आज अवस्थी जी की इकलौती बेटी रिया की शादी थी। रिया जो एक अच्छी पढ़ी-लिखी संस्कारी और सुंदर थी। पहली बार में ही लड़के वालों को पसंद आ गई थी। बेटी की विदाई के बाद रिया के मम्मी पापा अपने आप को बिल्कुल अकेला महसूस कर रहे थे। उधर रिया भी ससुराल में आकर अपने मम्मी पापा के बारे में सोचकर परेशान हो रही थी।
तभी उसकी बड़ी नंद कमरे में आई और उससे मजाक करते हुए बोली भाभी क्या बात है, अभी तक भैया नहीं आए इसलिए परेशान हो क्या? नंद की बात सुनकर रिया के चेहरे पर हंसी और आँखों में आंसू थे। नहीं दीदी मम्मी-पापा की याद आ रही है। अरे तो इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है। ये लो फोन और बिंदास वीडियो कॉल करो और उसे अपनी मम्मी-पापा से बात करने के लिए अकेला छोड़ दिया।
रिया ने अपने मन में सोचा कि दीदी कितनी अच्छी और समझदार हैं। रिया के मन में अपनी नंद के लिए इज्जत और भी बढ़ गई।
रिया अब अपनी ससुराल में रच-बस चुकी थी। अवस्थी जी अपनी बेटी की तरफ से संतुष्ट थे कि वह अपनी ससुराल में खुश है। एक बेटी के मां-बाप को और क्या चाहिए।
एक दिन रिया की नंद की ससुराल से फोन आया कि उसकी नंद सीढ़ियों से गिर गई है और उसके दोनों पैर में फैक्चर हो गया है। रिया की सास तो सुनते ही रोने लगी और रोते-रोते बोल रही थी कि अब मेरी बेटी का क्या होगा। रिया अपनी सास को हिम्मत देते हुए बोली मम्मी आप बिल्कुल चिंता ना करें मैं हूं ना मैं करूंगी उनकी देखभाल।
आप उनकी सास से बात करिए वह इस उम्र में घर और दीदी की देखभाल नहीं कर पायेंगी। हम दीदी को यहां ले आएंगे और वहां घर पर उनकी सास देख लेंगी। लेकिन रिया तू कर पाएगी। हां मां क्यों नहीं। रिया की सास ने अपनी समधन से बात की तो उन्हें भी बात सही लगी और रिया की नंद अपने घर आ गई। रिया ने जी जान से अपनी नंद की देखभाल की।
उसके पति नमन ने उसकी सहायता के लिए एक नर्स का इंतजाम भी कर दिया था। अच्छी देखभाल से रिया की नंद जल्दी ही स्वस्थ हो गई। जाने से पहले उसने रिया को धन्यवाद कहा तो रिया बोली दीदी आप ऐसा कह कर मुझे पराया मत करिए। बुरे समय में अपने ही तो अपनों के काम आते हैं।
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सब कुछ सही चल रहा था कि एक दिन रिया के पास उसकी मम्मी का फोन आया। रिया बेटा तू जल्दी से आजा, तेरे पापा को पता नहीं क्या हो गया है। डॉक्टर साहब को बुलाया है। तू जल्दी आजा मुझे बहुत घबराहट हो रही है। हां मां मैं आती हूं आप परेशान मत होइए। प्रिया ने अपनी सास से जाकर बताया तो वह बोली बेटा हिम्मत रखो इस समय तुम्हारे मम्मी- पापा को तुम्हारी जरूरत है।तुम ही कमजोर पड़ जाओगी
तो कैसे काम चलेगा। तुम यहां की चिंता मत करो मैं संभाल लूंगी। फिलहाल मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ। तुम नमन का इंतजार करोगी तो और देर हो जाएगी। उसको फोन करो वह ऑफिस से सीधा वहीं आ जाएगा। जी मम्मी, रिया घर पहुंची तो पड़ोस वाले उसके पापा को अस्पताल लेकर जा चुके थे। डॉक्टर ने बताया कि उन्हें हार्ट अटैक आया है। उन्हें सही होने में कुछ समय लगेगा। नमन ने दिन रात रिया के साथ एक बेटे की तरह उनकी सेवा की। नमन ने उनकी बीमारी का सारा खर्च भी स्वयं उठाया।
आज रिया अपने पापा को अस्पताल से लेकर घर आई तो उसकी सास और नंद भी उन्हें देखने घर पर आई हुई थी। रिया की मम्मी उसके सर पर हाथ फेर कर बोली हमारी बेटी बहुत किस्मत वाली है जिसे इतना समझदार पति और इतनी अच्छी ससुराल मिली है। हां तुम बिल्कुल सही कह रही हो रिया के पापा ने भी उसकी मम्मी की हां में हां मिलाई तो रिया की सास बोली, किस्मत वाली रिया नहीं हम हैं। जो हमें रिया जैसी संस्कारी बहू मिली है। जिसने हमें यह एहसास कराया कि अपने ही अपनों के काम आते हैं।
रिया के पापा अब बिल्कुल ठीक हो गए थे, तो रिया अपनी ससुराल वापस आ गई ।बीच-बीच में वह और नमन दोनों उसके पापा का हाल-चाल जानने के लिए जाते रहते थे। रिया की सास ने अपनी बेटी को समझाया कि वह भी रिया की तरह अपनी ससुराल वालों का ध्यान रखे ।जिससे कि वे भी तुम्हें बहू के रूप में पाकर हमारी तरह अपनी किस्मत पर फख्र करें ।
नीलम शर्मा