खुशी की तलाश – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

नयन और कनक बहुत देर से किसी बात पर बहस कर रहे थे…और आवाज हॉल में बैठे रामशंकर और चारुलता जी के कानों तक पहुँच गई ।

“ देखो कैसी बहू आई है जब से आई है घर में कलह ही हो रहा है….नयन एक बोलता है तो वो चार बोलती फिर मर्द जात कब किसी औरत की बात सुनकर चुप रहा है … बात के साथ हाथ भी उठा ही देता… क्यों सही कह रही हूँ ना…अब चलो उन्हें चुप करवाओ नहीं तो कुछ देर में अड़ोस पड़ोस के सारे लोग इकट्ठे हो जाएँगे ।” चारुलता जी ने ताने मारते हुए कहा 

“ अरे पति पत्नी का मामला है खुद ही सुलझा लेंगे… हम जाकर कुछ कहेंगे तो आग में घी डालने का काम होगा फिर लपटें और तेज हो जाएगी ।” रामशंकर जी आराम से अख़बार पढ़ते हुए बोले 

तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और भुनभुनाने हुए नयन बाहर आकर अपने लैपटॉप पर नज़रें गड़ाए काम करने में लगा रहा

“ क्या हुआ नयन जो तुम दोनों आज महाभारत पर उतर आए ।” चारुलता जी पूछी

“माँ अब तुम मेरा सिर मत खाओ…एक तो उस औरत ने जीना मुश्किल कर रखा है उपर से ऑफिस के काम ख़त्म ही नहीं होते … दिल करता है कहीं भाग जाऊँ ।” नयन ग़ुस्से में बोला 

“ बेटा ये क्या बोल रहा है हुआ क्या ये तो बता?”रामशंकर जी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछे

“पापा ऑफिस में अभी एक नया प्रोजेक्ट लॉन्च होने वाला है उसपर बहुत सारी टीम काम कर रही है…आप तो देखते ही हो ऑफिस से आकर भी मैं काम में व्यस्त रहता हूँ पर  वो कनक उसको हमेशा कहीं ना कही बाहर घुमने जाने का मन करता रहता है… एक तो पता नहीं उसकी कौन सी सहेली है जो जहां जाएगी स्टेटस लगाती रहती है जिसे देखकर ये मेरे पीछे पड़ जाती है… सीनियर मैनेजर ने अल्टीमेटम दे रखा है दस दिन में काम पूरा करना है…अभी उसके साथ कॉल मीटिंग चल रहा था उपर से उसकी डांट पड़ रही थी

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और ये सिर पर सवार हो गई अभी चलो वो लोग गए हैं हमें भी बुला रहे…बस मैं बोला मैं अभी नहीं जा सकता बाद में चलेंगे फिर क्या उसने राग अलापना शुरू कर दिया कहीं लेकर नहीं जाते घर में ही रहना पसंद.. मम्मी पापा से तुम्हें डर लगता है…एक तो उस मैनेजर की डांट

और इसका ये सब बोलना सच पूछो तो आग में घी डालने का काम कर गया और मुझसे रहा नहीं गया मैं बोल रहा चुप हो जा पर वो कहाँ चुप होती ग़ुस्से में थप्पड़ मार दिया… कह रही घर चली जाऊँगी… मैंने भी कह दिया चली जा कुछ दिन शांति से रह कर काम कर लूँगा… दिमाग़ ख़राब कर दिया है… दिखता नहीं उसको काम कर रहा हूँ फिर भी चलो चलो की रट लगा रखी है ।”नयन ग़ुस्से में बोला 

“ बेटा तुम काम में व्यस्त हो समझ सकता हूँ पर बहू की बात भी सही है उसका भी मन करता होगा कहीं बाहर जाने का प्यार से बोलो समझ जाएगी… पर ऐसे ग़ुस्से में झगड़ा करना सही नहीं यही झगड़ा रिश्तों को ख़त्म कर देता है… बहू को भी मजबूरी समझनी ज़रूरी है.. जाओ चारुलता तुम बहू को समझाओ ।” रामशंकर जी ने कहा 

चारुलता जब कमरे में गई कनक आँखों में आँसू लिए बैठी थीं ।

“ बहु नयन कुछ दिनों से व्यस्त है सब देख रहे हैं… फिर तुम क्यों नहीं देख पा रही हो…आजकल नौकरी मिलना और जो नौकरी है उसे बचाए रखना मुश्किल है अगर वो काम नहीं करेगा तो तुम्हें कहीं घुमाने लायक़ नहीं रहेगा… थोड़ा उसको समझो और साथ दो …ये हर दिन का झगड़ा तुम दोनों के बीच दुरियाँ ले आएगा… वैसे तुम्हारा घुमने का बहुत मन है तो चलो मैं साथ चलती हूँ नहीं तो अपनी सहेली के साथ चली जाओ इसके लिए तो किसी ने मना नहीं किया है ।” कहकर चारुलता जी कनक के जवाब का इंतजार करने लगी 

“जी मैं समझ रही हूँ पर क्या करूँ मुझे घर में बोरियत होती है शादी के पहले जॉब करती थी तो मैं भी व्यस्त रहती थी ये खालीपन मुझे काटने को दौड़ता है बाहर जाकर थोड़ा मूड फ्रेश हो जाता है बस इसलिए बोलती रहती हूँ पर नयन को मेरा कुछ भी बोलना आग में घी डालने जैसा लगता है और फिर बात कहाँ से कहाँ पहुँच जाती है… आप लोग सही समझे तो मुझे जॉब करने की इज़ाजत दे दें।” कनक के इतना कहते ही चारुलता जी ने बस इतना कहा,” अगर तुम्हें इसमें ख़ुशी मिलती है तो फिर तुम जॉब कर सकती हो।”

मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मुहावरा 

#आग में घी डालना

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