स्मिता एक चुलबुली और मस्त मौला लड़की थी। छल कपट से एकदम दूर अपनी ही दुनिया में रहने वाली….. बड़े-बड़े सपने थे उसके… पर छोटी छोटी चीजों से ही खुश हो जाती थी । उसका परिवार भी बहुत खुले विचारों वाला था। स्मिता घर की बड़ी बेटी थी। जो कि आप अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी कर रही थी। उसका छोटा भाई कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था । बहुत ही खुशहाल परिवार था।
स्मिता के माता पिता ने उसके लिए रिश्ते देखने शुरू कर दिए। एक दिन पापा (उमेश जी) ने स्मिता को बुलाकर पूछा,”देखो स्मिता बेटा!! मैं तुम्हारे लिए एक अच्छा सा लड़का ढूंढ रहा हूं…. जो तुम्हारे लिए हर तरह से काबिल हो। फिर भी तुम्हारी खुशी मेरे लिए बहुत मायने रखती है। अगर तुम्हें कोई लड़का पसंद हो तो बेझिझक मुझे कह सकती हो। अगर वह लड़का हर तरह से मुझे सुयोग्य लगा तो तुम्हारी खुशी से ज्यादा मेरे लिए कुछ नहीं है। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम्हें हर खुशी दूं।”
“नहीं पापा !! ऐसा कोई भी नहीं है। मैं शादी करूंगी तो आप की पसंद के लड़के से….. मेरा भला बुरा मुझसे ज्यादा आप समझते हैं..” स्मिता ने कहा
बेटी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर एक पिता का भावुक हो जाना जायज है। फिर अपने आप पर नियंत्रण रखते हुए उमेश जी ने लड़कों की खोजबीन जारी रखी।
फिर किस दिन उमेश जी के पास किसी का फोन आता है। और वो हड़बड़ी में घर से बाहर निकल जाते हैं। घर पर सब चिंतित हो गए। फिर शाम को घर वापस लौटे और उनके साथ एक सज्जन भी थे। दोनों बच्चों ने उनको नमस्कार किया। और उनकी पत्नी उनकी आवभगत में लग गई।
उमेश जी ने बताया यह सज्जन उनके बालसखा अविनाश वर्मा है। दोनों ने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई एक साथ की थी। और सालों बाद अचानक से फोन पर अविनाश की आवाज सुनकर अपने आप पर नियंत्रण ना कर पाए और दौड़े-दौड़े उनसे मिलने चले गए। अविनाश जी भी अपने मित्र उमेश जी के परिवार से मिलकर बहुत खुश हुए। खाना खाने के बाद दोनों ऊपर कमरे में सोने चले गए। और घंटों तक अपने बचपन की बातें याद करते रहे।
बातों बातों में,जब स्मिता के रिश्ते की बात चली…..
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अविनाश जी ने कहा,” मेरी नजर में स्मिता बेटी के लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता है। मेरा एक घनिष्ठ मित्र है उसका बेटा शशांक , स्मिता बिटिया के लिए हर तरह से लायक है… अगर तुम चाहो तो मैं बात आगे बढ़ाऊं.??””
“”क्यों नहीं मेरे दोस्त!! तूने तो मेरी परेशानी का आते ही हल निकाल दिया। आज के जमाने में अच्छे लड़के मिलना भी टेढ़ी खीर है…. अगर तुम लड़के को देख चुके हो तो मुझे तुम पर पूरा विश्वास है ..””उमेश जी ने कहा
फिर शशांक से स्मिता का रिश्ता तय हो गया।उमेश जी भी अपने दोस्त के बताए रिश्ते से काफी संतुष्ट थे।शशांक बहुत ही संस्कारी लड़का था और उसके माता-पिता भी बहुत भले लोग थे। एक दो बार स्मिता की मां ने भी उमेश जी से कहा कि वह अपनी तरफ से लड़के की खोजबीन कर ले। लेकिन उमेश जी को अपने दोस्त पर खुद से ज्यादा भरोसा था। इसलिए उन्होंने इसकी जरूरत नहीं समझी।
नियत समय पर स्मिता और शशांक की शादी हो गई। जब स्मिता दुल्हन बनकर अपने ससुराल गई…. तो उसने महसूस किया कि सब रिश्तेदार आपस में कानाफूसी कर रहे हैं। उसे थोड़ा अटपटा लगा…. लेकिन संकोच वश किसी से कुछ कह नहीं पाई।
फिर उसे उसके कमरे में ले जाया गया। कमरा फूलों से पूरी तरह सजा हुआ था। तभी उसने टेबल पर रखे कुछ फोटोज देखें। जिसमें शशांक किसी दूसरी लड़की के साथ था। एक ही पल में उसके सारे सपने चूर-चूर हो गए।
जब शशांक कमरे में आया, तो स्मिता ने पूछा,”शशांक जी!! इस फोटो मे आपके साथ लड़की कौन है…?? प्लीज मुझे सच-सच बताइएगा… झूठ बोलने या कुछ भी छुपाने की कोशिश मत करना…”
“”यह मेरी पहली पत्नी है…. जिसके साथ मेरा एक साल पहले तलाक हुआ था….””
शशांक के मुंह से यह सब बातें सुनकर… स्मिता धम्म से बेड पर बैठ गई…। उसकी आंखों के चारों तरफ अंधेरा छाने लगा। कुछ भी सोचने समझने की हालत में नहीं थी।
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फिर शशांक ने पूछा,” स्मिता!! क्या हुआ..?? तुम इतनी हैरान क्यों हो..?? तुम्हें और तुम्हारे परिवार को तो इसके बारे में सब पता था ना… अविनाश अंकल ने हमें बताया था कि सब कुछ जानते हुए भी तुम्हें या तुम्हारे परिवार वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं है जबकि मैं इसके बारे में तुमसे बात करना चाहता था….. लेकिन अंकल ने कोई भी बात करने से मना किया था…””
सारी बातें सुनकर स्मिता गुस्से और दुख से रो पड़ी।जैसे- तैसे रात बिताई। अगले दिन पग फेरे की रस्म के लिए स्मिता अपने मायके वापस गई। अपनी मां के गले रखकर जोरो से रोने लगी।
परेशान होकर पापा ने पूछा,”क्या हुआ बेटा!! सब ठीक है ना….
कुछ ठीक नहीं है पापा…. हमारे साथ धोखा हुआ है…. शशांक तलाकशुदा है… आप के बचपन के दोस्त ने आपके साथ धोखा किया है…।।
यह सुनकर उमेश जी को भी धक्का लगा। उन्होंने अविनाश जी को फोन लगाकर घर बुलाया। घर आने पर उन्होंने अविनाश जी पर सवालों की झड़ी लगा दी…
“मेरे बचपन का दोस्त होकर तूने मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी… क्या स्मिता तेरी बेटी नहीं है… ऐसी कौन सी खुन्नस भरी पड़ी थी तेरे अंदर…. कि तूने मेरी फूल जैसी मासूम बेटी के जीवन से खिलवाड़ किया..””
तभी अविनाश जी ने कहा,””कॉलेज में पूरी क्लास के सामने तूने मुझे थप्पड़ मारा था… थप्पड़ की गूंज को कैसे भूल जाता मैं….. सब मेरी पीठ पीछे मेरा मजाक उड़ाते थे… चिढ़ होती थी मुझे जब मैं तुझे देखता था…कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं वह बातें भुला देना चाहता था……. लेकिन अपनी बेइज्जती मैं कैसे भूल सकता था….??””””
“”””वह सब बीती बातें थी अविनाश!! और तूने उसका बदला इस तरह से लिया…?? कितनी खुन्नस भरी थी तेरे मन में…. और मैं यह समझता था कि मेरा दोस्त मुझसे मिलने आया है। लेकिन तू तो दोस्त के रूप में छुपा दुश्मन निकला…. मैंने इन सब बातों के लिए तुझ से बार-बार माफी मांगी थी… और मुझे लगा कि समय के साथ-साथ सब ठीक हो गया है. …””उमेश जी ने कहा
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“”कुछ बातों की खुन्नस जीवन भर रह जाती हैं….””कहकर अविनाश वहां से चला गया
अब उमेश जी अपनी बेटी स्मिता के आगे हाथ जोड़कर खड़े हो गए…. वो पूरी तरह लाचार हो चुके थे! फिर भी उन्होंने फैसला लिया कि अब स्मिता अपने ससुराल वापस नहीं जाएगी।
लेकिन स्मिता ने भी साफ -साफ शब्दों में अपना ससुराल वापिस जाने का फैसला सुनाया। क्योंकि वो सबकी नजर में अपने पापा को गलत साबित नहीं होने देना चाहती थी …
धीरे-धीरे उसे शशांक की अच्छाइयों का पता चला। उसको समझ आने लगा कि शशांक की पहली पत्नी की बेवफाई की वजह से उन दोनों का तलाक हुआ था। शशांक के प्यार और केयरिंग नेचर की वजह से वह धीरे-धीरे उसके नजदीक आने लगी।उसके साथ ससुर ने भी उसको अपनी पलकों पर बैठा कर रखा। और धीरे-धीरे उनकी गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर आने लगी।
सखियों! यह कहानी एक सत्य घटना से मिलती जुलती है।इस कहानी से मेरा उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।
कई बार लोग जैसे दिखते हैं वैसे होते नहीं है। कई बार किसी रिश्ते में अगर एक बार किसी बात को लेकर दरार आ जाए,तो कुछ लोग अपने मन में खुन्नस रख लेते हैं और समय आने पर उसका बदला जरूर लेते हैं। बस ध्यान रखना है तो ऐसे लोगों को पहचानने और उनसे दूर रहने का।
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धन्यवाद
मौलिक एवं स्वरचित
प्रियंका मुदगिल