रागिनी को ब्याह के आयें ससुराल में दो दिन ही हुए थे… सुषमा जी के दो बेटों में से बड़े बेटे सूरज के साथ सात फेरे लेकर आयीं थी रागिनी…. उसका रसोई घर में प्रवेश हुआ… उसकी पहली रसोई थी…. सभी रिश्तेदार जा चुके थे….जायें भी क्यूँ ना आज की कमातू व्यस्त ज़िन्दगी में समय कहां है किसी के पास… घर में सास, बहू रागिनी,बेटे और ससुर ही थे ….. सास ने रागिनी से कुछ भी थोड़ा सा मीठा बनाने को कहा ….
बहू… ना आयें तो परेशान मत होना… मैं हूँ साथ … मदद कर दूँगी …. अब कौन सा रिश्तेदार है यहां …… जो टोकेगा ….. ये ज़रूरी रशम है इसलिये करवाना ज़रूरी है …..
जी मम्मी जी…. मुझे हलवा बनाना आता है ….. आप आराम कर लीजिये …. थक गयी होंगी…. मैं बना लूँगी….
तब तक किसी ने सुषमा जी को आवाज लगायी… वो बाहर आ गयी….
रागीनी ने किचेन में चारों तरफ नजर दौड़ायी … इतना अव्यवस्थित सामान देख… कहीं बरतन जगह पर नहीं…. फ्रीज़ पर आधे घर का सामान रखा हुआ था…. ज़िसकी वजह से ना तो फ्रीज का कवर दिख रहा था… ना ही उस पर रखा गुलदस्ता … रागिनी ने फ्रीज़ खोलकर देखा… उसमें भी यहीं हाल था… सारे मसालों के डिब्बे चिकने…. जगह , जगह कटोरी में तेल,,घी…. कुल मिलाके पूरी किचेन का यहीं हाल था…
किचेन क्या इतने सुन्दर घर में हर कोने का हाल यहीं था…. रागिनी मुस्कुरायी… उसने अपनी साड़ी ऊँची की …. वो लग गयी काम पर … एक तरफ गैस साफ कर सूजी भूनने लगी… सारे डिब्बे निकालकर खराब सामान उसने हटा दिया….. सारा फ्रीज़ व्यवस्थित कर दिया…. धोने वाले डिब्बे धो दिये …. वो धोये हुए डिब्बे कपड़े से पोंछ ही रही थी… कि तभी सासू माँ सुषमा जी आ गयी…..
उन्होने अपनी किचेन का ये हाल देख दोनों बेटों और पति को जोर की आवाज लगायी….
क्या हुआ सुषमा… क्यूँ पूरे घर को सर पर उठा लिया है …. तुम्हे पता होना चाहिए कि तुम्हारी इस आवाज की आदत हम सबको तो है पर बहू तो नयी है अभी ….
ससुर विनोदजी बोले…..
रागिनी सास की आवाज से सहम गयी कि मैने क्या गलती कर दी जो मम्मी जी इतनी जोर से चिल्ला रही है …..
ए जी… क्या करती फिर …. अपनी रसोई का ये हाल देख खुद को रोक ना पायी … देखिये जी… जिस फ्रीज़ को लेके आप दस बातें सुनाते थे मुझे वो कैसी चमक रही है …. इसका बोझ भी कम हो गया है अब……..
हां मम्मा …. अब देखो ये फलावर् पॉट भी कैसे मुस्कुरा रहा था… बेचारा दब गया था….
वाओ भाभी अब तो फ्रीज़ को खोलने पर भी सारा सामान गिर नहीं रहा… मान गए भाभी आपको…. पूरी किचेन कैसी सिस्टेमेटिक कर दी है आपने….
देवर बोला…..
बहू इतना काम मत कर …. तू जानती नहीं है अपनी सास को… कुछ दिन में फिर वहीं हाल हो जायेगा…..
बेचारी सुषमा जी का चेहरा पतिदेव की इस बात से मुर्झा गया….
पापा जी… मम्मी जी भी बेचारी अकेले ही सब काम करती आयीं है अब तक …. कोई लड़की भी नहीं है घर में … जो मम्मी जी का हाथ बंटा पायें …. वो बेचारी अकेले क्या क्या देखे…. आप सबको समय से जॉब पर भेजना, बाकी घर के काम करना … मम्मी जी आप ग्रेट हो…. अब मैं आ गयी हूँ ना आपका सहारा बनने …. ये मसालदानी में मैने मासाले रख दिये है …. अब सारे डिब्बे चिकने नहीं होंगे…. हलवा भी तैयार है … सब लोग बैठिये लाती हूँ…
रागिनी का ससुराल आधुनिक विचारों वाला था… जहां वो अपने ससुर से भी खुलकर बात कर सकती थी…..
सुषमा जी ने रागिनी को गले से लगा लिया …. अभी तू नयी नवेली है बहू…….. जीवन का आनन्द ले…. ये सब तो चलता रहेगा बेटा …. इतना काम मत कर …..
सुषमा जी प्यार से बोली….
मम्मी जी…. घर के काम भी कोई बोझ होते है क्या … मुझे तो अपने घर को सजाना बहुत अच्छा लगता है…..
ससुर जी ने भी रागिनी के सर पर हाथ रख दिया …
खुश रह बेटा….. बड़ी समझदार है हमारी बहू सुषमा….
पतिदेव सूरज भी अपनी पत्नी की समझदारी पर खुद की किस्मत पर नाज कर रहे थे…..
रागिनी ने दो दिनों में ससुराल की पूरी काया ही बदल दी ….. पूरा घर व्यवस्थित हो गया था……
तीन दिन बाद रागिनी को पगफेरे के लिए मायके जाना था…..
सुषमा जी रागिनी को गले लगा फूट फूटकर रोने लगी….
बहू… चार दिन में तूने पूरे घर को इस कदर अपना लिया …. कोई कोई तो जीवन भर नहीं अपना पाती ….. सब किस्मत का खेल है.. कहां मेरे सूरज की शादी दिनानाथ जी की लड़की से हो रही थी… पर वो सूरज से उमर में बड़ी निकली तो वो राजेश जी के घर की बहू बन गयी… सुना है कि अगले दिन ही उसने सबको दहेज में मामले में फंसा दिया और घर छोड़कर चली गयी… क्या इज्जत रह गयी राजेश जी की…. हमारे घर तो तुझे आना था बेटा….. जल्दी आना बहू…. तेरी आदत जो हो गयी है सबको चार दिनों में ही…..
हां मम्मी जी… आप कोई इधर उधर का काम मत करना… आपकी सांस फूल ज़ाती है … मैं आकर देख लूँगी सब…..
रागिनी भी सुषमा जी से बच्चे की तरफ चिपक कर रोने लगी….
अब रहने दो भाभी… नहीं तो भईया भी रो पड़ेंगे… देखो कैसे देवदास से खड़े है ….
रागिनी ने सूरज की तरफ निगाह डाली… सच में सूरज की आँखों में भी आंसू थे…. रागिनी ने सूरज़ के आंसू पोंछे….. आप भी बिल्कुल बच्चे है … जल्दी आ ज़ाओगी…
चले भाभी….
रागिनी मायके आ गयी….. रागिनी के ब्याह को 15 साल होने को आयें… सुषमा जी और ससुर विनोदजी अब पहले से ही ज्यादा जवान दिखने लगे थे… ज़िन सुषमा जी को डॉक्टर ने कहा था कि ज्यादा नहीं जी पायेगी आज वो भी सुषमा जी को देख आश्चर्य में पड़ गया….
आखिर ये बहू बेटा ही तो होते है जो चाहे तो माँ बाप की ऊमर दो गुनी कर दे, चाहे आधी….
स्वरचित
अप्रकाशित मौलिक
मीनाक्षी सिंह
आगरा