बेटा सौरभ व बहू सुधा थे कमरे से आज फिर तू तू मे में कीआबाज सुन घर कौमुदी बहुत परेशान हुई।
ऐसा एक सप्ताह में तीसरी बार हो रहा था,कि सुबह सुबह इन दोनों पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो रहा थाा।
पहले तो सोचा कि पति-पत्नी का आपसी मामला है खुद ही सुलझा लेंगे,मेरा इनके बीच में न पड़ना ही ठीक है।
लेकिन जब आज तीसरी बार ऐसा हुआ तो कौमुदी के मन में परेशानी के बादल मंडराने लगे। उसी समय बेटा सौरभ गुस्से में फनफनाता हुआ कमरे से बाहर निकला और वे कुछ बोलती उससे पहले ही दनदनाता हुआ ऑफिस के लिए निकल गया।उसके जाने के बाद सुधा कमरे से रोती हुई निकली और आकर अपनी सासूमां से लिपट कर फूट फूट घर रोने लगी।
आप ही बताओ मां कि शादी कोई
गुड्डे गुड़िया काखेल है क्या जब चाहे जोड़लो और जबचाहे तोड़ दो।जानती हैं सौरभ ने मुझसे साफ शब्दों में कहा है कि जब शाम को में ऑफिस से लौटूं तो तुम्हारा चेहरा मुझे इस घर में दिखना नहीं चाहिए।
अरे,पगला गया है कया ,ऐसा कैसे कह सकता है वह तुमसे,तू इस घर की बहू है और मेरी प्यारी बेटी भी,देखती हूं वह ऐसा कैसे कर सकता है आने दे शाम को ऑफिस से , तो उसका कान पकड कर तुझसे माफ़ी न मंगबाई तो मेरा नाम नहीं।
जवकि पिछले महीने जव तुमने खुश खबरी सुनाई थी कि आप बाप बनने वाले हैं तो कितना खुश था,तुमको लेकर मूबी दिखाने भी लेगया था।फिर अचानक ऐसा क्या होगया जो इस तरह की बातें कर रहेहै।
कहीं ये सब उस कलमुही मोहिनी का किया धरा तो नहीं है,उस दिन जब तेरी बर्थ डे पार्टी में घर पर आई थी तो जैसे तो सौरभ के साथ लिपट चिपट कर डांस कर रहीं थी। मैं तो यह सोच कर चुप रही कि सौरभ की पर्सनल सैकटरी है शाय़द इसीलिए बुलाया होगा सौरभ ने ।
मां आपने नोट किया था कि बर्थ डे मेरा था और केक सौरभ ने उसे पहले खिलाया।बुरा तो मुझे भी बहुत लगा था फिर यही सोच कर चुप रही कि कयों बेकार में पार्टी का मजा किरकिरा कियाजाय। फिर मैंने सोचा कि सौरभ प्यार तो मुझसे ही करते हैं और फिर मैं इतना अच्छा डांस घर भी कहां पाती हूं। मोहिनी तो हमारी गेस्ट है इसीलिए उसको अटैंड घर रहे होंगे,फिर वो हमारे घर पहली बार ही तो आई थी।
सुधा बेटा तुझे इस घर से मेरे रहते कोई नहीं निकाल सकता मजाक में कह दिया होगा सौरभ ने ।तू आजकल अपने सजने संवरने पर ध्यान भी तो नहीं देपारही। तुझे तो मालूम ही हैन सौरभ रोमांटिक तबियत का इंसान है, खूबसूरती उसे लुभाती है।
मां अब आप ही बताओ मैं ऐसा क्या करूं कि सौरभ का दिल जीत सकू्ं,मैं जानती हूं कि मैं अप े शरीर में पलने वाले जीव के कारण अपने उपर अधिक ध्यान नही दे पाती,तो सौरभ को भी तो समझना चाहिए मेरी मजबूरी के बारे में।
बेटा पुरुष तो भंवरा होता है, जहां कोई सुन्दर फूल देखा बस उसी पर मंडराना शुरु कर दिया। पर तू चिंता न कर मैं हूं ना तेरे साथ।
अच्छा ऐसा कर आज तू सौरभ की पसंद का अच्छा सा नाश्ता बनाने फिर उसके बाद तुम दोनों कहीं बाहर घूमने निकल जाना।कितने दिन से तुम लोग कहीं बाहर गए भी नही हो।
जी,मां आप कितनी अच्छी है,मेरा कितना ध्यान रखती हैं।
सुधा नाश्ता बनाने के लिए रसोई में जाती है,उसी समय सौरभ का फोन आया है।सुधा कुछ कहे उससे पहले ही सौरभ ने बोलना शुरू कर दिया,
सुधा मैने आज कोर्ट मैरिज करली है मोहिनी के साथ।शाम को उसको लेकर घर आरहाहू। लेकिन फोन करना इसलिए जरूरी था कि एक तो मैंने तुमको अभी तलाक नहीं दिया है,सो तुम चाहो तो इसी घर में रह सकती हो,लेकिन मेरी पत्नी होने का दर्जा अब मोहिनी का है।
सुधा ने जब यह सुना तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई, तभी सासू रसोई में आई,किसका फोन था बेटी,सौरभ का ही था न ।लगता है तेरे हाथ के बने नाश्ते की खुशबू उस तक पहुंच ही गई।
नही मां,फोन मेरी सहेली का था उसने मुझे किसी जरूरी काम से अभीबुलाया है ।मै जाकर आती हूं।
सुधा के जाने के १५ मिनट बाद सोरभ मोहिनी को लेकर घर में प्रवेश करता है। मां मैंने मोहिनी से कोर्ट मैरिज करली है।आप आरती करके अपनी बहू का स्वागत नही करोगी।
मां ने कहा,बहू तो मेरीसुधा ही रहेगी वेशक ये तेरी पत्नी हो सकती हैं ।बेमन से आरती करती हैं ,मोहिनी उनके चरण स्पर्श करने को झुकती है तो न चाहते हुए भी उनके मुंह से निकल ही जाता है कि ये ड्रामा करने की कोई जरूरत नही है।
सौरभ के घर से निकलने के बात सुधा अपनी फ्रेंड के यहां पहुच कर सारी बातें उसको बताती है,उसकी फ्रेंड डॉली कहती है कि सौरभ ने समझ क्या रखा है , तुझे तलाक़ दिया बिना वो दूसरी शादी कैसे कर सकता है। कोर्ट में जाकर उसके उपर मुकदमा दायर करते हैं।
नहीं डॉली मुझे कोई कोर्ट कचहरी नही जाना,जब उनके दिल में ही मेरे लिए कोई जगह नहीं है तो जोर जबरदस्ती से क्या फायदा।
मै कुछ दिनों तक तेरे पास रुक कर कोई कमरा तलाशती हूं अपनेलिए ,साथ ही कोई जाॉव भी,मेरे पास बीएड की डिग्री तो है ही किसी स्कूल में टीचिज की जॉव मिलजायगी तो अच्छा रहेगा।
किस्मत ने भी मेरे साथ अजीब सा खेल खेला है।रोने धोने से क्या फायदा जव किस्मत ही साथ नहीं दे रही।
समय अपनी गति से बीतता रहा,सुधा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया,डॉली की हेल्प से सभी कुछ ठीक से निपटगया। जब उसकी बेटी किरन ६ महीने की हो गई तो डॉली ने एक स्कूल में टीचिंग जॉव दिलबा दी। लाइफ की गाड़ी पटरी पर आरही थी । सुधा की मकान मालकिन उसकी बेटी की देखभाल करलेती जब तक सुधा स्कूल से लौट कर नहीं आज़ाती।
सुधा की बेटी किरन ने भी स्कूल जाना शुरु कर दिया था।जब कभी किरन अपने पापा के बारे में पूछती तो सुधा यह कह कर समझादेती कि तेरे पापा बाहर नौकर करते हैं, इसलिए हम लोगों से मिलने नही आपाते।इतनी छोटी बेटी के मन में सच्चाई बता कर उसको उलझन में नहीं डालना चाहती थी।
आज इतबार था सुधा आराम से सोकर उठी फिर रसोई में जाकर नाश्ता बनाने लगी,पोहा बनाने का सोचा तभी पिछली सारी बातें दिमाग में किसी चलचित्र की तरह घूम गई।
उसदिन भी तो पोहा ही बनाने रसोई में गई थी क्योंकि पोहा सौरभ का पसंदीदा नाश्ता और आज भी जब रसोई में नाश्ता बनाने गई,उसी समय सौरभ का फोन आया ,हैलो कहने के बाद जैसे ही सौरभ का स्वर कानों में पड़ा, सौरभ ने तुरंत बोलना शुरू कर दिया,सुधा प्लीज़ फोन मतकाटना,मैं तुमसे माफ़ी मांगना चाहता हूं मैं अपने किए पर बहुत शर्मिन्दा हूं,मै तुमसे मिल कर सारी बातें करना चाहता हूं।
दूसरे दिन सौरभ जब सुधा के घर पहुंचा तो सुधा ने देखा कि सौरभ उम्र से कुछ बड़ा लगने लगा था,बालों में भी सफेदी उतर आई थी।चेहरा एकदम निस्तेज सा हो गया था।
सुधा तुम जो सजा मुझे देना चाहो मुझे मंजूर है, मैं तुम्हारा अपराधी हूं ।न जाने किस कुघडी में ,मैं मोहिनी की चिकनी चुपड़ी बातों में फंस गया।दरअसल उसे मुझसे नही मेरे पैसों से प्यार था।मेरा सारा बैंक बैलेंस खाली कर दिया और एक दिन मुझे छोड़कर चली गई यह इल्जाम लगाया कि मैं ऐसे कंजूस के साथ नहीं रह सकती।
मैं एकदम अकेला हो गया हूं मां भी मेरा साथ छोड़कर उपर जाचुकी हैं, अब तुम्हारा ही सहारा है प्लीज़ अपने घर बापिस लौट चलो मैं तुमको लेने आया हूं । प्लीज़ न मतकहना।
सुधा ने सधे स्वर में कहा , मिस्टर सौरभ अब इस सबके लिए बहुत देर हो चुकी है।
यदि हम किसी का दिल दुखाते हैं तो खुद भी उस दुख का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।हमारे बुरे कर्म लौट कर जरूर आते हैं,शायद इसी को किस्मत का खेल कहते हैं।
स्वरचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
#किसमत का खेल
A good story. 👌👍