Moral stories in hindi : आरती और मधुर भाई बहन कम दोस्त जैसे ज्यादा रहते थे ऐसी शायद ही कोई बात हो जो दोनो एक दुसरे को बताते नही हो आरती मधुर से तीन साल बड़ी भी थी तो मधुर को कोई सलाह भी चाहिए हो तो मां से न बोलकर आरती से ही लेता था और आरती को भी कोई मदद चाहिए तो मधुर से लेती
घरवाले भी उनका प्यार देख कर खुश थे की आने वाले समय मै रिश्ता बना रहेगा समय के जैसे जैसे बड़े हुए दोनों की आपसी समझ बढ़ती गई और दिल के करीब आज भी थे
आज आरती को लड़के वाले देखने आ रहे थे मधुर सुबह से उदास था उसे लग रहा था दीदी अपने घर चली जायेंगी कैसे रहेगा उनके बिना मां समझा चुकी थी ये सब तो दुनियां की रस्म है सबको करनी ही होती है आरती को तो और दुख था की भाई के साथ मां पिता से भी दूर होना पड़ेगा उसने मधुर से कहा की मेरे लिए तो अब ये घर पराया हो जायेगा
मधुर ने कहा ऐसा नहीं कहो दीदी ये घर और मैं हमेशा आपके रहेंगे आप का जब मन करे आ जाना आरती के दिल को सुकून मिला और जल्दी आरती की शादी हो गई
शादी के बाद भी दोनों फोन पर बात करते और जब भी आरती मायके आती मधुर अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त उसके साथ बिताता
कुछ सालों मैं मधुर की मंजरी से शादी हो गई शादी की
व्यस्तता मै तो आरती को ज्यादा वक्त नहीं मिल पाया मंजरी के साथ रहने का पर अब वो रहने आई थी उसे लगा की मंजरी भी आ गई है तो अब और अच्छा लगेगा तीनों मिलकर मस्ती करेंगे आरती की बेटी को भी मधुर बहुत प्यार करता था
पर आरती ने महसूस किया कि मंजरी ज्यादा बात नही करती और मधुर भी साथ बैठने आता तो किसी न किसी बहाने से कमरे मै बुला लेती एक दिन मधुर ने घूमने का प्रोग्राम बनाया तो मंजरी ने मना कर दिया की तुम ही जाओ तुम्हारी बहन को समझ नही आता की भाई की शादी हो गई है तो उसको ज्यादा समय दें
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मधुर गुस्से मै बोला वो मेरी बहन है और उनका भी हक है मेरे पर मंजरी ने गुस्से मै कमरा बंद कर लिया
आरती ने सुन लिया उसे बहुत बुरा लगा पर वो अनजान बन गई और जल्दी ही मायके से वापस चली गई अब वो मां से ही बात करती मधुर से थोड़ी बात करके काम का बहाना बनाकर फोन रख देती
मधुर को अब मंजरी पर गुस्सा आ रहा था की उसकी वजह से रिश्ते में दूरी सी आ गई और वो मंजरी से कटा कटा रहने लगा आरती को जब पता चला तो उसने
मधुर को पति पत्नी का रिश्ता समझाया बोली सब रिश्तों का अलग महत्व है मेरी वजह से तू ऐसा मत करना कल को उसे लगेगा मेरी वजह से तुम दोनो दूर हो रहे हो इस वजह से वो मम्मी पापा का भी कही ध्यान नही
रखेगी
समय बीत रहा था कुछ दिन में मंजरी के भाई की शादी हो गई अब जब मंजरी मायके जाती तो उसके भाई भाभी अपने में मगन रहते मां भी बहु बेटे को कुछ नही बोल पाती अब मंजरी को अपने घर में ही उपेक्षा मिली तब समझ आया की दीदी को कैसा लगा हो जब अपने ही उपेक्षित करें दूसरों की उपेक्षा तो सहन हो जाती है पर अपनों की बहुत दर्द देती है और रिश्ते भी टूट जाते है उसने आज ही फैसला किया की अब वो दीदी को कभी दूरी महसूस नही होने देगी
और वो फोन करने लगी आरती को की कुछ दिन हमारे साथ रहने के लिए आ जाए.. !!
स्वरचित
अंजना ठाकुर
#उपेक्षा