किसान की चतुराई

एक गांव में महेंद्र नाम का किसान रहता था उसके पास  दो शक्तिशाली बैल थे। महेंद्र के बैल पर उसी गांव के एक बड़े किसान राजेंद्र की नजर थी वह सोचता था कि महेंद्र उसे अपना बैल बेच दे  लेकिन महेंद्र अपना बैल बेचने को तैयार नहीं था।

जब महेंद्र की फसल तैयार हो गया तो राजेंद्र ने अपने आदमियों से कह कर महेंद्र की फसल में आग लगवा दिया था जिससे महेंद्र का सारा फसल जलकर बर्बाद हो गया।  महेंद्र दाने-दाने के लिए मोहताज हो गया तब जाकर राजेंद्र ने महेंद्र से कहा अगर तुम अपने बैल हमारे पास गिरवी रख दो तो मैं तुम्हें ₹1000 कर्जा दे दूंगा जिससे तुम अगले साल चुका कर अपना बैल ले जाना।

छोटे  किसान ने भी सोचा कि आखिर अब इस  बैल को रख कर करूंगा क्या आखिर खिलाने भी इसको अलग से पड़ेंगे यहां खुद के खाने के लिए अनाज नहीं है फिर मैं बैल को कैसे खिलाऊंगा 1 साल की ही तो बात है अगले साल फसल हो जाएगी तो राजेंद्र की ₹1000 चुका कर अपने बैल ले  आऊंगा।



अगले साल मेहनत कर छोटे किसान ने फिर अपने फसल लगाई और जैसे ही फसल काटने का समय आया बड़े किसान राजेंद्र ने इसकी फसल में  फिर आग लगवा दिया क्योंकि बड़े किसान अब उसकी बैल को देना नहीं चाहता था। उसे लगा कि अगर किसान के फसल सही तरीके से काट के घर लेकर चला गया तो वह मुझे ₹1000 लौटा कर अपने बैल वापस लेकर चला जाएगा।

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 लेकिन इस बार छोटे किसान ने भी ठान लिया था कि अपना बैल  किसी भी हाल में बड़े किसान से छुड़ाकर लाएगा उसने किसी और से ₹1000 उधार लेकर बैल को मांगने गया।

बड़े किसान ने बोला कि बैल ले  जाकर क्या करोगे तुम्हारी फसल तो फिर से जल गई है।  अगर तुम्हें कुछ पैसे चाहिए तो तुम मेरे से ले सकते हो।

छोटे किसान ने कहा कि नहीं पता नहीं कौन मेरा हर साल फसल को जला देता है अब मैं यह बैल लेकर यह गांव ही छोड़ दूंगा मैं किसी दूसरे गांव में चला जाऊंगा और वहीं पर खेती किसानी करूंगा।

बड़े किसान ने सोचा कि अब तो लगा है की बैल हाथ से चला जाएगा।

बड़े किसान ने एक तरकीब सोची और छोटे किसान को कहा कि एक बाजी खेलते हैं।  छोटे किसान ने कहा कि क्या ? बड़े किसान ने कहा कि मैं इस थैले में दो पत्थर डालूंगा एक पत्थर काला होगा और एक पत्थर सफेद अगर तुमने इसमें से सफेद पत्थर बियन देखे निकाला तो तुम्हारा बैल  भी और साथ में मैं तुम्हें ₹5000 दूंगा।

लेकिन अगर इस थैले में से काला पत्थर तुमने निकाल दिया तो यह बैल  हमारे हो गए।



छोटे किसान को पता नहीं मन में क्या सुझा और उसने हाँ कह दिया।

बड़े किसान ने जमीन से दो पत्थर निकालकर थैली में रखने लगा।  छोटे किसान क्या देखता है कि बड़े किसान ने थैले में दोनों ही पत्थर काले रंग के ही रखे हैं।

छोटे किसान ने सोचा कि वह बड़े किसान को बोल  दे यह तो गलत है आप तो थैले में दोनों ही काले पत्थर ही रखे हैं लेकिन उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी उसने सोचा कि अगर  यह करूंगा तो मेरे बैल भी हो जाएंगे और साथ में ₹5000 भी मिल जाएंगे।

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बड़े किसान ने उसे दिखाते हुए बोला है लो  इसमें से कोई भी अपनी पसंद का बिना देखे एक पत्थर निकालो।  छोटे किसान ने उसमें से हाथ लगाया और पत्थर निकाल कर जमीन पर गिरा दिया और बोला इसमें तो पत्थर जमीन पर गिर गया है।  

बड़ा किसान बोला कितने बेवकूफ हो तुम अब तुम ने जमीन पर पत्थर गिरा दिया कैसे पता चलेगा कि इसमें से कौन पत्थर तुमने निकाला है जमीन पर तो इतने सारे पत्थर पड़े हुए हैं।  छोटा किसान रिलेक्स होते हुए बोला। भाई साहब इसमें घबराने की कोई बात नहीं है आप थैली में देख लो थैली में अगर काला पत्थर होगा तो सोचिए मैंने सफ़ेद निकाला होगा या थैली मे सफ़ेद होगा तो मैंने काला निकाला होगा।

सोचने वाली बात यह है कि जब किसान ने काला पत्थर नीचे फेंक दिया है तो थैले में तो सिर्फ काला पत्थर ही बचेगा और यही खेल का नियम था कि अगर किसान सफेद पत्थर बाहर निकाल देता है तो वह अपना बैग और ₹5000 भी जीत जाता है।

छोटे किसान की चतुराई काम आ गई और अपने बुद्धि के बल पर अपना बैल भी और ₹5000 भी जीता।  बड़ा किसान सिर्फ देखता रह गया और कुछ कर ना सका।

दोस्तों यह कहानी हमें सिखाती है कि आप की परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो अगर आप उसमें सही निर्णय लेंगे तो जीत हमेशा आप ही की होगी।

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