Moral Stories in Hindi : डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगाती मंजुला को गुड मॉर्निंग मम्मा बोलती बहु नव्या गले से लिपट गई. मम्मा आपने नाश्ता भी लगा दिए. वाओ मूंग दाल की हींग वाली कचौड़ियां हरे धनिए की चटनी और गाजर का हलवा. अम्मा जी के लिए बेसन का चीला तवे पर डाल कर आई थी.. नव्या को प्यार से हल्की सी चपत देते हुए कहा तेरी बातों में अम्मा जी का चीला जल जायेगा और फिर..
चल जा अनिकेत को भी नाश्ता करने के लिए बुला.. नव्या मुस्कुराती हुई अनिकेत को बुलाने चली गई.. तीन महीने इनकी शादी को हो गए.. करोना के समय से हीं दोनो का वर्क फ्रोम होम चल रहा है ..देर रात तक काम चलता है ..विदेशी कंपनी थी.. दोनों को उठने में देर हो जाती..अम्मा जी अपने कमरे में हीं खाती थी सास ससुर और बेटा बहु का एक साथ एक टेबल पर बैठ कर खाना उन्हें बिल्कुल नही भाता था.. बड़बड़ाते रहती थी.. सुबह कामवाली अपनी बेटी को साथ ले कर आती थी जो मंजुला के साथ मिलकर रसोई के काम देख लेती.
दोपहर के लिए एक सब्जी सुबह हीं मंजुला बना लेती.. दोपहर में नव्या मंजुला के साथ मिलकर लंच तैयार करती नव्या के हाथ से ज्यादा मुंह चलते रहता.. मंजुला और उनके पति को नव्या की बकबक और बचपना से भरी हरकतें खूब भाती थी.. बेटी की कमी पूरी कर रहे थे दोनो! पर अम्माजी कुढ़ती रहती थी..
दोपहर का खाना पीना से निपट मंजुला अपने कमरे में आ गई.. रात के खाने का कोई टेंशन नहीं था. नव्या ने रात का खाना मंजुला और उनके पति के पसंद से बाहर से ऑर्डर करने का फरमान जारी कर दिया था..
बस अम्माजी के लिए कुछ बनाना पड़ेगा.. मंजुला अपने अतीत में चली गई..
शादी कर के आई थी तो अम्माजी के तेवर आसमान छू रहे थे. दोनो छोटी ननदें आग में घी डालने का काम करती.
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आठ बजे मां के दुलार भरे स्पर्श से उठने वाली बेटी अब बहु बन चुकी थी. पांच बजे सुबह उठकर स्नान कर पूजा रूम साफ करके, रसोई में चली जाती थी. किसी दिन तबियत नरम रहने पर उठने में देर हो जाता तो सास मंजुला के सात पुश्तों का उद्धार कर देती.. कितनी बार भय से पूरी रात नींद नहीं आती.. पूरे दिन सुस्ती और आलस जैसा लगता..
साथ में अम्मा जी के व्यंग बाण.. पति अवनीश को मंजुला की तकलीफ समझ में आती थी एकलौता बेटा होने के कारण कुछ बोल नहीं पाते. दबी जुबान से कुछ बोलना चाहते तो मां हंगामा खड़ा कर देती और जोरू के गुलाम के नाम से संबोधित करती.. जवानी में नींद भी तो बहुत आती है.. पर भय उस नींद पर हावी रहता.. आंखों के नीचे काले घेरे अक्सर पड़ जाते..
कभी ढंग से तैयार होने का वक्त नहीं मिलता. पसंद से खरीदे गए कपड़े अटैची की शोभा बढ़ा रहे थे.. शादी के बाद कभी हाथों में मेंहदी लगाने का अवसर नहीं दिया अम्माजी ने. तीज त्योहार पर आस पड़ोस में रहने वाली औरतें अम्माजी से पूछती बहु ने ना मेंहदी लगाई है ना तैयार हुई है इस पर अम्माजी कहती इसे इन सब का कोई शौक नहीं है.. कितनी मिन्नतें करती हूं पर तैयार नही होती.. मैं खून के आंसू पी के रह जाती….
मंजुला को कभी दिल से अम्माजी से लगाव महसूस नहीं हुआ. लगता जैसे कोई सख्त मास्टरनी डंडा ले कर सर पर चौबीस घंटे सवार रहती..
इन सब का निचोड़ यही था बेटा बहु हाथ से ना निकल जाए.. अम्माजी के सामने कभी पति पत्नी आपस में बात भी नही करते थे. ऐसा खौफ था.. मंजुला के मायके जाने के नाम पर जबरदस्त महाभारत होता.. फिर दो तीन बार टालने के बाद ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह की छुट्टी मिलती..
मंजुला एक बेटे की मां बन गई.. बच्चे की देख भाल और घर के कामों में सामंजस्य स्थापित करने में बहुत परेशानियां आई इसलिए दूसरे बच्चे के लिए सोचा हीं नही. हां ये जरूर सोचती मंजुला मैं अपनी सास जैसा व्यवहार अपनी बहु से बिल्कुल नही करूंगी. बेटी की तरह रखूंगी..
धीरे धीरे अम्माजी के रूल रेगुलेशन बंधी मंजुला बंधन को ढीला करने लगी…
अनिकेत इंजीनियरिंग कर एमबीए किया. दूसरी जाति की लड़की से प्रेम कर बैठा..
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मंजुला और अवनीश ने सहर्ष सहमति दे दी पर अम्माजी ने पूरा हंगामा किया.. बनारस चले जाने की धमकी दी, फिर अन्न जल त्याग कर जान देने की धमकी. पर सारे अस्त्र फेल होते देख बेटी के पास जाने की जिद्द करने लगी. दोनो बेटियों ने अम्मा जी के स्वभाव को देखते हुए मना कर दिया और कहा वो खुद मिलने आ जाएंगी..
कभी कभी मंजुला को बहुत मन करता अम्माजी को उनके किए हुए गलत व्यवहार के लिए कुछ सुना दूं. पर ये उम्र ऐसी होती है कि आप चाह कर भी कुछ बोल नहीं पाते.. उम्र की नजाकत देखते हुए तरस और मोह की भावना उत्पन्न होती है कुछ कहते नही बनता..
अनिकेत और नव्या की पहले कोर्ट मैरिज फिर पूरे रीति रिवाज से शादी खूब अच्छे से हुई. अम्माजी के सिवाय सब ने खूब एंजॉय किया. और नव्या हमारी बहु कम बेटी बन के घर में आ गई..
मम्मा आप मेरे हांथ की अदरक इलायची की चाय पियो ना. बताओ कैसी बनी है.. मंजुला एक झटके में अतीत से वर्तमान में वापस आ गई.. कितना मनुहार और प्यार से नव्या मुझे चाय पीने को कह रही है इतने कम दिनों में हीं इसने घर में और हमारे दिल में जगह बना ली..और मैं इतने सालो साल अम्माजी के साथ रही पर रिश्तों में ठंडापन और कड़वाहट आज तक बना हुआ है .
मायके जाने के लिए बोलने पर चली जाऊंगी कह के टाल देती है. सताइस साल के बाद भी मैं ऐसा लगाव अम्माजी से कभी महसूस क्यों नही कर पाई.. खून का रिश्ता भले हीं नहीं था पर चाहती तो दिल का रिश्ता जरूर कायम कर लेती..😥सिर्फ कर्तव्य निभा रही हूं.. पराए को अपना बनाना मुश्किल नहीं होता अगर दिल का दायरा विचारों के दायरे बढ़ा दिए जाएं.. प्यार अपनापन स्नेह और बेटी सा लगाव बहु को मिले तो बहु भी प्यारी बेटियां बन जाएंगी.. बहु में भी तो बेटी का दिल होता है सास अगर मां बन जाए तो… कुछ अपवाद छोड़कर.. ये दिल का रिश्ता #खून के रिश्ते #से कमजोर नही होगा… परिवार भी हंसता मुस्कुराता रहेगा..
🙏❤️✍️
Veena singh