सुनो जी,आज तो 8 बज गये, दूध वाला दूध नही दे गया है, मालूम तो करो,आयेगा भी नही?
रोज दूध समय पर ही आता था,आज क्यो हुआ जानने को मैंने अपने यहां दूध की डिलीवरी करने वाले को फोन लगाया।
उधर से आवाज आयी, अरे बाबूजी आपको पता भी है,अपनी सोसायटी में एक मेड का मर्डर हो गया है,उसकी डेड बॉडी भी नही मिल रही,सब गेट बंद कर दिये गये हैं, दूध इसीलिए नही आया है, आप चाहो तो गेट पर दूध दे सकता हूँ।
स्वाभाविक रूप से घटना की जानकारी करने की उत्सुकता में मैं गेट की ओर बढ़ गया।सोसायटी में यह हो गया तो चिंतनीय था ही।पूरी सोसायटी में अफ़रातफ़री का माहौल था।टी. वी.चैनल्स की वैन प्रेस रिपोर्टर्स की भीड़ सोसायटी में भरी पड़ी थी।
एक नेवी अफसर के यहां एक मुस्लिम मेड थी,वह पिछली रात्रि से घर नही पहुची थी।सोसायटी से बाहर जाने की उसकी एंट्री भी नही थी।इसका मतलब हुआ कि वह सोसायटी में ही गायब हुई है।उसके ख़्वाविन्द ने बताया कि रुकसाना का फोन रात्रि 8 बजे आया था और वह बोल रही थी कि उस पर मालकिन दस हजार रुपये की चोरी का आरोप लगा रही है।एक दो ने पूछा भी कि जब तुम्हारी पत्नी घर नही पहुंची तो तुम सोसायटी में क्यो नही आये।पर ये प्रश्न मीडिया द्वारा अपनी trp बनाने के व्यूह में उलझ गया।पूरे मीडिया ने उस नेवी
अधिकारी को विलेन बना दिया गया।टीवी चैनल्स ने कहानी प्रोजेक्ट कर दी थी कि गरीब मेड को नेवी अधिकारी ने गायब कर दिया गया है।इसी बीच लगभग 500 लोगो की भीड़ ने सोसायटी पर हमला कर दिया।नेवी अधिकारी का फ्लैट ग्राउंड पर था,उसको तहस नहस कर दिया गया,नेवी अधिकारीऔर उनकी पत्नी ने अपनी बच्ची के साथ बाथरूम में अंदर बंद होकर अपनी जान बचाई।पुलिस आ गयी सोसायटी के 50-60 गार्ड्स थे सबने दंगाइयों को सोसायटी से बाहर किया।पुलिस ने सोसायटी पर पहरा बिठा दिया।मामले की जांच शुरू हो गयी।
तीन दिन तक तमाम चैनल्स और प्रिंट मीडिया का हुजूम सोसायटी में डेरा डाले रहा।सनसनीखेज मामला बन गया था।मीडिया की पूरी सहानुभूति मेड के साथ थी।
इसी बीच सीसीटीवी की एक फुटेज जांच के समय सामने आ जाती है, कि घटना के अगले ही दिन सुबह वह मेड पूरी तरह स्वस्थ रूप में एक अन्य टावर से मुँह ढक कर निकल रही है।जांच अधिकारी चौंके,उन्होंने टावर का एंट्री रजिस्टर चेक किया तो उन्हें पता चला कि वह मेड उस टावर में अकेली रहने वाली महिला के यहां अपनी तबियत खराब बता कर रात्रि में रुक गयी थी।मेड भीड़ का लाभ उठा बाहर निकल गयी थी।उसके शौहर को पकड़ा गया,तब वह महिला भी पकड़ी गयी।पुलिस के सामने उसने राज उगला कि उसने ही
रुपये और सोने की चेन चुराई थी,मालकिन द्वारा पुलिस में शिकायत की धमकी के कारण उसने अपने शौहर को फोन किया,तब उसने ही उसे वही रुकने को बोला और पूरा षड्यंत्र उसके शौहर का ही है। अब मीडिया दूसरी भाषा बोलने लगा था।उस मेड व उसके शौहर को गिरफ्तार कर लिया गया।
इधर सोसाइटी के अन्य निवासी जब उन नेवी अधिकारी से मिलकर सांत्वना देने पहुंचे तो उन्होंने इतना ही कहा,मेरी पत्नी उस दिन डर जरूर गयी थी,पर हमें विश्वास ईश्वर पर था,अपनी सच्चाई पर था।उनका विश्वास खरा उतरा।
बालेश्वर गुप्ता,नोयडा
सत्य घटना पर आधारित, अप्रकाशित
*#साँच को आंच नही* मुहावरे पर आधारित लघुकथा: