पति पत्नी में छोटे मोटे झगड़े होते ही रहते हैं, उसमे नीता और शेखर एक दिन कुछ ज्यादा ही बहस करने लगे।
शेखर जोर से बोले, “इस उम्र में भी तुम्हारा हैं मटक्का चालू रहता है। जरा शर्म करो।”
“हां, तुम तो दूध के धुले हो, याद करो, शादी के 10 वर्षों तक अपनी लैला के साथ घूमते रहे, मुझे घर परिवार के साथ झोंक दिया।”
“याद करो, तुम्ही ने बताया था, तुम्हारी एक बहन को ईश्वर ने किन्नर के रूप में भेजा था, जब 11 वर्ष में पता चला तो चुपके से उन्हें किन्नरों को दे दिया गया, जिसकी याद आज भी तुम करती हो।”
इसी तरह बात निकलती गयी और छीटाकशी चलती रही, अंत मे नीता तकिया भिगो कर सो गई। सुबह मेट्रो से अपने आफिस जाने लगी। अचानक महसूस हुआ कोई दूर से उसे निहार रहा। पहले तो नही पहचान पायी फिर उसके हाथ मे एक तरफ बिजली के तार में गिरने के चिन्ह देखकर उसे वो दृश्य याद आ गया, जब बचपन मे चबूतरे पर दोनो खेल रही थी। और दौड़कर वो उसके पास चली गयी, देखा किन्नरों के घेरे ने उसे रोकना चाहा, तभी चन्नी आगे आयी, ” कोई नही कुछ करेगा, ये मेरी अपनी बहन है।” फिर दोनो गले लगी एक लंबे अरसे के बाद, और दोनो ने मोबाइल नंबर एक दूसरे शेयर किया।
आफिस पहुँची ही थी, कि मेड ने फ़ोन किया, मैम जल्दी से घर आइये। घर पहुँचने पर एक अलग ही नजारा देखा, पता नही कैसे गैस लीक कर गयी, शेखर किचन में थे और आग लग गयी, सब स्वाहा हो चुका था, किसी तरह शेखर को अस्पताल पहुँचाया, एक हफ्ते की जिल्लत भरी जिंदगी के बाद शेखर खत्म हो गए, भारी मन से एक हफ्ता गुजरा।
फिर नीता को याद आयी चन्नी की, और उसने फ़ोन करके बुलाया। दोनो बहने अधिकतर साथ रहने लगी और एक दूसरे की सहायता करने लगी।
स्वरचित
भगवती सक्सेना गौड़