किस्मत – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

हैलो मैं मोहन कुमार बोल रहा हूँ क्या श्यामा चरण जी से बात हो सकती है।

दूल्हे के पिता का नाम सुनते ही दुल्हन के मामा श्यामाचरण जी फोन की ओर लपके

हां हां समधी जी बोलिये न मैं… उमा का मां ही बोल रहा हूँ।

वो क्या है न समधी जी… कैसे बताऊं मेरा बेटा… हम बस बारात लेकर निकलने ही वाले थे कि अमित कंही चला गया है अब मैं किस मुंह से आपका सामना करूँ समझ नही आता… हो सके तो मुझे क्षमा कर… दीजिये।

अरे ऐसे कैसे कंही चला गया आपने रिश्ता तो उसकी मर्जी से ही किया था न अब मैं समाज को क्या मुंह दिखाऊंगा। और 

हाय मेरी उमा का क्या होगा अब, वो बेचारी तो मर जाएगी। वो सजी धजी कमरे में दुलहन का जोड़ा पहने बारात का इन्तजार कर रही है। श्यामा चरण घबराते हुए बोला।

अब तक शादी में आये लोगों में काना फूसी होने लगी, एक औरत हाथ मटकाकर बोली- अभागिन है और क्या तभी तो जन्म देते ही मां गुजर गई, बाप ने दूसरी शादी कर ली और ये पनौती मामा मामी के मत्थे मढ़ गयी।

हां बहन मेरी कमला तो इसकी परछाई पड़ते ही बेटे का मुख देखने को तरस गयी। एक के बाद एक तीनों लड़कियां ही हो गयी बेचारी को,…

दूसरी मोटी सी औरत आँख नचाती हुई बोली- और जो इसका ब्याह न हुआ तो श्यामा की तीनों बेटियां भी कुंवारी बैठी रह जावेंगी।

हाय राम ये क्या हो गया, जन्मजली अपनी मां को जन्मते ही निगल गयी और अब मेरी बेटियों के जिंदगी में भी ग्रहण बन कर बैठ गयी,  मामी उमा की  किस्मत 

को कोसती हुई रोने लगी।

 ये सब देख सुनकर श्यामा का दिल बैठा जा रहा था, इकलौती बहन की निशानी उसकी भांजी उमा उसके दिल का टुकड़ा थी अपनी बेटियों को वह सदा से उमा के बाद देखता था।

तभी श्यामा के बचपन का मित्र उसका दोस्त रघुनंदन आगे आया और बोला- देख श्यामा ये समय सोच विचार का नही है सारी तैयारी हो चुकी है अगर तू हां कहे तो मैं अपने बेटे विवेक के लिये उमा का हाथ मांगता हूं लेकिन

लेकिन क्या रघु …. श्यामा हर्ष और विस्मय से बोला।

लेकिन तू तो जानता है मेरे बेटे की आंख बचपन से ही खराब है इस वजह से उसका रिश्ता नही हो पा रहा। रघुनाथ सकुचाते हुए बोला।

पर तुम्हारा बेटा तो सरकारी अफसर है न क्या वो इस रिश्ते के लिए तैयार होगा, श्यामाचरण ने संशय में पूछा।

उमा जो अभी तक पर्दे की आड़ से सारी बाते सुन रही थी अपने मामा के पास आकर बोली- मामा तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया है, आज पहली बार मैं अपने मामा के लिए कुछ करना चाहती हूं, तुम इस रिश्ते के लिए हां कर दो मामा मेरी शादी हो गयी तो मेरी बहनों के लिए फिर कोई समस्या न आएगी।

इस मुश्किल वक़्त पर तुमने जिस तरह मेरा साथ दिया, मेरी उमा को अपनाकर तुमने हमारी दोस्ती को रिश्ते में बदल दिया है श्यामाचरण रोने लगा तब रघुनंदन आगे आकर श्यामाचरण को गले लगाते हुए बोले-

ये सब उसी की माया है श्यामा हम सब तो उसके हाथ की कठपुतली है। शायद अभी तक विवेक का रिश्ता न जुड़ पाने और उमा की शादी टूटने में भी उसी की रजा हो।

चल चल अब आंसू पोछ और ब्याह की तैयारी कर…  भई अब मैं लड़के का बाप हूं तो मेरे स्वागत सत्कार में कोई कमी न रह पाए।

जंहा थोड़ी देर पहले शादी टूटने की वजह से तनाव पसरा था अब वंही शहनाई गूंज रही थी।

 

मोनिका रघुवंशी 

स्वरचित व अप्रकाशित

वक़्त पर काम आना

मुहावरा लघुकथा प्रतियोगिता

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!