बना रही थी वही खिला दो । मधु ने बोला..”आपलोग को मेरी आजादी रास क्यों नहीं आती ? हर समय ये कर दो वो बना दो, बच्चों को समय दो । सबके बच्चे खुद से हर काम करते हैं। न जाने मैं किस जंजाल में पड़ गयी हूँ । 

रही खाना की बात, तो एक बार सहेलियाँ खाकर चली जाएँ तो आपलोग को भी मिलेगा अभी तो चैन लेने दो मुझे । 

निखिल ने कहा..”ठीक है यार गुस्सा मत करो । बस तुम ब्यस्त होने से पहले बच्चों की टीचर साधना मैडम से बात कर लेना । दो सप्ताह से वो मिलना और बात करना चाह रही हैं। मधु ने कहा…”अरे ! उन्हें बस बच्चों के माँ बाप को परेशान करना है, पता है हर बार की तरह यही कहेंगी आपके बच्चे बहुत अच्छे हैं पढ़ने में । किस तरह से पढ़ाते हो दूसरे माँ – बाप को भी आप बताओ ।मैं कर लूँगी फ्री होकर बात, आप चिंता मत करिए ।

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दरवाजे पर घण्टी बजी । मधु के चेहरे की रंगत ही बदल गयी । उसने सहेलियों का दिल खोलकर स्वागत किया । गेम खेला गया, अंताक्षरी, बातचीत और ढेर सारी गपशप हुई । बच्चे और निखिल एक कमरे में टी . वी देख रहे थे । निखिल ने बच्चों को बोला..”चलो बेटा ! मम्मी तो ब्यस्त है , हमलोग मॉल में जाकर टाइम ज़ोन एन्जॉय करके आते हैं ।

सब तैयार होकर पीछे के दरवाजे से निकल गए  । इधर मधु की किटी भी खत्म हो चली थी सहेलियाँ विदा ले रही थीं । जैसे ही दरवाजा बंद करके उसने आवाज़ लगाई छोले चावल खाने को तो कोई उत्तर नहीं मिला । उत्तर नहीं मिलने पर मधु चीखते हुए अंदर कमरे में गई तो देखा कोई नहीं। आजतक बिना उसके कोई कहीं नहीं गया था तो वो समझ नहीं पा रही थी । उसने झट से अपने पति को कॉल लगाया तो फोन नॉट रिचेबल आ रहा था

। अब उसे बहुत तेज़ गुस्सा आ रही थी । जी चाह रहा था ज़ोर से बरसे सभी पर । लेकिन वह मसोस कर रह गयी ।

शाम होने लगी थी तो मधु ने देखा उसके फोन में साधना मैडम का मैसेज था …”प्लीज जॉइन टुमॉरो पी. टी.एम । मधु ने बिना दिलचस्पी दिखाए मैसेज बैक किया और लेट गयी तो उसे नींद आ गयी ।

दस मिनट ही हुए थे कि घण्टी बजी । मधु ने दरवाजा खोला तो तीनों लोग अंदर आने लगे । उसने चीखना शुरू कर दिया । खाना ठंडा हो रहा है समझ नहीं आता, कहाँ थे सब ? निखिल ने बिना नज़रें मिलाए मधु से कहा..”तुमने खा लिया और एन्जॉय कर लिया न, बस ! हमारे लिए मत परेशान हो हमलोग ने खा लिया है मॉल में ।

सवालिया निशान से देखते हुए मधु ने कहा..”मेरे बिना कैसे गए, मतलब हमलोग तो साथ जाते थे न ?  तुम्हारे पास किसी भी सदस्य के लिए टाइम है ? किटी को तुमने टाइमपास के लिए नहीं किटी ने तुम्हें टाइम वेस्ट करने के लिए ढूंढा है ।निखिल ने दो टूक कहते हुए नज़रें टी . वी पर टिका दीं । थोड़ी देर में मोबाइल लाकर निखिल ने मधु को दिया । स्क्रीन पर मैडम साधना का नम्बर देखकर अभी भी ऊब रही थी मधु पर मजबूरीवश उसने कॉल उठाया तो साधना मैडम ने कहा..”कल के पी. टी. एम को आप दोनों माँ – बाप जॉइन करिए ।


सुबह नहा – धोकर तैयार होकर तय समय पर पहुंच गए सब स्कूल । मधु ने दोनों बच्चों की टेस्ट कॉपी देखी तो चौंक गई । उसे आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था । निखिल भी इतने कम नम्बर देखकर अवाक थे । 

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मैडम ने बोलना शुरू किया मधु से..”क्या आप बता सकती हैं इतने ऊँचे ग्राफ से इतने नीचे आने की क्या वजह है, अगर हम कुछ मदद कर सकें तो कृपया हमें बताएं। ऐसा मालूम चल रहा है पढ़ाई में कोई मेहनत नहीं हो रही । प्रथम आने वाले बच्चे आखिरी से तीन पहले हैं, ये बिल्कुल अच्छा नहीं है । मधु ने देखा पढ़ने में जो बच्चे कमजोर थे उनके रिजल्ट अच्छे आए थे । एक तो मैडम की बातों का चोट , बच्चों के दोस्त के माँ – बाप सब पूछ रहे थे, कैसे बेटियों का रिजल्ट खराब हुआ  तबियत खराब थी, कहीं बाहर गए थे आदि ।और तो और अपने क्रिया कलापों का चोट अब उसे ज्यादा ही पीड़ित कर रहा था ।

उसके मन के पीछे पार्टी की तैयारी , निखिल की रोक टोक अनियमित समय घर से बाहर रहना, बच्चों पर ध्यान न देना ये सब इस कदर चल रहे थे कि उसका सिर दर्द से फटने लगा । निखिल की तरफ वो देखी पर वो नज़रें चुराकर साइन करने में लगे थे । इसके बाद गाड़ी में बैठी मधु और एक लफ्ज़ बिना आवाज़ निकाले सब घर आ गए । 

घर आकर भी निखिल ने कुछ नहीं कहा एक घण्टे तक । फिर मधु ने चाय दिया और चाय पीकर फिर से निखिल लेट गए ।मधु को अब चुप्पी भारी पड़ रही थी । उसने बोला..”कुछ बोलिये निखिल ! मैं विश्वास से ज्यादा ही भर गई थी। साथ वाले नहीं पढ़ने वाले बच्चे ने इतना अच्छा किया और मेरी बेटियों ने रिजल्ट खराब कर लिया ।

आँख बंद करके निखिल पीठ घुमाकर सो गए । ज़ोर ज़ोर से अपनी लापरवाही का रोना मधु रो रही थी । पर निखिल पर कोई असर न हुआ । जब मधु ने दर्द की गोली माँगी और खाकर तब निखिल के सीने पर सिर रखकर कहा..”ये चुप्पी बहुत घुटन दे रही है मुझे निखिल । गुस्सा ही करिए लेकिन कुछ बोलिये ।

निखिल ने मधु के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा..”तुम्हें आजादी चाहिए थी न, मना लो जश्न ? तुम्हें दूसरों को देखकर पार्टी जॉइन करनी थी । तुम्हारी पडोसन कंचन को जलाने के लिए तुम्हें क्रॉकरी चाहिए थी , तुम्हारी सहेली ममता को दिखाने के लिए तुम्हें साड़ी और ज्वेलरी खरीदनी थी । रीना, मिताली अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पातीं तो तुम्हें उनकी तरह बच्चों से आज़ादी चाहिए, सबके पति घर आने पर पत्नियों को नहीं खोजते तो तुम भी चाहती हो सिर्फ खाना निकालने के लिए घर आओ वरना तुम्हारी आज़ादी में खलल है ।

अब इससे ज्यादा और क्या कमी गिनवाऊं । तुम्हारे अंदर तुम रह ही नहीं गयी हो । तुम्हारी अपनी कोई सोच नहीं है । प्रभा जी और रश्मि जी को देखो उनके बच्चों का कॉलेज पूरा हो गया है तो तुम्हें   भी  दिन भर फ्री होकर शॉपिंग मूवी आदि करना है ।

वैसे गलती मेरी ही है । तुम्हें आज़ादी दी थी कि मेरे ऑफिस जाने के बाद बोरियत फील न हो तो किटी जॉइन कर लो । समस्या किटी में नहीं तुम्हारी सोच में है । आज़ादी का इतना भी फायदा मत उठाओ की सामने वाला फिर से तुम्हें कैद करने पर मजबूर हो जाए । तुमने किटी को टाइमपास नहीं टाइम स्पोइल करने का जरिया बना लिया । 

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ऑफिस जाने के बाद किटी करना था तो तुमने शनि और रवि दो दिन चुन लिए जब परिवार को तुम्हारी जरूरत है ।सब कुछ एक सीमा में करो दूसरे के घर के अलग नियम रिवाज हैं हर कुछ मत अपनाओ ।

पहली बार ऐसा हो रहा था कि निखिल के विरोध में मधु चुप थी । अपनी गलती के लिए पछतावा हो रहा था उसे । उसने हाथ जोड़कर निखिल से कहा..”माफ कीजिएगा निखिल ! अपनी हदें भूल गयी थीं  । अब मैं अपने परिवार को  वक़्त देना चाहती हूं, घर बर्बाद करके मुझे नहीं चाहिए आजादी ।

निखिल ने मधु को गले से लगाकर कहा..”बेटियाँ हमारा सुनहरा भविष्य हैं आज अगर हम इन्हें सुनहरा कल नहीं देंगे तो ये हमें भी वही लौटाएंगी । अभी भी वक़्त है सम्भल जाओ , ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ा है ।अभी वार्षिक परीक्षाओं में चार महीने समय है, अब भी मेहनत करो ।

मधु अपने इरादों को मजबूत करके बच्चों के साथ उन्हें पढ़ाने में जुट गई और निखिल के चेहरे पर हल्की मुस्कान तैर गयी ।

मौलिक, स्वरचित

अर्चना सिंह

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