मर क्यों नहीं जाता तू कितना शर्मशार करेगा ,कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा,हे भगवान इसे उठा क्यों नहीं लेता तू कुसुम आंटी बराबर उसको डंडे से पीटती जा रही थी। आखिर में वो डंडा भी दो टुकड़ों में टूट गया। प्रकाश जी जो उनके पड़ोसी थे कुसुम आंटी को पकड़कर घर तक छोड़ने आए क्योंकि कुसुम आंटी बिना सहारे के चल नहीं सकती थी डंडे का सहारा लेकर चलती थी और उसी डंडे से बेटे की पिटाई कर रही थी जो अभी टूट गया था।
कुसुम आंटी जो एक सभ्य और सुसंस्कृत महिला थी। दोनों पति-पत्नी का मुहल्ले पड़ोस और रिश्ते दारों में अच्छा खासा नाम और इज्जत था। कभी किसी ने किसी बात पर उंगली नहीं उठाई थी।
कुसुम आंटी के एक ही बेटा था रवि।रवि इस समय 50 के करीब होगा रविकेश एक अट्ठारह साल का बेटा है आदित्य। अच्छा खुशहाल परिवार था कुसुम आंटी का ।बहू बेटे और अपने पोते आदित्य के साथ बहुत खुश रहती थी कुसुम आंटी।रवि दवाओं की कम्पनी में होलसेल का काम करता था। अभी पांच साल पहले कुसुम आंटी के पति का हार्ट अटैक से देहांत हो गया था।
तो रवि ने घर को मां को काफी अच्छे से संभाल रखा था।रवि भी अपने माता-पिता की तरह बहुत ही सभ्य और नेकदिल इंसान था। किसी को कोई परेशानी हो या कोई काम हो रवि सबकी मदद करने में सबसे आगे रहता था। आदित्य भी अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर चुका था ।अब किसी अच्छे कालेज में एडमिशन लेना चाहता था लेकिन इस बीच करोना आ गया और सभी कालेज बंद होने के कारण वो एडमिशन नहीं ले पाया तो घर पर ही रहता था।
रवि शराब का सेवन करता था थोड़ा बहुत करता था जिसकी जानकारी कुसुम आंटी को नहीं थी ।अगर बच्चे में अच्छाई हो तो इस तरह के अवगुणों की तरफ मां बाप का ध्यान नहीं जाता। फिर अचानक से ऐसा पता नहीं क्या हो गया कि रवि बहुत ज्यादा शराब पीने लगा।वो चाहता तो नहीं था (ऐसा लगता था) लेकिन दोस्त यार बुला ले जाते थे तो चला जाता था।दोस्त वगैरह रवि को थोड़ी पी लेने के बाद और ज्यादा जबरदस्ती पीला देते थे और फिर रवि से पैसा निकलवाते थे और शराब मंगवाने को । फिर तो रवि को होश ही नहीं रहता था खूब पैसा खर्च करता था और सारे दोस्त फिर रवि के पैसे से शराब पीते थे।
एक दिन लड़खड़ाता हुआ रवि घर के अंदर दाखिल हुआ तो कुसुम आंटी ने रवि को टोका ये क्या तुम शराब पीकर आए हो बहुत डांट लगाई और आगे न पीने की हिदायत दी । लेकिन रवि को लत लग चुकी थी । रवि थोड़ी पीने के बाद खूब पैसा खर्च करता था तो शाम होते ही दोस्त उसको फोन कर बुलाने लगे जाते थे । जबरदस्ती दोस्त पीला देते थे अब तो रवि बुरी तरह शराब का आदी हो गया था।
वो अब चाहे जब पीकर यहां वहां पड़ा रहता अब तो शाम का भी इंतजार नहीं होता था दिन में ही दोपहर में चाहे जब पीकर पड़ा रहता ।सारे दोस्त पीकर चले जाते फिर उसके फोन से उसके घर में फोन कर दिया जाता कि रवि इस जगह पर पड़ा है ।या तो कभी उसे किसी आटों में बैठाकर घर का पता बता देते आटों वाला घर पर छोड़ आता।या कभी रास्ते में बेटे को रोककर या बेटे के मोबाइल पर फोन करके बताते कि तुम्हारे पापा यहां पड़े हैं ले जाओ ।
अब तो दोस्तों के बीच सब आदित्य का मज़ाक़ बनाने लगे थे कि इसके पापा शराब पीकर इधर उधर पड़े रहते हैं। आदित्य इससे बड़ा कुंठित सा होने लगा था। उसने घर से बाहर निकलना छोड़ दिया। रवि की पत्नी को भी लोग फोन कर देते वो भी बेचारी बड़ी शर्मिंदगी महसूस करती।
सब समझा समझा कर थक गए थे पर वो समझने को तैयार ही न था। रवि भी क्या करें सारे दोस्त ताक में बैठे रहते थे कि कब रवि घर से बाहर निकले और उसको पकड़े ।अब तो घर में भी सबने उससे किनारा कर लिया था कोई बात नहीं करता था कोई खानें पीने को भी नहीं पूछता था । कहीं भी पीकर पड़ा है तो पड़ा रहे कोई उठाने नहीं जाता था। कभी कभी तो घर के दरवाजे पर ही घंटों पड़ा रहता था। सभी परेशान हो चुके थे उसकी इस आदत से ।
और आज कुसुम आंटी के घर से दो घर छोड़कर किसी के घर के बाहर सीढ़ियों पर रवि पड़ा था । उन्होंने घर आकर कुसुम आंटी को बताया कि रवि वहां पड़ा है तो कुसुम आंटी को बहुत गुस्सा आया और वो बड़बड़ाने लगी इसने तो शर्मशार कर दिया है।जिन लोगों की कभी हिम्मत नहीं हुई उंगली उठाने की वहीं लोग आज मजाक बना रहे हैं।
आंटी ने अपनी लठिया उठाई जिसके सहारे वो चलती थी और धीरे धीरे वहां पहुंची जहां रवि पड़ा था और उसी लठिया से रवि की खूब पिटाई की । रवि मार खाता रहा लेकिन वो नशे में था तो उसको कोई फर्क नहीं पड़ा आखिर में आंटी की लठिया टूट गई।
जब रवि का नशा उतरा तो उसको दर्द का अहसास हुआ नीचे आकर वो मां से माफी मांगने लगा लेकिन क्या माफी मांगने से शराब की लत छूट जाएगी ऐसा लगता तो नहीं है। आजकल आंटी उसको कमरे में बंद रखती है बहुत जरूरी हुआ तभी बाहर जाने देती है ।
पीने वालों की आदत जाती नहीं है आंटी बताती है अब थोड़ा कंट्रोल है । चलो ठीक ही है संभल जाए रस्ते पर आ जाए ।नशा किसी भी चीज का हो एक शौक के तरह किया जाए तो ठीक है लेकिन उससे जिंदगी बर्बाद होने लगे तो फिर क्या कहेंगे आप ही बताइए।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश