मालिनी और नितिन की लव मैरिज हुई थी।,बहुत जद्तोजहत के बाद दोनों परिवारों ने शादी के लिये हां की थी।”क्योंकि लड़की पजांबी और लड़का मारबाड़ी था।,” लेकिन मालिनी के गुणों और सस्कारों को देखते हुये नितिन के खानदान ने शादी के लिये हांमी भर दी।,पुजा ने भी आते ही अपने व्यवहार और गुणों से सबका मन जीत लिया।,साथ ही साथ पूर्ण रूप से मांसाहारी खाना छोड़ कर, शाकाहारी शुरू कर दिया,और अपने आप को ससुराल वालों के रंग में ढाल लिया। देखते देखते ही वह चंद दिनों में ही सब की चहिती बन गई।सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।, वक्त भी अपनी रफ्तार से बीत रहा था।,
ससुराल वाले मालिनी से बहुत खुश थे। ,और मालिनी को भी कभी मायके की कमी महसूस नहीं हुई। सब उसका बहुत लाड़ और मनुहार करते क्योंकि वह सबसे छोटी बहू थी। , नितिन भी उसे कहीं ना कहीं घुमाने लेकर जाते ही रहता।, वह बहुत खुश थी, ओर उसे तो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसे सारे जहां की खुशी मिल गई हो! लेकिन कहते हैं ना कि खुशी ज्यादा दिन की मेहमान नहीं होती। उसकी खुशी को नजर लग गई थी।, शादी के 2 साल बाद ही नितिन अपने स्कूटर से घर आ रहा था, तभी एक ट्रक ने उसे धक्का मार दिया,और ओन स्पोट उसने दम तोड़ दिया।, नितिन के जाने के बाद मालिनी की जिंदगी एकदम वीरान हो गई, जैसे सारे पत्ते टहनियों से झड़ गये हो टहनिया सूख कर बंजर बन जाती है
उसे गहरा सदमा लग गया था, अपनी सुध बुध तक खो बैठी। ना रोती, ना हंसती बस एक जगह पर बूत बनकर बैठी रहती! ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसके शरीर में जैसे प्राण ही ना हो बिल्कुल जिंदा लाश बन चुकी थी। नितिन को गुजरे साल भर बीत चुका था लेकिन उसका दिल यह मानने को तैयार नहीं था,की नितिन उसकी दुनिया से बहुत दुर जा चुका है,और कभी लौट के नही आयेगा। रंगो और खुशी से तो जैसे नाता सा टूट गया था।, घरवालों से उसकी ये हालत देखी नहीं जा रही थी। सबसे सोचा की अगर इसकी ऐसी ही हालत रही तो ये कोमा में चली जाएगी या घुट घुट के मर जाएगी। इसे रुलाना बहुत जरूरी है।
“एक बार अगर रो लेगी तो उसका मन हल्का हो जाएगा तो फिर इससे दूसरी शादी के बारे में बात की जाय यह सोचकर उसकी सास और जेठानी उसके पास गई।,और कहा बेटी तूं कबतक नितिन का शौक मनायेंगी! हम मानते है की तुने अपना पति खोया है,तेरे लिये आसान नही है जीना उसके बिना ,लेकिन तेरे ऐसे
खुद को सजा देने से वो बापस तो नही आ जायेगा बेटा! तूं मान क्यु नही लेती की वो मर गया है।,और अगर तुमने अपना पति खोया है,तो हमने भी तो अपना बेटा खोया है, हमें भी उसके जाने का दुख है,लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि हम चलना छोड़ दें। बेटा जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है, रुकने का नहीं। जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती !चाहे कोई हमारा जितना भी अजीज क्यों न हो!
और आज तुम्हें समझ में नहीं आ रहा है क्योंकि हम सब हैं तुम्हारे पास लेकिन कल क्या होगा। तुम्हारे सामने तुम्हारी पहाड़ जैसी जिंदगी पड़ी है, कैसे काटोगी इसे अकेले, जिंदगी के हर कदम पर एक साथी की जरूरत महसूस होगी! किससे अपना सुख दुख कहोगी।, एक बात और बेटा जिसका पति नहीं होता ना उसके 10 पति खड़े हो जाते हैं, किस-किस से अपने आप को बचाओगी।, तुम जवान हो खूबसूरत हो। , इसलिए ना चाहते हुए भी तुम्हें जिंदगी में आगे बढ़ना ही पड़ेगा। ” और एक नई शुरुआत करनी ही होगी।
काफी देर समझाने के बाद मालिनी को अपनी सास और जिठानी की बात समझ में आई और उसका गुब्बार निकला और वह फुट फुट रोने लगी।, अब उसका मन पूरी तरह से शांत हो चुका था। ” उसने अपनी जिठानी और सास की बात मान ली।
एक बार फिर से शुरुआत करके वह अपने पति और बच्चे के साथ आज बहुत खुश है।
दोस्तों यह कहानी नहीं हकीकत है। हमारे समाज में आज भी जब जमाना इतना आधुनिक हो गया है, फिर भी अगर औरत अगर अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत करें तो लोग उसे गलत दृष्टि से ही देखते हैं, वही अगर पुरूष करें तो तो कोई उस पर उंगली नहीं उठाता। हमारे समाज को इसी मानसिकता को बदलने की जरूरत है।, ताकि औरत को भी समाज ने सर उठा कर जीने का हक मिल सके।
जिस तरह मालिनी की सास और जेठानी ने उसे समझा कर
उसका पुनर्विवाह कराया उसी तरह अगर किसी भी स्त्री के साथ ऐसी घटना घट जाए तो उसके ससुराल वालों को भी ऐसा ही करना चाहिए। जिससे कि उस लड़की का जीवन फिर से सबंर सके।, और वो सर उठाकर जी सकें।
आशा करती हूं कि आपको मेरी स्वरचित व मौलिक कहानी पसंद आएगी।
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आपकी अपनी
मनीषा भरतीया