Moral Stories in Hindi : राम राम सारा धर्म भ्रष्ट कर दिया क्यों री बहू तूझे क्या यही मिली थी खाना बनाने कोई उच्च कुलीन वर्ग की नहीं मिली कोई चाहे जिस को भी रसोई में घुसा लेती है मैं तो इसके हाथ का पानी भी नहीं पियूंगी अमिता की सांस ने अमिता से कहा । अमिता कुछ बोलती कि सांस ने चुप करा दिया वो अभी अभी तो अस्पताल से आई है । आने दे रमन को अभी बात करती हूं उससे ।सांस थी कि बड़बड़ किए जा रही थी अमित को बोलने का मौका ही नहीं दे रही थी।
अमिता काफी समय से पेट दर्द से परेशान थी । डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि अमिता का हार्निया बढ़ गया है जिसका आपरेशन कराना पड़ेगा । लेकिन आपरेशन को वो टाल रही थी जब भी दर्द होता दर्द निवारक दवा खा लेती थी । अमिता की पांच साल की बेटी थी उसको कौन संभालेगा बस इसी वजह से आपरेशन टाल रही थी ।
अमिता की मां तो थी नहीं सास और एक देवर थे । रमन अपनी मां को बुलाना चाहता था घर पर बेटी और घर की देखभाल के लिए । रमन ने मां से बात की तो मां बोलीं बेटा थोड़ा रूक जाओ ठंड बहुत पड़ रही है थोड़ी ठंड कम हो जाने दे फिर करवाना आपरेशन तभी मैं आ जाऊंगी।
रमन लखनऊ में नौकरी करता था और मां इलाहाबाद के पास एक गांव में रहती थी । रमन बोला ठीक है मां लेकिन एक रात अमिता के पेट में भयंकर दर्द उठा तो रमन उसको लेकर अस्पताल पहुंचा । बेटी को पड़ोस में छोड़ दिया । डाक्टर ने कहा अभी आपरेशन करना पड़ेगा ।रात को ही अमिता का आपरेशन हो गया ।
दूसरे दिन सुबह जब रमन घर आया तो उसके समझ में नहीं आ रहा था कि घर को कैसे मैनेज करें बेटी को भी देखना था ।एक दिन तो पड़ोस से खाना आ गया लेकिन एक हफ्ता लगेगा अस्पताल में कैसे सबकुछ मैनेज होगा। यही सोच रहा था कि बरतन धोने वाली मीना ने दरवाजे पर दस्तक दी । मीना को देखकर रमन खुश हो गया वो सोचने लगा क्यों न इसी से सारा काम करवा लिया जाए । अमिता को भी पतली खिचड़ी देना था बेटी को भी खाना खिलाना था ।
रमन ने मीना से बात की सुनो मीना अमिता का तो आपरेशन हुआ है सुनो जरा घर समेट दो सफाई कर दो और अमिता के लिए पतली खिचड़ी बना दो और मेरे लिए रोटी सब्जी बना दो । मीना ने सब काम सलीके से कर दिया ।अब तो रोज ही मीना सारा काम कर देती थी।
रमन की मां को जब पता चला कि अमिता का आपरेशन हो गया है तो अपने छोटे बेटे को लेकर रमन के घर आ गई ।घर में आकर जब मीना को काम करते देखा तो बरस पड़ी । सारा धर्म भ्रष्ट कर दिया सबकुछ छू लिया । अमिता की आज छुट्टी करा कर रमन उसको घर पर छोड़ कर कुछ दवा वगैरह लेने चला गया ।
रमन जब वापस आया तो मां को बड़बड़ करते सुना ।रमन बोला क्या हो गया मां , मां फिर से बिफर पड़ी सब इसके हाथ से छू गया मैं तो खाना नहीं खाऊंगी। रमन बोला क्या हो गया मां तुम किस ज़माने में जी रही हो इसी ने संभाला हुआ है घर एक हफ्ते से।और क्या लगा रखा है छू गया ,छू गया क्या हो गया साफ सुथरी है नहा धोकर आती है सफाई से काम करती है ये न करती तो कैसे होता।आप आ गई तो ठीक है अभी तो अमिता कुछ काम नहीं कर पायेगी और आपके भी घुटनों में दर्द रहता है ।
आप अकेले घर , मुझे , अमिता और बेटी को सबकुछ कैसे संभालेंगी। क्या रखा है जात पात में यहां बड़ा शहर है यहां कोई नहीं देखता ये सब ।ये तुम्हारा गांव नहीं है । जमाना बदल गया है पता नहीं किस ज़माने में जी रही हो आप । बुढ़ापे में बैठकर आराम से खाना खाओ ।सब मीना करके देगी अब तो बस आप बैठकर अपने सुपरविजन में काम करवाओ समझी मां । हां बेटा तू ठीक कह रहा है । जमाना बदल गया है ।मैं भी अकेले कहां कर पाऊंगी सबकुछ । ठंडी भी तो बहुत पड़ रही है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
20 जनवरी