“अरे भैया जल्दी जल्दी हाथ चलाओ”…ये सारा अनाज, फल, सब्जियां आज शाम तक पैक हो जाना चाहिए ताकि रात की ट्रेन से ही मैं शहर निकल जाऊं, बेहद उत्साहित होते हुए शंकर दयाल जी ने खेतों पर काम करने वाले मजदूरों से कहा… अपने बचपन के मित्र और शहर के सबसे बड़े व्यापारी करतार सिंह से मिलने की खुशी में शंकर के पैर जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे…. अगले दिन सुबह सुबह शहर पहुंचकर अपने साथ लाए ढेर सारे सामान और दो नौकरों के साथ जैसे ही शंकर ने डोर बेल बजानी चाही अंदर से आवाज सुन ठिठक गए…
“ये क्या कह रहे है आप करतार जी, हमारा इकलौता बेटा गांव के उन गंवार लोगों का दामाद बनेगा…. अरे उस समय की बात और थी तब हम भी उनके जैसे ही थे और बचपन में अपने बेटे की और उनकी बेटी की शादी तय कर दी थी लेकिन अब हमारे और उनके स्तर में जमीन आसमान का फासला है उनकी गंवार बेटी के साथ हमारे बेटे का कोई तालमेल नहीं है… करतार की पत्नी अपने पति को समझा रही थी…
“हां पापा आप भी हद करते हों शंकर चाचा ने शादी की तारीख पक्की करने के लिए यहां आने के लिए कहा और आपने हां भी कर दी” तभी करतार के बेटे रोहित की आवाज आई”…..
तो मैं क्या करता तुम दोनों ही बताओ.. बचपन के मित्र है हम और आज ये जो व्यापार खड़ा किया है ना सब शंकर की मदद के कारण ही संभव हो पाया है उसने मेरे खातिर अपने हिस्से की जमीन गिरवी रख मुझे शहर में अपना काम जमाने में सहायता की थी तो उसे यहां आने के लिए कैसे मना कर सकता हूं” करतार की आवाज आई..
तो ठीक है मैं साफ साफ बोल दूंगा शंकर चाचा को…
“मैं आपकी बेटी से शादी नहीं कर सकता” रोहित ने कहा तो उसकी हां में हां मिलाते हुए करतार बोले…
“मैं अपनी तरफ से तुम्हे और तुम्हारी मां को पूरा जोर दूंगा की शादी के लिए मान जाओ पर तुम उस शंकर की गंवार बेटी से शादी के लिए “हां” मत करना इस तरह से मैं शंकर की नजरों में अच्छा ही बना रहूंगा…..
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तीनों की जोरदार हंसी से शंकर का दिल बुरी तरह टूट गया… प्यार से सींचे गए रिश्तों का ऐसा खोखलापन देखने को मिलेगा ये तो उसने कभी सपने में भी नही सोचा था….
सारा सामान बाहर रखवाकर शंकर ने बेल बजाई और ठीक वही सब देखा सुना जो उन तीनों ने पहले से ही योजना बनाई हुई थी…. शंकर ने जानें की अनुमति मांगी तो करतार ने कहा इतनी रात को कहा जायेगा यही रूक जा सुबह वाली ट्रेन से चले जाना….
“जाना किसे है मेरे दोस्त मैं तो अब तुम्हारे ही शहर में रहने आया हूं “…… शंकर ने जब ये कहा तो तीनों हैरान रह गए
अच्छा तूने तो ये बताया ही नहीं.. करतार बोला…
बताने ही तो आया था मित्र पर दरवाजे पर तुम तीनों की सारी बात सुनकर अपना मन बदल लिया….. इतनी ओछी मानसिकता रखने वालो से अब मेरा कोई नाता नहीं है शंकर ने नफरत से तीनों की तरफ देखकर कहा…
तभी एक लाल बत्ती की गाड़ी वहा आकार रुकी और दो अंगरक्षक अदब से आकर गाड़ी का दरवाजा खोल कर खड़े हो गए… करतार कुछ समझ पाता उससे पहले ही शंकर ने गाड़ी में बैठते हुए गर्व से कहा….
“इस शहर की नई आईएएस अधिकारी मेरी बेटी और तुम्हारी ना होने वाली बहू है” जिसके रिश्ते के लिए आज मैं यहां आया था”…..और सायरन बजाती गाड़ी उन तीनों के मुंह पर धुआं उड़ाती हुई चली गई….
स्वरचित, काल्पनिक रचना
#खोखले रिश्ते
कविता भड़ाना