ख्वाब – गरिमा

रचना बहुत खुश थी  उसे अपने सपनों का राजकुमार मिल गया था। जैसा उसने चाहा उस से बढ़कर ही जीवन साथी उसे मिला था ।अच्छा कमाता था ,देखने में खूबसूरत ,अपना घर गाड़ी वह सब चीज जो रचना हमेशा से ख्वाहिश करती थी। रचना के पिता पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी थे

उनकी तनख्वाह यही कोई 25 तीस हजार महीना थी तब भी उन्होंने अपनी बेटी के लिए अच्छा खासा दहेज के लिए पैसा इखट्टा कर रखा था लेकिन जैसे घर में रचना की शादी होने जा रही थी वहां वह दहेज का पैसा ऐसा मालूम पड़ता जैसे ऊंट के मुंह में जीरा। पाँच लाख में तो उस घर में कुछ हो ही नहीं सकता हालांकि लड़के वालों ने किसी भी रुपए पैसे की मांग उनसे नहीं की थी ।

रचना की सादगी ने अमित का मन मोह लिया था। रचना को आज भी याद है जब अमित अपने मां बाप और बहन के साथ उसे देखने आया था ।रचना  घर के सारे काम अपनी मां के साथ किया करती थी और बाहर का काम पिता और भाई कर देते। पिता पैसा सिर्फ  रचना  और उसके भाई की  के लिए जोड़ रहे थे ।थोड़ा बहुत लोन भी ले सकते थे अगर पैसे कम पड़ जाए। रचना ने कभी अपने लिए महंगे कपड़े नहीं खरीदे थे । वह लोग बस से चलते या तो पैदल ही सारे काम कर आते लेकिन

जब रचना की शादी की बात आई तो रचना ने बहुत सपने संजो रखे थे ।उसने अपनी सहेलियों की शादी में उनके महंगे गहने देखे थे सुंदर लहंगे ,एक से एक खूबसूरत इंतजाम! उसका भी जी चाहता कि वह इसी तरह से शानो शौकत वाली शादी करें ।वह नहीं चाहती थी कि उसके ससुराल वाले कभी उसे ताना न दे कि गरीब घर की लड़की को घर ले आए हैं ।शाम को जब सब साथ बैठकर चाय पी रहे थे तो रचना की शादी की बात निकल पड़ी।

पिता ने कहा हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसा घर मिला है जो पैसे की मांग नहीं कर रहे उन्हें दहेज नहीं चाहिए !मैंने जो पैसे रचना के लिए इकट्ठा किए थे उसमें आराम से उसकी शादी निपट जाएगी ।इस पर रचना बहुत तेज गुस्सा हो गई उसने कहा पिताजी आजकल इतने पैसो में क्या होता है !मुझे शानो शौकत वाली शादी चाहिए ।बड़े होटल से मेरी शादी और सगाई की पार्टी होनी चाहिए ।सगाई के लिए मैं सुंदर लहंगा लूंगी और शादी के लिए अलग ।कम से कम 21 जोड़ी साड़ी लेकर जाऊंगी

और उतने ही सूट ,जींस टीशर्ट, सैंडल ,पर्स सब कुछ मैचिंग होना चाहिए और फिर चूड़ियां गहने भी तो होने चाहिए। हर साड़ी की मैचिंग गहने अलग  और सोने के गहने अलग और हां मुझे हीरे के अंगूठी हीरे के कान का भी चाहिए।  बचपन से आपके ना मेरी पढ़ाई पर ज्यादा खर्च किया ना मेरा कभी जन्मदिन मनाया अब मैं चाहती हूं मेरी शादी एक राजकुमारी की तरह हो जिसे हमारा सारा परिवार  याद रखें ।

पिता मुस्कुरा कर रह गए उसकी मां कुछ कहना चाहती थी लेकिन पिता ने उसे चुप करा दिया। अगले दिन से ही रचना अपनी शादी के ख्वाब देखने लगी। वह महंगी से महंगी दुकानों पर साड़ी देखती और सोचती कि बस वह  शादी की खरीदारी अच्छी बड़ी दुकानों से ही करेगी।

आखिर वह जब शादी करके बड़े घर में जाएगी तो कोई उसका मजाक नहीं उड़ा सके कि वह छोटे घर से आई है ।इतने सालों में घर का उसने इतना काम किया है अब तो उसके आराम के दिन आ रहे हैं ।वह तो ब्यूटी पार्लर में महँगा पैकेज लेगी जहां वह जाकर बिल्कुल चमक के निकलेगी जैसे हुए उसकी सहेलियां चमक के निकलती थी। सुंदर ख्वाब लिए हुए रचना सो गई।


रात में उसे एक बड़ा अजीब सा सपना आया। उसने देखा कि वह खूब गहनों  से लदी ,महंगी साड़ी पहने अपने मायके आई है, शायद उसकी शादी हो चुकी है। उसे यह सपना देखने में बड़ा सुकून मिल रहा था। जब वह घर में आती है तो घर में बड़ा अंधेरा है उसे पिताजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे ,मां खाना बना रही है और उसका भाई उसका भाई ना जाने क्या सिल रहा है । वह पूछती है मां पापा कहां है? मां उससे बड़ी दुख भरी नजरों से आंसू भर के देखते हैं “बेटा तेरी शादी में जो  तीन लाख रुपए का कर्ज़ लिया था  उसी को चुकाने के लिए वह ओवर टाइम करते हैं ।

अब तेरे पापा रात में कहीं 10:30 11:00 बजे घर आते हैं ।और बंटी यह बंटी क्या सिलाई कर रहा है पहले तो वह कभी कुछ नहीं सिलता था !बेटा घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल रहा है बंटी की पढ़ाई के लिए लोन नहीं मिल पा रहा सरकार से इतना लोन नहीं मिल सकता तेरे पापा को, सारा लोन तेरी शादी के लिए ही उठा लिया था वह बंटी अब छोटा-मोटा काम करके अपनी पॉकेट मनी  कमाता है जिससे वह अपनी फीस खुद भर सके। रचना यह सब देख कर बड़ी उदास हो गई उसे रोना आ गया ।यह उसने क्या कर दिया ।तभी उसकी आंखें खुली जब उसकी आंखें खुली तो आकाश में  चांद चमक रहा था। अभी रात थी ,वह फिर से सो गई ।सोते ही उसे फिर से खाव्वाब आया ।

इस बार वह अपने ससुराल में है। ससुराल में खूब चमक धमक है वह बहुत खूबसूरत लग रही है। वह अपने सास से कमरे में जाती है ।उसकी सास उसे खूब सारा सामान दिखा रही है तो दिवाली पर उसके घर से आया है ।उसमें बहुत सारे पटाखे हैं। महंगी मिठाईयां हैं और ना जाने क्या-क्या है! उसकी सांस के लिए  सोने की चेन भी है ।रचना ने ही  तो यह सब कह कर अपने पापा से मंगाया था। उसकी सास बार-बार उससे कह रही हैं कि बेटा अपने पिता से क्यों इतना खर्च करा डाला! घर में सब कुछ है फिर इतना खर्चा क्यों करा दिया? रचना मन ही मन बहुत खुश हो रही है,

वह सोच रही है कि यह सब तो करना ही था उनको नहीं तो ससुराल में उसकी नाक नहीं कट जाती उसे तो नाक ऊंची करके रहना है।तभी उसे वहां अमित दिखाई देते हैं रचना मुस्कुरा कर उन्हें देखती है ।


सामान पाकर तो अमित बड़े खुश होंगे अमित के लिए भी महंगे ब्रांड के कपड़े आए थे। अभी अमित रचना से कहते हैं कि  सुबह जब वह मॉर्निंग वॉक से लौट रहे थे तब  उसका भाई दिखाई दिया था वह साइकिल पर अखबार रखकर घर-घर दे रहा था। अमित को यह बात देख कर बहुत दुख हुआ ।उसने रचना से कहा कि चलो एक बार तुम्हारे घर हो आए क्या वह लोग इतनी पैसे की तंगी में है? और तुमने उन लोग से इतना सामान मंगा लिया? रचना आज अपने भाई के बारे में सोचती है तो उसे रोना आ जाता है क्या उसका भाई इस कदर परेशान है कि अखबार बेचकर वह पैसे कमा रहा है! रचना फिर से रोने लगती है उसी आंख खुलती है आकाश में अभी भी चांद निकला हुआ है ।बड़ी मुश्किल से उसे फिर से नींद आती है ।

इस बार बार फिर से अपने मायके का सपना देखती है। इस बार वह मायके में गई तो घर में बहुत अंधेरा है। एक मोमबत्ती जल  रही है ।उसकी माँ  एक चारपाई पर बैठी है ।उसकी मां ने बिल्कुल  फीके रंग की साड़ी पहनी है ना बिंदी लगाई है ,ना चूड़ियां पहनी है, ना मांग में सिंदूर डाला है उसका भाई दूसरे कमरे में बैठे पढ़ाई कर रहा है। उसके भाई की सेहत बहुत गिर गई है वह बहुत पतला हो गया उसका चेहरा सावला  हो गया है ।वह पापा को ढूंढने लगती है ,माँ से पूछती है कि पिताजी कहां है दिखाई नहीं दे रहे ।मां बताती हैं कि बेटा तेरे पापा बहुत ज्यादा टेंशन में रहते थे

उनका बी पी  बहुत हाई  रहने लगा था ।डॉक्टर ने दिल के ऑपरेशन के लिए कहा था लेकिन उसके लिए तीन साढे तीन लाख रुपए चाहिए थे। चाह कर भी हम इंतजाम नहीं कर पाए ।

एक बार तो तेरे भाई ने कहा कि तुझ से पैसे मांग ले पर इससे तेरी नाक नीची हो जाती इसलिए मैंने तुझसे और दामाद जी से पैसे नही मांगे।  रचना परेशान हो गयी “मम्मा तुम्हें जवाब क्यों नहीं दिया पापा कहां है वह मुझे दिखाई क्यों नहीं दे रहे । तुमने ना चूड़ियां पहनी है ना बिंदी लगाई है कैसी शक्ल बना कर बैठी है ।बेटा इसीलिए तुझे बुलाया है कि यह खबर फोन तो तुझे नहीं दे सकते थे ।रचना का दिल जोरो से धड़कने लगता है वह जब बगल के कमरे में जाती है तो देखती है पिता की फोटो पर फूलों का हार चढ़ा हुआ है ।तभी रचना को बच्चे की किलकारी सुनाई देती है ।


वह पलट कर देखती है तो एक औरत प्रैम में एक गोल मटोल सुंदर से बच्चे को लिए है। उसकी मां लपक के उस बच्चे को गोदी में ले लेती है। कहती है बेटा तेरे पिताजी को मरे  2 महीने हो चुके हैं ।तब तुझे यह छोटू होने वाला था ।तेरे पिता की आखरी इच्छा यही थी कि तुझे कुछ नहीं बताया जाए कहीं तेरी तबीयत खराब ना हो जाए ,तेरे बच्चे तो कोई खतरा न हो जाए ,अब क्योंकि यह छोटू इस दुनिया में आ गया है तब जाकर मैंने तुझे यह बात बताई हालांकि अमित तेरी पिता की मृत्यु पर यहां आया था और  सारी रस्में बेटे की तरह निभाई पर हम सब ने जानबूझकर बात छुपाई।

रचना का कलेजा फटने को आ जाता है उसकी आंख खुलती है सवेरा हो गया था। वह हड़बड़ा कर बाहर भागती है। बाहर बरामदे में उसके मां और पिता जी चाय पी रहे थे ।पिताजी अखबार पढ़ रहे थे और मजेदार खबरें पढ़कर मां को बता रहे थे ,उसका भाई बगल के कमरे में पढ़ाई कर रहा था वह वैसे ही अच्छी सेहत वाला गोल मटोल था। वह जाकर कसके अपने पिता के कंधे से लटक जाती है और अपनी मां को देखकर निहाल हो जाती है। उसकी मां कहती है तुझे क्या हो गया अभी तेरी शादी में बहुत समय है अभी तेरी विदाई नहीं हुई जो हमसे लिपट रही है और जहां से तूने कहा था तेरी शादी की सारी खरीदारी वहीं से होगी शहर की सबसे बड़ी दुकान से ।

रचना शर्मा जाती है और कहती है मा हम खरीदारी वही से  करेंगे जहां से हमेशा करते हैं और पिताजी ने जितना रुपया मेरी शादी के लिए रखा है उसमें से मैं थोड़े पैसे बचाना चाहती हूं ,आगे जाकर ना जाने कैसा समय आए! बुरे वक्त यही पैसे हमारे काम आएंगे ।सिर्फ दिखावे के लिए मैं अपने पिता की गाढ़ी कमाई के पैसे बर्बाद नहीं कर सकती और मैं भी कोशिश करूंगी कि मैं भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं ,मैं भी कुछ काम कर सकूं जिससे तुम लोगों का सहारा बन सकूं। मैं तुम लोगों की बैसाखी बनना नहीं चाहती।

उसकी मां की आंखों में आंसू आ जाते हैं, उसके पिता अपनी बेटी को देख कर कहते हैं इतनी बड़ी कब हो गई तू ।भाई  कमरे से बाहर आ जाता है , दीदी तेरी शादी में मैं तो बहुत सुंदर सी शेरवानी पहनूंगा ।रचना उसे गले लगा लेती है कहती है तुझे शेरवानी ही नहीं तुझे हम एक सोने की चेन भी ले कर देंगे जो मेरी यादगार के रूप में हमेशा तू गले में पहने रहेगा समझे !अभी मन लगाकर पढ़ाई कर और अपने पैरों पर खड़े होकर बाबा और मां का नाम रोशन कर। दोनों भाई बहन खुशी-खुशी एक दूसरे को देखने लगते हैं।

स्वरचित

गरिमा

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