वहां पर सब कुशल मंगल है ना सोहन के बापू ….? इस महीने आपका खत नहीं आया …. पर मैं चिंतित नहीं हूं… आप भी चिंता मत कीजिएगा…. हमे पता है …मेरे …सोहन के बापू बिल्कुल ठीक होंगे …. और देश की रक्षा में व्यस्त होंगे….!
यहां हम और सोहन भी कुशल मंगल से है.. हमें थोड़ा मलेरिया बुखार हो गया है …जिससे कमजोरी हो गई है… पर हम कुशल से हैं… आप चिंता मत कीजिएगा…!
बरसात की वजह से आंगन में काई लग गई है….पैर फिसलने से सोहन गिर गया था.. और उसका दाहिना पैर टूट गया है ….पर आप चिंता मत कीजिएगा … हम कुछ ना कुछ व्यवस्था कर ही लेंगे… यहां सब कुशल मंगल है…!
देखिए सोहन के बापू…आपके ऊपर पूरे देश के रक्षा का भार है ….अतः आप हमारी परेशानियों से चिंतित ना हो और पूरी निष्ठा ,लगन से अपने कार्य में लगे रहें….हम कुशल से हैं…!
15 अगस्त आने वाला है सोहन के बापू….हम अपनी कुटिया के सामने सम्समान झंडा फहराने की भी व्यवस्था कर रहे हैं …!
बाकी सब कुशल मंगल है सोहन के बापू…
आपकी
कल्याणी
इतना सब हो गया कल्याणी और तुम कहती हो …सब कुशल मंगल है …चिंता मत कीजिएगा… सच में कल्याणी तुम्हारे साहस वीरता और त्याग के लिए सैल्यूट….! खत पढ़कर इतना ही तो ओम प्रकाश कह पाए…
वीर सैनिक ओमप्रकाश के हाथ अनायास ही सेल्यूट के लिए माथे की तरफ बढ़ गए…!
लघु कथा
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित रचना)
संध्या त्रिपाठी