Moral Stories in Hindi : बनवारी काका की आंखों के सामने पली बढी प्रिया पर बनवारी काका को पहले से ही खुब विश्वास था !! वे बोले बेटा , तेरे भाई भाभी के राज में तेरी मां की हालत दयनीय हो गई हैं , अच्छा हुआ जो तु आ गई , शायद अब तेरी मां कांता जी को सुख के दिन नसीब हो !!
प्रिया बोली काका , मेरे जाने के बाद ऐसा क्या हुआ हैं यहां ??
बनवारी काका बोले तेरा भाई रमेश और तेरी भाभी रीमा ने कांता जी और तेरे पिता शंकर लालजी के साथ बहुत बुरा सुलुक किया हैं प्रिया , दोनों कभी हमसे कुछ कहते नहीं क्योंकि रमेश के गुस्से से तो सब वाकिफ हैं मगर बहुत दुःखी थे शंकरलालजी अपने घर के हालातों से , तु आ गई हैं तो सब पता लगाकर ही वापस जाना और कुछ भी जरूरत पड़े तो मुझे बेहिचक बता देना !!
प्रिया अपने आंसू पोंछकर वापस अपने मायके पहुंची !! इस बार दरवाजा लॉक था !!
प्रिया ने डोर बेल बजाई तो उसी औरत ने दरवाजा खोला जो मां पर चिल्ला रही थी !!
वह बोली आप कौन ??
मैं प्रिया , प्रिया धीरे से बोली !!
अच्छा प्रिया दीदी , माफ किजिएगा मैंने आपको पहली बार देखा , मैं आपके भैया रमेश की पत्नी रीमा , आईए अंदर आईए !!
प्रिया बोली मां कहां हैं ??
रीमा प्रिया को मां के कमरे में ले गई , मां को देखते ही प्रिया मां के गले लगकर जोर जोर से रो पड़ी और बोली मां पापा को क्या हो गया था ?? पापा हम सबको अकेला कर क्यूं छोड़कर चले गए ??
कांताजी भी बेटी को देखकर जोर जोर से रो पड़ी और एक दर्दभरी आवाज जिसमें ओर भी बहुत कुछ अनकहा सा था !!
उतने में रमेश अपने कमरे से आया और प्रिया को देखते ही प्रिया पापा हम सबको छोड़कर चले गए बोलकर घडियाली आंसू बहाने लगा !!
प्रिया जो कि पहले भाई भाभी का इतना भयंकर रूप देख चुकी थी उसे भाई के नकली आंसू साफ नजर आ रहे थे !!
रमेश बोला , रीमा जाओ देख क्या रही हो ?? प्रिया अरसे बाद इस घर में आई हैं , इसके लिए बढिया चाय , नाश्ता लेकर आओ !!
रीमा रसोई में जाती हैं और डोर बेल बजती हैं , रमेश दरवाजा खोलता हैं तो रीमा के मम्मी पापा और बहन को देखकर उनकी आवभगत में लग जाता हैं !!
अकेले में मौका पाकर प्रिया अपनी मां से पूछती हैं मां इतने सालों में एक बार भी मेरी याद नहीं आई जो आपने एक फोन नहीं किया !!
कांता जी बोली बेटा हर पल तुझे याद किया हैं मैंने और तेरे पापा ने , तेरे दोस्तों से सारी खबर लेते थे हम दोनों !! तु अमेरीका में जमाई बाबु के साथ बहुत खुश हैं यह जानकर हम बुडढे खुश हो जाते थे , रमेश से छुप छुपाकर खबर लेते थे तेरी !!
तेरी खबर मिलते ही कहीं रमेश फिर से ताव में ना आ जाए इसलिए तुझे फोन नहीं किया क्योंकि तेरे चले जाने के बाद रमेश ने तुझे खुब गालियां दी और कहने लगा आज के बाद अगर किसी ने प्रिया को फोन किया तो मुझसे बुरा कोई ना होगा , ऐसी लड़की से हमारा कोई वास्ता नहीं जो खानदान का नाम कीचड में उछालकर भाग गई !!
मां पापा को क्या हुआ था ?? उनकी मौत कैसे हुई ??
बेटा , जब से तेरा भाई रीमा के प्यार में पडा था उसे सही गलत कुछ समझ नहीं आता था !! रमेश ने रीमा से शादी करने की जिद पकड़ ली थी तब तेरे पापा ने रीमा के परिवार वालों की खबर निकाली तो सबने यही कहा कि लड़की का चाल चलन ठीक नहीं हैं , रीमा पहले भी दो लड़कों को धोखा दे चुकी हैं ,
आपका बेटा तीसरा हैं , इसके परिवार वाले बस जमीन जायदाद की लालच में अपनी बेटियों की शादी करवाते हैं और फिर सब कुछ हाथ में आते ही इनकी लड़कियां अपने मायके आकर बैठ जाती हैं और नया लड़का फंसाने की तैयारी करती हैं , बस यही वजह थी कि तेरे पापा रीमा से रमेश की शादी नहीं करवाना चाहते थे मगर रमेश जो कि बिल्कुल सुनने तैयार ना था , आए दिन तेरे पापा और रमेश की कहा- सुनी होने लगी , जिसके चलते तेरे पापा बीमार रहने लगे !!
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खानदान पर कलंक मैं नहीं आप हो भैया !! (भाग 4) : Moral Stories in Hindi
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स्वाती जैन