किन्नर की मां – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जिस घर में नेहा और आकाश के होने वाले बच्चे की तैयारी में घर भर में खुशियां मनाई जा रही थी, तैयारियां हो रही थी, हर एक सदस्य इस नए मेहमान के आने का इंतजार बेसब्री से कर रहा था, तो आज बच्चा होने पर ऐसा क्या हुआ कि घर भर में उदासी छा गई, हर एक सदस्य आपस में मुंह छिपा रहा था, भगवान से शिकायत कर रहा था कि हमारे साथ ही ऐसा क्यूं?

उधर जब नेहा  प्रसव पीड़ा के बाद होश में आती है तो अपने बच्चे को गोद में लेना चाहती है, उसे छाती से लगाना चाहती है, उसे दूध पिलाना चाहती है, पर कोई उसे ठीक से कुछ बता ही नहीं रहा था कि आखिर बात क्या है,उसका मन आशंकाओं से भर गया, तब उसने अपनी सास सरोज जी से बच्चे के बारे में पूछा तो सरोज जी ने उसे बच्चे की हकीकत बताई ।

एक बार को तो नेहा को भी धक्का लगा, पर कुछ ही समय में अपने को संभालती हुई बोली, नहीं मां बच्चा तो हमारा ही है, चाहे जो हो मैं उसका पालन पोषण करूंगी । मेरे दूध पर उसका उतना ही हक है जितना गाय के दूध पर उसके नवजन्मे बच्चे का।

नेहा की काफी मिन्नतों के बाद उसकी सास थोड़ा पिघल सा ग‌ई,उन्होंने बच्चे को उठाकर उसकी गोद में दे दिया । बच्चे का मासूम चेहरा देख कर नेहा की ममता तड़प उठी, उसने बच्चे को ढेर सारा प्यार किया और दूध पिलाने ही वाली थी कि किन्नर समाज के लोग बच्चे को लेने आ गए, और जबरदस्ती बच्चा अपने साथ ले जाने लगे। 

परिवार वालों में से कोई कुछ ना कर सका, पर नेहा ने अपनी ममता की दुहाई दी, उसकी पीड़ा के अश्रु उसकी आंखों और उसकी छाती दोनों से बह रहे थे।

उसकी यह दशा देखकर किन्नर समाज की महारानी पदमा को अपना बचपन याद आ गया कि किस तरह से उसको भी उसकी मां से अलग कर दिया गया, उसकी मां भी तरसती रही और उसका तो जैसे सारा जीवन ही यातनाओं में बीत गया।

सोचने लगी कहने को तो दूसरों की खुशियों में जीते हैं हम, हंसते हैं, गाते हैं, पर क्या किसी ने हमारा दिल पढा है हमारी व्यथा जानी है क्या हम खुद के लिए खुश नहीं हो सकते।

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ऐसे अनेक सवाल उसके दिमाग में चलने लगे। हमारा क्या कसूर है जब  ईश्वर ने ही तीन तरह के इंसान बनाए हैं ,पुरुष स्त्री और हम किन्नर लोग।माना थोड़ा समय लगेगा हमें अपना स्थान पाने में, पर शुरुआत तो करनी ही होगी, और अब तो सरकार ने भी हर जगह हमारी मान्यता थर्ड जेंडर के रूप में दे ही दी है, तो क्यों हम इस व्यवस्था को नहीं बदलते और कब तक नहीं बदलेंगे।

उसने सोचा आज से ही ये एक अच्छी शुरुआत करते हैं, ऐसा सोचकर उसने नेहा की गोद में उसका बच्चा वापस डाल दिया और बोली ले पाल ने अपना बच्चा, मिटा ले अपनी दूध की तड़प,पर देख इसको भी आम बच्चे जैसा ही पालना, पढ़ाना लिखाना, क्योंकि ये समाज मतलबी रिश्तो से भरा पड़ा है, इसलिए तुझे उन सभी मतलबी रिश्तो से इसे बचाना होगा ।

अपने आप को मजबूत करना होगा,कदम कदम पर परीक्षा देनी होगी, तभी तू इस बच्चे के साथ और अपनी ममता के साथ न्याय कर पायेगी।

क्योंकि इस समाज पर इसका भी इतना ही हक होता है जितना और बच्चों का, और देख घबराना नहीं, हर जगह तेरा और तेरे बच्चे का इम्तहान होगा। पर कहते  हैं ना मां की ममता के आगे तो ईश्वर भी हार जाता है तो इंसानों की क्या औकात है।

इतना कहकर पदमा ने कुछ लेने के बजाय अपने पास से ही कुछ रुपए बच्चे पर न्योछावर कर दिए और जोर-जोर से नाचना और गाना शुरू कर दिया और सभी को बच्चे के जन्म की बधाई दी।

नेहा भी बहुत खुश थी और उसने अपने आप से प्रण किया कि वो अपने बच्चे को सामान्य बच्चा जैसा ही पालेगी। उसे वो सब कुछ देगी जिसका वो हक रखता है, और ये सिर्फ लड़ाई उसकी और उसके बच्चे की नहीं ,ये तो एक जंग है हर एक  उसके जैसी मां और उसके जैसे बच्चे की।

इतना सोचते सोचते उसने बच्चे को अपने आंचल की छत्रछाया में ढांप लिया और दूध पिलाने लगी, जब उसका बच्चा दूध पी संतुष्ट होकर उसकी गोद में सो गया तो उस मासूम का मुखड़ा देखते देखते उसे लगा जैसे उसने अपने बच्चे को बचा लिया हो इस मतलबी दुनिया के मतलबी रिश्तो से।

ऋतु गुप्ता 

मौलिक व स्वरचित

#मतलबी रिश्ते

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