खिलाफ… – रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

शीला ने सधे शब्दों में पूछा…” उम्र क्या है तुम्हारी..?”

“… जी आंटी.. 17 साल..!” रिशु लगभग मिमियाता हुआ बोला..

 “…और निशी तुम्हारी.. 15 है ना.. हां तो क्या तुम लोगों को अभी शादी करनी है…!”

” नहीं मां ऐसा नहीं है…!”

 “फिर क्या है… क्या चाहते हो.. ऐसे तो पढ़ाई लिखाई.. घर परिवार.. कुछ भी अच्छे से नहीं निभेगा… देखो बेटा.. मैं तुम दोनों के प्यार के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हूं… हो जाता है.. चलो ठीक है.. मान लिया.. तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हो… पर क्या गारंटी है कि आज से 10 साल बाद भी.. तुम दोनों की यही सोच रहेगी…!”

” नहीं मां.. यह कोई ऐसा वैसा प्यार नहीं है.. हम दोनों की फिलिंग्स स्ट्रांग है… एक दूसरे के लिए.. तभी तो हमने हिम्मत की तुमसे बताने की… मैं समझती थी और कोई हमारी भावनाएं समझे ना समझे… लेकिन आप जरूर समझेंगी…!”

” हां आंटी.. अभी तक तो मैंने घर में भी किसी से कुछ नहीं कहा.. लेकिन निशी चाहती थी.. की मां को पहले बता दें… इसलिए मैं निशी के साथ यहां आ गया….!”

“ओके बेटा… चलो बहुत-बहुत धन्यवाद तुम दोनों का… मुझ पर भरोसा करने के लिए… मैं तुम्हारे भरोसे का मान रखूंगी… पर अब क्या करना है.. कुछ सोचा है तुम दोनों ने… की बस हो गया प्यार कर लिया.. आगे क्या.. अभी तो तुम दोनों नाबालिग हो तो शादी भी नहीं होगी…!”

” अरे मां.. इतनी जल्दी शादी थोड़े ना करनी है…!”

 इस बात पर रिशु निशु की तरफ देखकर बोला.. “अभी शादी कौन करता है..!” दोनों हंस पड़े..

 शीला ने कहा..” देखो बच्चों.. अभी तुम दोनों स्कूल में हो.. अगर तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हो.. तो एक दूसरे को समय दो… मैं तुम दोनों को 10 वर्षों का टारगेट देती हूं…”

 रिशु बीच में ही बोल पड़ा..” नहीं आंटी.. 10 साल तो बहुत हो जाएंगे…”

 “अच्छा चलो.. 7 साल यह ठीक है ना…!”

 रिशु ने हां में सर हिलाया…

” 7 सालों का टारगेट देती हूं… इन 7 सालों तक सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करो और कुछ मत करो… मन में यह याद रखना कि हम प्यार कर चुके हैं… कोई है जिसके लिए हम वचनबद्ध हैं.. और पूरे 7 साल के बाद अगर तुम दोनों का प्यार.. एक दूसरे के लिए सच्चा निकला.. तो मैं तुम्हारी शादी करवाऊंगी… पूरे रस्मो रिवाज के साथ.. सबकी रजामंदी से…निशी क्या कहती हो..मंजूर है तुम दोनों को…!”

निशी और रिशु दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा…शीला ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा”अगर मंजूर है तो.. मेरे हाथ पर अपना हाथ रखो..और वादा करो कि.. आगे से फिर इस चक्कर में नहीं पड़ना है.. और 7 सालों तक एक दूसरे का इंतजार करना है… और साथ ही साथ इन 7 सालों में कुछ बन कर दिखाना है… ठीक है..!”

” ठीक है..!” कहकर निशी ने अपना हाथ मां के हाथों पर रख दिया… रिशु ने भी कुछ देर सोचते हुए हाथ आंटी के हाथों पर रख दिया…!

 दोनों बच्चे तब दसवीं कक्षा में पढ़ रहे थे… निशि पढ़ने में एक साधारण लड़की ही थी.. पर मेहनतकश थी.. अपनी 10वीं 12वीं सभी परीक्षाएं अच्छे से उत्तीर्ण कर.. उसने नीट क्वालीफाई कर लिया… 5 साल कब निकल गए… एमबीबीएस की पढ़ाई कंप्लीट करते-करते… वक्त का कुछ पता ही नहीं चला… इस पूरे समय में निशि कभी किसी प्यार व्यार के चक्कर में नहीं पड़ी… क्योंकि उसे पता था कि कोई है… जो सिर्फ और सिर्फ उसका इंतजार कर रहा है.… !

पूरी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद… वह घर गई तो मां ने खुद ही उससे पूछा…” क्यों बेटा.. पहले शादी करनी है कि जाॅब… लड़का तो तुम्हारा ढूंढा हुआ ही है…. जाॅब तुम्हें ढूंढनी पड़ेगी…!”

 निशि थोड़ा शरमा गई… उसे अब अपने बचपने पर थोड़ी हंसी… और थोड़ी शर्म भी आ रही थी.. पर कमिटमेंट आखिर कमिटमेंट होती है… वैसे भी 7 साल पूरे हो ही चुके थे…तो उसने मां से पूछ लिया… “मां एक बार रिशु से बात करके देखूं… जैसा तुमने कहा था.. मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह करता क्या है… अब दिखता कैसा है…?”

 मां के चेहरे पर मुस्कान खिल गई…” ओ मेरी रानी बिटिया को बड़ी याद आ रही है रिशु की… जाओ कर लो बात… तुमने अपना फर्ज निभा दिया… अब मेरी बारी है… बात करो और पता करो सब… तो मैं पापा से बात करके उसके घर जाकर तुम दोनों के रिश्ते की बात फाइनल करती हूं… ओके.. ठीक है ना…!”

 निशु शरमा कर उठ गई… अपने कमरे में जाकर रिशु को फोन लगाया… दो बार घंटी बजती रही.. फिर तीसरी बार में किसी ने फोन उठाया… भारी आवाज सुनकर निशी थोड़ा सचेत हो गई… फिर संभलते हुए बोली…” रिशु बोल रहे हो…!”

“हां आप कौन…!”

” यार नंबर वंबर भी डिलीट कर दिया क्या… मैं निशी…!”

 फोन कट हो गया… उसके बाद निशि ने कई बार फोन लगाया.. तो नंबर नॉट रीचेबल आ रहा था… वह बिल्कुल घबरा गई… मां से जाकर सारी बातें बताई… तो मां ने कहा..” अच्छा कोई बात नहीं… उसका घर कहां है.. तुम्हें पता है.. तो हम सीधे घर पर ही चलते हैं…!”

 निशि को सही से तो नहीं मालूम था पर लोकेशन जानती थी… अगले दिन पता करते-करते दोनों मां बेटी उसके घर पहुंच गए.. घर में पता चला रिशु काम पर गया है… शीला ने पूछा..” काम पर.. मतलब..!”

 शायद रिशु की मां थी.. बोली..” वह दुकान पर बैठता है ना.. पापा के साथ.. दुकान अब वही संभालता है… 2 साल हो गए.. अब तो एक नया दुकान भी खरीद लिया है… कल ही तो उसका उद्घाटन हुआ है… आज से रिशु वही दुकान संभाल रहा है… आप लोग वहीं चले जाइए… वैसे काम क्या है…!”

 निशु मां की तरफ देखने लगी… मां ने बात संभालते हुए कहा..” कुछ खास नहीं… कुछ पुराने दोस्तों की पार्टी थी… इसलिए…!”

 “ओह.. अच्छा लीजिए.. यह दुकान का कार्ड.. इसमें पता.. नाम.. सब लिखा है.. ज्यादा दूर नहीं है यही कोई 10 मिनट लगेंगे..चले जाइए.. जाओ बेटा.. रिशु की फ्रेंड हो क्या..?

 निशि संकोच से बोली..” हां आंटी..!”

 “चलो ठीक है.. रिशु बताए ना बताए.. मैं बोल दे रही हूं… उसकी शादी ठीक हो गई है… अगले महीने शादी है… तुम लोग भी जरूर आना… अभी कार्ड नहीं छपे… मैं रिशु से बोल दूंगी… सभी दोस्तों को दे देने… ठीक है जाओ.. तुम लोग मिल लो उससे….!”

 निशि जैसे अचानक धड़ाम से जमीन पर आ गिरी… अब उसका मन रिशु से मिलने का… बिल्कुल भी नहीं कर रहा था… पर मां ने कहा..” नहीं बेटा..इतनी दूर आए हैं तो… चलो मिल भी लेते हैं… देखें क्या कहता है…!”

 ज्यादा देर नहीं लगी दुकान ढूंढने में… बड़ा ही खूबसूरत आलीशान रेडीमेड गारमेंट्स का बड़ा सा दुकान था… उसमें सामने ही काउंटर पर रिशु बैठा था…!

 अचानक सामने निशि और आंटी को देखकर… उसके चेहरे का रंग उड़ गया… वह अपने जगह से उठकर जल्दी से नीचे आया… निशि का हाथ पकड़ बोला…” निशि.. तुम यहां कैसे..!”

 निशी ने हाथ छुड़ाते हुए कहा…” क्यों रिशु तुम भूल गए… तुमने मेरे बारे में नहीं सोचा…!”

” यार तुम्हें याद था… मैंने तो सोचा तुम.. भूल गई होगी… इतना पढ़ने के बाद… इतनी तरक्की करके.. भला तुम मुझसे शादी कैसे करोगी… पर यार तुम तो बिल्कुल नहीं बदली… चलो घर चलो…!”

“हम घर से ही आ रहे हैं… आंटी से मिलकर आ रहे हैं… न्यौता भी मिल गया है तुम्हारी शादी का…!”

 “अरे क्या शादी-वादी… वह तो टाइम पास है.. अब तुम आ गई हो.. अब उसे कौन पूछता है… मैंने तो ऐसे ही मां को हां कर दिया… सोचा था तुम नहीं आई तो… पर अब तुम टेंशन मत करो… मैं सारा जुगाड़ सही कर लूंगा…!”

 शीला ने आगे बढ़कर उसके गालों पर एक जोर का तमाचा मारा.. और बोली.. “यह काम मैं आज से 7 साल पहले भी कर सकती थी… पर उस समय मेरी बेटी को लगता.. कि मैं उसके प्यार के खिलाफ हूं… उसकी दुश्मन हूं… उसकी जिंदगी गलत दिशा पकड़ लेती… इसलिए मैंने तुम दोनों को मौका दिया.. कुछ बनने का और अपना प्यार साबित करने का… जिसके लिए एक रिश्ता टाइम पास है… कल को कौन भरोसा दूसरा नहीं होगा… चलो निशी.. और तुम… रिशु जिस रिश्ते को मंजूरी दी है… उसका साथ दो.… फिर दूसरा वादा मत तोड़ो…!”

 शीला ने निशा का हाथ पकड़ा तो… निशा ने उस हाथ को और मजबूती से पकड़.. दोनों हाथों में ले लिया… और कहा..” थैंक यू मां….. चलो घर चलते हैं….!”

स्वलिखित

रश्मि झा मिश्रा

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