निहारिका बैचेनी से चहलकदमी कर रही थी ! धीरे धीरे अन्धेरा बढ रहा था , अब तो उसे डर भी लग रहा था , उसके कदम समीर के रुम की ओर बढ गये ।
तभी सामने से आता दिखा समीर , वो दौड़कर समीर के गले लग कर रो पडी, समीर ने उसे चुप करवाया ,
फिर निहारिका ने बताया की पापा मम्मी अभी तक आये नही! !
टेलीफोन की घन्टी की आवाज़ से निहारिका दोडकर हाॅल मे आयी ,
पापा आप कहा हो , बेटा पहले मेरी बात सुनो लाईन बहुत मुश्किल से मिली हैं !
हम सब ठीक है , पुल पर पानी भर गया है ,पानी उतरने में समय लगेगा शायद सुबह हो जाय ,
समीर को बुला लेना अपना ख्याल रखना “””””फिर खामोशी फोन कट गया था !
घर में उन दोनों के अलावा खमोशी थी, कुछ देर मे निहारिका ने खुद को सम्भाल लिया था !
अरे आपने तो अभी तक कुछ खाया ही नही , मै इतना घबरा गई थी की मैने कुछ बनाया ही नहीं , हा भूख तो लगी है मायूस सा हो गया समीर, उसकी तरफ देख कर हंसी आ गई निहारिका को “”””वो खाना बनाने लगी, पीछे से समीर भी आ गया मै” आपकी मदद करता हूँ ! अरे आप “””””भरोसा नहीं है मुझपर””” नही ऐसी बात नही है !
भरोसा करके देखो जीवन भर साथ निभाऊगा ,
सच”
निहारिका उसके गले लग गई , दोनों पूरी रात बात करते रहे, पर बाते खत्म ही नहीं हो रही थी !
सुबह की किरण दौनो के चेहरे पर पड रही थी !
अभी तो नीदं लगी थी! निहारिका अलसाई से अन्दर रुम मे जाकर सो गई ,समीर बाहर सोफे पर ही सो गया !
विनय जी ने समीर को उठाया ,
और अन्दर आ गये ,
माँ ने निहारिका को आवाज दी , विनय जी ने मना कर दिया बच्ची है सोने दो रात भर नही सोयी होगी!
हा पापा मै बहुत डर गई थी!
मेरी बच्ची है भाई ,बहुत हिम्मत है! धीरे से मुस्कुरा दी निहारिका ,
समीर बहुत देर से इन्तजार कर रहा था , निहारिका अब तक जाने क्यूँ न आयी थी !
समीर तभी निहारिका की आवाज़ गूंजी “
समीर ने उसे अन्दर खीच लिया ,
उसे अन्दर खीचते हुए दो आँखों ने देख लिया!
वो विनय जी थे, वो छत की बालकनी पर थे उनका चेहरा गुस्से तमतमा उठा ,उसी क्षण वो वो समीर के रुम मे आये और निहारिका को घसीटते हुए घर लाए,
माँ कुछ समझ ही न पायी,
माँ के पूछने पर बस इतना ही बोले , बेटी बडी हो गई है !
माँ मैने कुछ गलत नहीं किया ! मुझपर भरोसा करो ,,,बेटा बेगुनाह है तू मूझे पता है !
पर ये उम्र ही ऐसी होती हैं ,
निहाल ने समीर के रुम मे कदम रखते ही बोला ,
समीर भैय्या पापा ने आपको बुलाया है !
समीर अन्दर तक डर गया था !
फिर हिम्मत जुटाकर घर की ओर कदम बढा दिये!
विनय जी का ये रुप पहली बार देखा था समीर ने , बैठो “वो सख्त आवाज़ के साथ बोले,
समीर गर्दन झुकाये खडा रहा”
तुम निहारिका को पसन्द करते हो। ”जी बिना कोई लाग लपेट के हमीं भर ली समीर ने ,
अपनी औकात देखी है ,आज ही तुम अलीगढ वापस चले जाओ, और अब भी अगर तुम्हारे अन्दर कुछ इंसानियत बची हो तो मेरी बेटी कि जिन्दगी मे मत आना , अंकल मेरी बात सुनो “”” तुम अच्छे बच्चे हो, अपने बाप के बुढापे की लाठी हो, तुम यहाँ कुछ सिखने आये हो हमारा एहसान है तुमपर ,,,समीर बेबसी से देखता रहा ,कल चार बजे की टिकट है तुम्हारी”””” जाने से पहले एहसान के बदले वादा करते जाओ की अब निहारिका से कभी नहीं मिलोगे ,,
ठीक है ,अंकल “””वादा रहा”””
और फिर उसने रूम की ओर कदम बढा लिए ,रूम में आकर बहुत देर तक शून्य मे घूरता रहा समीर “
उसने निश्चय कर लिया , अब वो अलीगढ चला जायेगा । एक झटके से गाडी स्टेशन पर रुकी समीर नीचे उतरा ,सुबह के चार बज रहे थे ,इक्का दुक्का चाय की दुकाने खुल गई थी ! आगे का सफर उसे टैक्सी से करना था !
घर पहुंचा तब तक काफी उजाला हो चुका था !
समीर को देखते ही पिता जी बाहर आ गये! उसने पैर छुए बेटा अचानक कैसे आना हुआ “””जी पिता जी दिल्ली मे कुछ काम था इधर से निकला तो सोचा आपसे भी मिलता चलूँ!
अच्छा किया जो आ गया !
झूठ तो वो बोल गया पर दिल्ली किसके पास जायेगा, किस से मिलेगा एक हप्ता गुजर गया ,समीर कही नही गया ,पिता जी की बूढी आंखे जो देख और समझ रही उसे समीर नहीं समझ पा रहा था !
आज का पेपर समीर के हाथ में था आज ही आई ए एस,का रिज़ल्ट निकला था,!
उसने भी परीक्षा दी, थी ,दूसरे नम्बर पर ही उसका नाम था, उसकी आँखें भर आयी उसे उसका लक्ष्य मिल गया ! और औकात भी”
वो पिता जी के गले लग गया !
मै खूब मेहनत करुंगा आपको निराश नहीं करूंगा। अगले दिन सुबह ही दिल्ली के लिए रवाना हो गया ! “””धूमधाम से शादी निपट गई थी! अब जाके चैन मिला था विनय जी को संध्या पास
में ही बैठी थी !तभी फोन बज उठा” संध्या जी ने रिसीव किया था!
हम लोग आराम से पहुंच गये अतुल की आवाज़ थी !
निहारिका अन्दर है बाद में बात करवाते हैं, एक हप्ते बाद अतुल का फोन आया था!
और फोन काट दिया , रात ग्यारह बज रहे थे सहमी सी बैठी थी निहारिका मन में दर्द चल रहा था उस ने सोच लिया था ,जीवन की नई शुरुआत करने से पहले अतुल को सब कुछ बता देगी, रात एक बज गई थी अतुल अब तक नहीं आया था ! उसे नींद भी आने लगी थी !
उसने आंखे बन्द कर ली ,धीरे धीरे नींद के आगोश मे चली गई,
चार के आसपास अतुल आया था , निहारिका निहारिका सो गई क्या जी वो हडबडा कर उठ गई, अचानक से अतुल ने उसे दबोच लिया, शराब की दुर्गंध से उसका मन मिचला गया! निहारिका ने उसे अपने से परे हटा दिया !
आज दोस्तों ने खुशी मे पिला दी साँरी अब ऐसा नहीं होगा !
इतना ही बोल पाया अतुल फिर धडाम से पलंग पर गिर गया !
बहुत देर तक निहारती रही अतुल को फिर उठी उसके जूते मोजे निकाले .,अतुल के कपड़े सही किये फिर वही जमीन पर चटाई बिछाकर सो गई “”””भाभी उठो कितना सोओगी ,जी उस ने घडी देखी नौ बज रही थी ! वो हडबडा गई , एक घन्टे बाद तैयार होकर सास के पैर छूने के लिए नीचे झुकी ,
बस बस बहुत हो गया ताम झाम इसकी जरूरत नहीं है शोभा जी तल्खी से बोली ,कल से ये सब नहीं चलेगा ,ये चचोले अपने माँ बाप को दिखाना , इन्दू भाभी को रसोई का सारा काम समझा दो ,निहारिका ननद इन्दू के साथ ऐसे चली गई जैसे रस्सी मे बधी गाय ,
कोई प्रतिकार नहीं , सुबह से शाम हो गई ,अतुल घर न आया निहारिका किस से पूछे , दहशत से उसकी हिम्मत न हुई ,किसी से पूछने की, अब तक वो समझ चुकी थी, इस फैमिली मे किसी को किसी की परवाह नहीं है !
रुम में आयी तो थकान से उसका पोर पोर दर्द कर रहा था ! लेटते ही उसकी आंख लग गई , कोई बुरा सपना था उसकी चीख निकल गई , उसने आंखे खोली अब तक रुम मे कोई न था ,अभी तक अतुल आया नही था!
तभी गाडी की आवाज़ के साथ अतुल के पैरो की पदचाप सुनाई दी , उसकी धडकन रुक गई ,अतुल ने आज भी काफी नशा कर रखा था! उसने आते ही निहारिका को पकड लिया ,उसने अपने आप को छुडाने की कोशिश की अतुल की आंखो मे वहशीपन देखकर डर गई उसके सारे सपने दरक गये ,अतुल उससे जबरदस्ती करके माना , वो रात भर सिसकती रही ये सब अब रोज ही निहारिका की दिनचर्या मे शामिल हों गया !
वो हर दिन तिल तिल मर रही थी , इधर सास के ताने उधर अतुल की ज्यादतियां बढती जा रही थी, वो कमजोर पडती जा रही थी !
उसका मन विदोरह करने लगा था, माँ से बात हुई थी माँ ने उसे समझा दिया ,विनय जी मिलने आये थे !
बेटी से पर उन्हें बाहर से ही वापस भेज दिया था , पहली बार विनय जी को अपनी गलती का एहसास हुआ ! और उनकी आँखों से अविरल आंसुओ की धारा बह निकली, उन्होंने सोच लिया था की , वो अपनी गलती सुधारेंगे अब निहारिका को वहाँ नही रहने देगे । इस बीच निहारिका के पैर भारी हो गये थे ! उसने हालात से समझौता कर लिया था !
अब भी अतुल मे कोई बदलाव नही आया था । नीचे से शोभा जी आवाज दिये जा रही थी निहारिका कुछ भी न बोली बस अब और जुर्म नहीं””””
मेरी बात को अनसुना करेगी, तमतमाई हुई शोभा जी ने उसकी कलाई पकडकर घसटती हुई सिढियो तक ले आयी ,अखिर क्या चाहती है तू”निहारिका ने निडरता दिखाते हुए बोली आप लोगों से मुक्ति ,, माँ जी”
बीच में ही अतुल ने निहारिका का हाथ थाम लिया माँ को झटक कर बोला ” बस माँ बहुत हो गया ,निहारिका अतुल की हमदर्दी से पिघल गई , उसके गले लगकर सिसकने लगी ,
अचानक ही अतुल का चेहरा कठोरता मे तब्दील हो गया , निहारिका न देख पायी उसने निहारिका को सिढियो से धक्का दे दिया!
जाओ मुक्त किया “””
निहारिका अविश्वास से उसे देखती जा रही थी ! और फिर हमेशा के लिए उसने आंखे बन्द कर ली “” फोन की घन्टी की आवाज़ सुनकर विनय जी ने फोन उठाया”” उधर से शोभा जी थी !
निहारिका सिढियो से गिर गई है, आप लोग आकर मिल ले”नही तो शायद मिल भी न पाओगे उसकी हालत बहुत खराब है !
विनय जी संध्या को पुकारने लगे ,और जोर जोर से रोने लगे सब मेरे ही कर्मो का फल है ,,क्या हुआ जी ” “””””” नींद मे अचानक चीख पडा समीर ,,,,,,,,नीरु “
आस पास देखा कोई न था , आज ये कैसा सपना आया उसे, उसने याद करने की कोशिश की हा नीरु ही तो थी !
वो लगातार रोये जा रही थी ,मुझे बचा लो ,समीर ये सब मुझे मार देगें उफ ये कैसा डरावना सपना था!
शुक्र है सपना था , नही तो मै मर ही जाता ,एक लम्बी सास ली समीर ने “”””””” मिरजापुर पहली पोस्टिंग थी , समीर की आज ही चार्ज सम्भाला था, डी एस पी के रूप में ईमानदार और कर्मठ होने की वजह से बहुत जल्दी ही नाम और शोहरत मिलने लगी , समीर को पता था की निहारिका की ससुराल मिरजापुर मे ही है !
पर कहा है ये पता न था , बस एक बार वो निहारिका से मिलना चाहता था ,उसे बताना चाहता था की उसका सपना सच हो गया !
उसे बिनय अंकल से भी मिलने जाना था ,जो कुछ बन पाया था उन्हीं की वजह से तो””सारी फाईलें निपटाकर उसने राहत की सांस ली”
फिर प्रयागराज के लिए निकल गया,
शाम होने तक वो घर पहुंच गया, ठक ठक दरवाजा निहाल ने खोला था!
कौन है बेटा ,,,
पापा समीर भैय्या आये हैं, समीर ने आगे बढकर उनके पैर छुए तो उन्होने उसे गले लगा लिया !
वो बहुत बीमार और कमजोर दिख रहे थे, और अपनी उम्र से बडे दिख रहे थे, !
घर में सब ओर सन्नाटा पसरा था , अखिर क्या हुआ होगा ,जो इतनी खामोशी है , आन्टी कहाँ है , अन्दर “” तभी निहाल पानी लेकर आ गया , पानी पीकर समीर, अन्टी से मिलने अन्दर चला गया नमस्ते अन्टी, अन्टी ने उसे गले लगा लिया , उनके आंखो से अविरल आंसुओ का सेलाब बह निकला,
समीर किसी अनहोनी की आशंका से कांप गया ,अखिर हुआ क्या कोई बताऐगा ,अपने पल्ले की कोर से आंसुओ को पोछती हुई बोली अंटी, बेटा निहारिका”””””””” मेरी बेटी इतनी कमजोर नही थी, आगे का वक्य पूरा किया विनय अंकल ने हमने मार दिया ,अपनी बेटी को मुझे माफ कर दो, मै तुम दोनों का गुनहगार हूँ, वो जाने किस मिट्टी की बनी थी कभी कुछ न बताया ,सब कुछ सहती रही, विनय अंकल दहाडे मार कर रोने लगे, समीर के कानो मे जैसे किसी ने पिघला शीशा डाल दिया,
वो लडखडा गया , फिर पगलो की तरह रोने लगा, अचानक उसे निहारिका की दर्द भरी आवाज़ सुनाई देने लगी समीर मुझे बचा लो , अंकल आपने मुझे ,
कहते कहते रोने लगा, फिर उसने अपने आपको सम्भाला और उसी क्षण मिरजापुर के लिए निकल पडा, पीछे से सबआवाज देते रहे ,पर वो न रुका रात भर वो रोता रहा ,अगले दिन सुबह ही निहारिका की ससुराल पहुंच गया ,घर पर कोई नहीं मिला उसने नौकर से सब उगलवा लिया उसकी आँखों मे नफरत भरती गई , इस परिवार के लिए”””
वो बाहर आ गया उसने दो गुलाब लिए और और पहुंच गया अपनी निहारिका के पास सबकुछ था उसके पास शिवाय निहारिका के,
रीमा महेंद्र ठाकुर
समाप्त “
Aisa nahi karna chahiye ,Mata, pita ko.bachho ko samajhna chahiye.