कौशल प्रसाद जी शहर में एक बड़े व्यवसाई थे। उनका शहर में जुराबों का कारखाना था। उनके दो बेटी एवं एक बेटा था। एक बेटी की उन्होंने शादी कर दी थी और बेटा बाहर पढ़ने गया हुआ था। उनके इंश्योरेंस आदि के अन्य काम भी चलते रहते थे जिनके कार्य के लिए उनके घर पर उनका अकाउंटेंट आता रहता था।
जो लगभग 24- 25 साल का था। देखने में सुडौल शरीर व सुंदर व्यक्तित्व का इंसान था। वह उनसे अलग जाति का था। वह अपनी आदत के अनुसार सबसे अच्छी तरह बोलता था। घर में जाकर सबको नमस्ते करना, सबसे बातचीत करना एवं खाने की तारीफ करना,
उनके घर में हर चीज में रुचि लेना, उसकी तारीफ करना उसके बारे में बात करना उसकी आदत बन गई थी। वह उनके घर के सदस्यों की तरह हो गया था। कौशल प्रसाद जी की लड़की थी जो की कॉलेज में ही पढ़ाई कर रही थी। जब वह भी आती थी तो वह उससे भी बात करता था।
इसी तरह से सब चल रहा था। एक दिन कौशल प्रसाद जी की लड़की अनामिका को लगा कि वह उस लड़के की तरफ खींच रही है। उसकी बात करने का अंदाज और उसके व्यक्तित्व की तरफ में खींची चली आ रही है। कुछ दिन तो उसने सोचा शायद ऐसे ही हो रहा है परंतु वास्तव में ही वह उसकी तरफ खींची चली आ रही थी।
एक दिन जब उस से रहा नहीं गया तब उसने उस लड़के से कह दिया कि मेरे साथ आजकल यह सब हो रहा है। मैं अपने आप को तुम्हारी तरफ खींचा हुआ महसूस कर रही हूं। यही बात लड़के ने भी कही।फिर आगे उनकी और बातें होने लगी। जहां वह लड़का पहले सबसे बात करता था
अब वह उस लड़की से बात करने लग गया था। धीरे-धीरे उन्होंने कदम बढ़ाने शुरू करे। अब उनका यह आकर्षण प्यार में बदल गया। अब वे दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। दोनों ने घर वालों को बिना बताए मिलना शुरू कर दिया। लड़का यादव परिवार से था तथा लड़की अग्रवाल परिवार से थी। जब दोनों को लगने लगा की हमें शादी कर लेनी चाहिए तब उस लड़की ने अपने मन की बात अपनी मां से कही।
अनामिका की बात सुनते ही पहले तो मां अवाक रह गई। फिर उसके बाद मां ने कहा नहीं यह बिल्कुल नहीं हो सकता। यह अंतरजातीय विवाह है। अब तक हमारी बिरादरी में कभी किसी ने ऐसा नहीं किया है। इसलिए तेरे को भी इसकी अनुमति नहीं मिलेगी। तुम उस लड़के से मिलना जुलना बंद कर दो।
यह शादी नहीं हो सकती। शुरू में तो लड़की मान गई परंतु कहते हैं ना प्यार में सब कुछ जायज है। उसने उस लड़के से मिलना जारी रखा। लड़के का घर में आना बंद हो गया। फिर भी वह उस लड़के से बाहर जाकर मिलने लगी। लड़की ने लड़के को बताया कि हमारे घर में तो यह मामला गंभीर हो गया है।
मां नहीं मान रही है तो पापा कहां से मानेंगे? उन्हें हमारा यह रिश्ता मंजूर नहीं है। फिर एक दिन दोनों ने मिलकर सलाह की क्यों ना घर से भाग जाया जाए? प्लान के मुताबिक दोनों अपने-अपने घर से भाग गए और उन्होंने बाहर जाकर कोर्ट मैरिज और मंदिर में शादी कर ली।
उनकी शादी के बारे में लड़की के घर वालों को पता चल गया था कि हमारी लड़की भाग गई है। अब क्या था यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। शहर में उनके परिवार की बदनामी होने लगी। परंतु कर भी क्या सकते थे? आखिर खून का घुट पीकर रह गए।
उन्होंने अपनी बेटी के साथ सारे संबंध खत्म कर दिए। बेटी अपने पति के साथ उसी शहर में उस लड़के के घर में रहने लगी। समय का फेर बदला। उसे लड़के के घर में दिक्कतें आनी शुरू हो गई। उसे समय बीतने के बाद उनके घर में खाने की भी लाले पडने लगे। वह लड़की को दुखी करने लगा।
उसको तब भी उसकी मां ने बिलकुल नहीं पूछा। उसकी मां का कहना था जब इस लड़की ने हमारे खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला दी तो मैं इसे क्यों पूछूं। वह अपने मन को दबाकर बैठ गई, उसने लड़की को बिल्कुल भी नहीं पूछा उसे उसके हाल पर छोड़ दिया।
लक्ष्मी कानोडिया
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उत्तर प्रदेश