किसी को तो बदलना पड़ेगा – रोनिता : Moral Stories in Hindi

बहू…! आज खाना मिल जाएगा क्या..? 1:30 बज गए हैं… तुम्हें नहीं पता मुझे दवाई भी लेनी होती है..? कमला जी ने आवाज लगाई, तभी अंदर से रागिनी अपने 8 महीने के बेटे बबलू को लेकर बाहर आई… बबलू रोए जा रहा था और रागिनी उसे थपकी देते हुए कमला जी से कहती है…

मम्मी जी बबलू की तबीयत लगता है ठीक नहीं है… कल रात से काफी रो रहा है… इसलिए मेरी गोद से उत्तर भी नहीं रहा… आज किसी तरह मैंने खिचड़ी चढ़ा दी… कुकर बंद कर दी है… आप बस जब कुकर ठंडी हो जाए तो अपने और पापा जी का निकाल कर आचार के साथ खा लेना…

रागिनी का इतना कहना हुआ ही था कि कमला जी उस पर बरस पड़ी और कहा… क्या एक तो बनाई खिचड़ी… यह पूछना भी जरूरी नहीं समझा हमें आज खिचड़ी खाना है या नहीं..? ऊपर से ना पापड़ ना दही… कहती हो बस अचार से खा लो…. हम इंसान है और इस घर के मुखिया…

कोई मजदूर नहीं जिसे जो मन आया परोस दिया… बच्चे अकेले पूरी दुनिया में तुमने ही पैदा नहीं किया… मैंने भी जना है और घर परिवार भी संभाला है… अरे तुमने तो बड़े आसानी से कह दिया खुद लेकर खा लो… हमने जो अपने समय में अपनी सास को यह कर दिया होता तो ना,

तो उसी वक्त घर से धक्का मार कर निकाल दिया होता… वह तो शुक्र मनाओ, मैं ऐसी नहीं हूं… यहां रखो बबलू को और जाओ हमारा खाना पड़ोसो…

रागिनी:   मम्मी जी… मैं सच कह रही हूं… यह मुझे नहीं छोड़ रहा है.. तब से मैं इसे सुलाने की कोशिश कर रही हूं… पर सो भी नहीं रहा… लगता है डॉक्टर के पास ले जाना पड़ेगा…

 कमला जी:   हां यह एक और तरीका हैंघर के कामों से भागने का… अरे बच्चा है पेट में दर्द हो रहा होगा… एक रिंग की पोटली बनाकर जरा नाभि के पास सिकाई कर दे… अभी शांत हो जाएगा यू बात-बात डॉक्टर जाकर यह बताना चाहिए है

कि तुम लोग बड़े मॉडर्न हो… पर याद रखो जितना असरदार घरेलू नुस्खे होते है, वह और कोई नहीं होता… जाओ इसे यहां रखकर, तब तक मैं इसे संभालती हूं…

 रागिनी जैसे ही बबलू को कमला जी के गोद में देने लगती है.. बबलू और दहाड़े मार मार रोकने लगा, पर कमला जी जबरदस्ती उसे लेकर रागिनी को वहां से जाने का इशारा करती है… रागिनी वहां से जाने लगती है… पर बबलू का यूं रोना व बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी…

फिर भी वह रसोई में गई, सबसे पहले उसने अपने सास ससुर का खाना परोसा… फिर हिंग की पोटली बनाकर ले आई और झट से आकर अपने बेटे को कमला जी के हाथों से लेकर सीधे अपने कमरे में चली गई.. उसके इस रवैया से कमला जी गुस्से में अपनी पति राम अवतार जी से कहती है…

देखो कैसे लेकर गई बबलू को..? जैसे मानो उसके बेटे को मैं खा जाती… मुझे तो हमेशा से ही पता था, इसके मन में पाप है.. यह नहीं चाहती के इसका बच्चा इसके अलावा और किसी से घुले मिले… ताकि उसके बहाने बनाकर काम से बच सके… पर यह मुझे नहीं जानती है… मैं भी इसकी सास हूं…

राम अवतार जी:   बस यही तो दिक्कत है कमला… तुम बस इसकी सास हो… पर तुम एक औरत एक मां भी हो, यह बात भूल गई हो..

 कमला जी:   क्या मतलब है आपका..?

 रामअवतार जी:   देखो मैं औरतों के बारे में जितना जानता हूं, वह यह है कि एक औरत अपने पर हुए हर व्यवहार को एक समय के बाद भूल जाती है… पर वह कभी नहीं भूलती अपने गर्भावस्था  और अपने दूधमुहे शिशु को बड़ा करने के दौरान अपने पर हुए व्यवहार को…

आज वह तुम्हारी हर बात को मानने पर मजबूर है क्योंकि उसे लगता है हम इस घर में मुखिया है… पर एक दिन जरूर आएगा, जब हम बस बिस्तर पर पड़े इस की सेवा की राह तक रहे होंगे… तब वह इस घर की मुखिया होगी और उस समय वह अपने पर हुए इस व्यवहार को याद कर हमारी सेवा को बस बोझ समझेगी

और कौन जाने..? सेवा तो क्या..? वह हमें पूछे ही ना… फिर इस पर ही दोष लगाओगी… पर शायद ही तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि इस स्थिति का बीज रोपन को कब का हो चुका था…

 कमला जी:  आप और आपकी ज्ञान की बातें.. यह तब कहा गया था जब आपकी मां मेरे साथ यही सब करती थी… उन्होंने भी मुझे कम नहीं सताया था..

 रामअवतार जी:   बस तुम औरतों की यही दिक्कत है… तुम सभी सभी जानते हो कि तुम लोगों का यह रवैया गलत है… पर फिर भी तुम्हें यही करना है.. क्योंकि तुम्हारे साथ कभी यही हुआ था… किसी को यह ख्याल नहीं आता कि जो मेरे साथ हुआ वह अब और किसी के साथ नहीं होना चाहिए…

कहीं पर किसी को तो या बंद करना चाहिए.. तभी तो आजकल रिश्तो में प्यार और अपनापन नहीं बस मनमुटाव और एक दूसरे के प्रति हिंसा भावना ही दिखते हैं…

 कमला जी:   क्या विचार है.?? पर यह सब आपने पहले कभी नहीं कहा.. मुझे तो कभी नहीं लगा के मैं इतना बुरा व्यवहार कर रही हूं अपनी बहू के साथ.. यह सब आपकी सोच है.. ऐसे ही होते हैं हर घर में तभी यह बहुएं काबू में रहती है… वरना तो फिर यह अपने मन की करने लगेगी और इसलिए

तो ज्यादातर बुजुर्गों को अपना बुढ़ापा वृद्ध आश्रम में बिताना पड़ता है… क्योंकि पहले से ही वह अपनी पकड़ ढीली कर देते हैं..

रामअवतार जी:   गलत कर रही हो तुम… इसी की वजह से वृद्धाश्रम में भीड़ दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है और तुम्हें लगता है या तुम्हारे रोक-टोक और क्लेश से काबू में रहेगी… याद रखना ज्यादा खिंचाव ज्यादा हो जाता है.. धागा मजबूत नहीं टूट जाता है

और रिश्तो तो कच्चे धागे की तरह ही होते है… अब मेरा काम था तुम्हें समझना… आगे तुम खुद ही समझदार हो..

 कमला जी रामाअवतार जी के बातो को अनसुना कर बड़बड़ाते हुए चली गई और रागिनी को कुछ काम बताने उसके कमरे में जाने ही लगी के रागिनी बबलू से कुछ कह रही थी.. उसी को सुनने को वह दरवाजे पर ही रुक गई… जहां रागिनी बबलू से कह रही थी…

चुप हो जा मेरे सोना… मम्मी आ गई हैं… अब वह आपको रुला कर कहीं नहीं जाएगी… हमारी तकलीफ कोई नहीं समझता बेटा… दादी को आपकी तकलीफ भी नहीं दिखती.. ना ही मेरी.. पर मुझे पता हैं, आप ऐसे ही नहीं रो रहे हो.. पापा आ जाए फिर आपको ले चलूंगी डॉक्टर के पास..

जब यह सब रागिनी बबलू से कह रही थी बबलू भी मानो सब कुछ समझ रहा था.. उसका रोना बंद था और वह बस अपनी मां को एक टक देखे जा रहा था.. यह सब देखकर कमला जी की आंखों में आंसू आ गए और वह सोचने लगी कि कहीं यह सही तो नहीं कह रहे थे… बहू को काबू में रखने के चक्कर में मैंने उस पर अत्याचार ज्यादा तो

नहीं कर दिया… पर जो भी हो इसे यू बच्चे से ऐसे नहीं बोलना चाहिए.. यह सोचकर वह हड़बड़ा कर अंदर आ गई और रागिनी से कहा… यह सब क्या जहर भर रही हो मेरे पोते के मन में..? उसे यह बताना चाहती हो कि उसकी दादी बहुत बुरी है..? पर क्या फायदा जब तक यह समझने लायक होगा इसकी दादी अच्छी बन चुकी होगी…

रागिनी हैरान होकर कमला जी के इस बात को समझने की कोशिश कर रही थी… तभी फिर कमला जी ने कहा… हां अब तक मैं तुम्हारी तकलीफ नहीं समझती थी या फिर यू कह लो, जान बूझकर समझ समझना नहीं चाहती थी..

पर आज तुम्हारे पापा और तुम दोनों की बातों ने मुझे सच का आइना दिखा दिया है… बहू माफ कर दो.. अब से मैं तुम्हें कभी तंग नहीं करूंगी और तुम्हारी मदद भी करूंगी… तभी पीछे से राम अवतार जी आकर कहते है… बहु उसकी बातें रिकॉर्ड कर लो, और जो यह अपनी बात पर अमल न करें.. इसे भेज देना वृद्ध आश्रम… इस बात से कमला जी चिढ़ जाती है और राम अवतार जी और रागिनी ठहाके मार कर हंसने लगते हैं..

धन्यवाद 

रोनिता 

#मनमुटाव

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