कहने से पहले परखना – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ ये क्या कर दिया तुमने रोहित एक बार भी जेहन में ये ख़याल नहीं आया हम लोग इतने सालों से इस कम्पनी के लिए काम कर रहे हैं

इनके परिवार को हम कितना सम्मान देते हैं और तुम एक लड़की के लिए अपना ईमान बेच दिए… लानत है तुम पर।” कहते हुए मनोज अपने बेटे को सबके सामने पीटना शुरू कर दिया

सामने बड़े मालिक की पोती रीमा अपने तन पर फटे कपड़ों को भरसक छिपाने की कोशिश कर रही थी 

“ चलो तुम अंदर कार में बैठो।” कड़क स्वर में राजशेखर जी ने अपनी पोती से कहा

पोती के कार में बैठते ही वो रोहित की ओर मुख़ातिब हो ग़ुस्से में आँखें तरेरते हुए बोले,” तुम मनोज के बेटे हो तो ये मत समझना कि हमारे साथ विश्वासघात करने की सजा तुम्हें नहीं मिलेगी ।” 

“ मालिक ये आपका गुनाहगार है जो सजा देना हो दे सकते हैं… मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था मेरा ही बेटा ऐसी नीच हरकत करेगा वो भी उनके साथ जिनका हम नमक खाते हैं ।” मनोज नज़रें झुकाकर बोला

“ आप सब मुझे ग़लत समझ रहे हैं मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया मैंने कोई ईमान नहीं बेचा ना आपका विश्वास तोड़ा है आप चाहे तो रीमा बेबी से पूछ सकते हैं?” रोहित अपनी बेबसी पर तरस खा उम्मीद की नज़रों से रीमा की ओर देख कर बोला 

“दादा जी आप जो देख रहे हैं वो सब गलत है.. रोहित तो मेरे फटे कपड़े देख मुझे ढकने के लिए अपना शर्ट उतार रहा था… दरअसल जब गिटार क्लास ख़त्म कर बाहर निकली तो कुछ लड़के मेरे पीछे आ रहे थे वो मुझे देख गंदी गंदी बातें कर रहे थे

एक तो मेरा हाथ पकड़ रहा था तभी रोहित कार लेकर मुझे पिकअप करने आ गया…मैं जैसे ही कार में बैठने लगी एक ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा इसके साथ जा रही हो इससे अच्छे तो हम ही हैं चलो हमारे साथ…बस रोहित मुझे उनसे बचाने के लिए निकला ही था

कि वो लोग हाथापाई करने लगे ऐसे में एक ने झटके से मेरा हाथ पकड़ कर खींचने की कोशिश की और मैं अपने आप को बचाने की तभी मेरे कपड़े फट गए और रोहित को कुछ समय नहीं आया तो वो अपना शर्ट निकाल कर मुझे देने की कोशिश कर रहा था इतने में आपकी कार इधर से गुजर रही थी

और फिर…जो कुछ भी हुआ उसमें रोहित की कोई गलती नहीं है वो तो मेरी रक्षा ही कर रहा था ।”

राजशेखर जी ये सब सुन कर रोहित की ओर देखते हुए बोले,” आज से रीमा को लाने पहुँचाने की ज़िम्मेदारी तुम्हारी… बस विश्वास बनाए रखना ।”

दोस्तों कई बार परिस्थितियाँ ऐसी दिखती है जिससे हम अपनी एक धारणा बना सामने वाले को कुछ भी कह देते हैं पर ज़रूरी नहीं है वही सच हो।

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मुहावरा 

#ईमान बेचना ( विश्वास समाप्त करना)

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