खुश रहने का हक तो उनको भी है ना…. – रश्मि प्रकाश   : Moral Stories in Hindi

“ छोटी छोटी बातों में ख़ुशियों की तलाश करना सीखो….!” माँ के बोल राशि के कानों में गूंज रहे थे….

राशि ना चाहते हुए भी सोचने लगी….क्या सच में निकुंज को अब मेरी परवाह नहीं रहीं ….. ऐसा क्या हुआ जो पच्चीस साल के बाद अचानक बदल गए…. हर तारीख़ जिसे याद रहती…. मुझसे जुड़ी हर बात याद रखते पर आज शादी की छब्बीसवीं सालगिरह वो भूल कैसे गए….

सरप्राइज़ तोहफ़ा देना तो उनकी आदत में शुमार रहा है जिसकी वजह से कभी-कभी भाभियाँ फ़ोन कर पूछा करती …“ दीदी ये बताओ जीजू ने तोहफ़े में क्या दिया…. सुबह से सबने मुझे फ़ोन कर लिया….

सब यही कह रहे निकुंज कहाँ है उसका फ़ोन बंद है…. वो सुबह सात बजे ही घर से निकल गए थे बस ये बोल कर आज बहुत ज़रूरी मीटिंग है….रात भी देर से आए तो कहा,“ सॉरी जान आज हमारी एनीवर्सरी थी और मैं इस मीटिंग में ऐसा उलझा की तुम्हारे लिए कुछ नहीं ला पाया…. इस सालगिरह पर इस गुलाब से काम चला लो ।” कहते हुए एक लाल गुलाब दे कर सिर पर चुम्बन अंकित कर दिया 

घर में बच्चे होते तो वो केक भी कटवा देते पर इस बार सब नदारत हो गया बच्चों ने केक तो भिजवा दिया पर काटने के लिए तो दोनों का साथ में अच्छे से तैयार होकर रहना भी तो ज़रूरी था….. रात के एक बजे थके हारे निकुंज से क्या ही कहती चलो केक काटते है…. बस मन मसोस कर रह गई थी 

छब्बीस साल के साथ में शायद ऐसा पहली बार हुआ था इसलिए राशि को निकुंज का व्यवहार अजीब भी लग रहा था…..

दूसरे दिन निकुंज ने फ़्रीज़ में केक देख कर फिर से सॉरी कहना शुरू कर दिया और बोले,“ चलो अभी केक काटते हैं साथ में….वैसे भी शादी तो रात के बाद होती हैं तो सही मायने में आज हमारी शादी हुई थी ना … जाओ जल्दी से तैयार होकर आ जाओ केक काट कर बच्चों को पिक भेज देते है वो भी इंतज़ार कर रहे होंगे हमारी तस्वीर का…।”

“ कल  दोनों हॉस्टल से बीसियों बार कॉल किए थे…. हमारे केक काटने का इंतज़ार कर रहे थे पर तुम्हें क्या…. ?” राशि नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए बोली 

” यार समझ सकता हूँ तुम नाराज़ हो पर ये मीटिंग मेरे डिपार्टमेंट की थी सीनियर्स आए हुए थे…. जब तक वो थे मेरा निकलना संभव ही नहीं था….उसकी तैयारी में सप्ताह भर पहले से लगा हुआ था हर दिन सोचता वक़्त निकाल कर तोहफ़ा देख आऊँगा पर नहीं जा पाया… पता है तुम्हें गुलाब की नहीं किसी महँगे और अच्छे तोहफ़े का इंतज़ार था पर मेरी मजबूरी भी तो समझो।”निकुंज हताश हो कर बोले और बिना केक कट किए ऑफिस चला गए

राशि अलग नाराज़ थी और उसकी नाराज़गी से निकुंज का भी मूड ख़राब हो गया था ।

और वो ऐसे ही उदास बैठी थी तो माँ का फोन आ गया था….

“ क्या हुआ बेटा ये तेरी आवाज़ भारी क्यों लग रही है….. कल क्या की…. और तेरा तोहफ़ा….।” माँ ने पूछा 

” क्या तोहफ़ा माँ कल तो निकुंज देर रात घर आए ना केक काटा हमने ना तोहफ़ा मिला… एक गुलाब थमा दिया….बस… और अभी कह रहे थे केक काट लेते है तो मैंने ही मना कर दिया।”राशि ने कहा 

“ वाह ! गुलाब वो भी रात को दिया कम से कम मेरे दामाद को याद तो रहा…..ख़ाली हाथ तो ना आए…. एक तेरे  दोनों भाई है कभी दिया भी है अपनी पपत्नी को कोई तोहफ़ा…. तुम्हें तो जन्मदिन… करवा चौथ और तो और वेलेंटाइन पर भी तोहफ़ा देते हैं….

सच्ची दामाद जी ने तेरी आदत बिगाड़ दी है….. तुमने तो बस लेना जाना बेटा…. कभी कभार कुछ तोहफ़ा तुम भी देती हो उनको????….आज वो व्यस्त थे तो तुम ही कुछ तोहफ़ा ले आती उनके लिए…..और क्या ही हो जाता अभी केक काट लेती तो….

बेटा ये आदत सही नहीं है ….. छोटी छोटी बातों में ख़ुशियों की तलाश करना सीखो……इधर तुम नाराज़ हो कर बैठी हो उधर दामाद जी कौन सा खुश होंगे…. कल वो इतनी व्यस्तता के बाद भी जो ला सके थे ले आए थे …. तुम्हें उसमें ही खुश हो जाना चाहिए था……

अभी भी वक़्त है दामाद जी को फोन कर प्यार से बात कर ले…. ये तेरी नाराज़गी ना तो उन्हें काम करने देगी और ना तुम्हें चैन लेने देगी…. शाम को बच्चों को कॉल कर तैयार हो कर प्यार से केक काटना।” माँ ने समझाते हुए कहा और राशि को निकुंज को फ़ोन करने की हिदायत दे कर फोन रख दिया 

राशि ये सोचते सोचते पास में रखा अपना फ़ोन उठाई और कॉल लगा दी,“ हैलो निकुंज….. आज  तो जल्दी आ जाना इंतज़ार करूँगी ।”

निकुंज के हाँ कहते राशि उठी ….घर को एक नजर भर देख कर उसे और सलीके से सँवार कर रात को निकुंज की पसंद का खाना बनाने की तैयारी करने लगी….

निकुंज ने तो कभी कुछ स्पेशल बनवाया  ही नहीं…..वो तो साधारण खाना खाने वाले इंसान बस प्रेम से बना कर परोस दो….

राशि ने माँ को फ़ोन कर इत्तला कर दिया,“ माँ तुम्हारी बेटी छोटी छोटी बातों में ख़ुशियों की तलाश करना सीख रही है….. अभी भी तेरे साथ की ज़रूरत पड़ती रहेगी…. चाहे मैं सास ही क्यों ना बन जाऊँ…… ।”

 माँ हँसते हुए बोली,” बेटा सीखने की कोई उम्र होती हैं क्या….. मुझे भी तो नाती नातिन… पोते पोती सीखाते ही तो रहते हैं…चल अब ख़ुशी के साथ दामाद जी का स्वागत करना और तुम दोनों हमेशा ख़ुश रहना।”

राशि हँसते हुए फोन रख दी….. और शाम को पति के स्वागत की तैयारी में जुट गई ।

दोस्तों हम औरतें भी ना मन में ना जाने कौन सी बात बिठा कर उदास हो जाती और मनमुटाव कर बैठती…… हम जल्दी छोटी छोटी बातों में ख़ुशियों की तलाश करना नहीं चाहती पर सच यही है जो ख़ुशी छोटी छोटी बातों में मिलती है वो आंतरिक ख़ुशी होती है जिसे हम जल्दी स्वीकार करना नहीं चाहते….

आप भी कभी पति के अपना जन्मदिन याद ना रहने या तोहफ़ा ना मिलने पर नाराज होती हो तो ऐसा ना करें….. कभी ख़ुशी से उनके लिए आप ही कुछ कर दे….. आख़िर ख़ुशियों पर हक तो उनका भी बनता है ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

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