कविता की प्रस्तुति – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

    दीपू …कल सेकंड सैटरडे है ना तेरी छुट्टी होगी और परसों संडे…

वाह….. तो देख बेटा मुझे दो जगह महिला दिवस पर अपनी कविता प्रस्तुत करने का आमंत्रण मिला है…दोनों जगह दूर है…..और पापा की छुट्टी नहीं है मुझे ले जाने वाला कोई नहीं है…..

तो प्लीज दीपू ….तू मुझे ले जाएगा …..?? प्लीज बेटा…..

अरे मम्मी… ये तो बड़े गर्व की बात है.

हाँ हाँ चल इस बार की दोनों दिन की छुट्टी तेरे नाम की. इसी बहाने मुझे भी तो तेरी वाहवाही सुनने को मिलेगी….

ओके डन…. कहकर दीपू ने मम्मी (कविता ) के हाथ में अपना हाथ मिलाया….! 

   माँ कितने बजे से प्रोग्राम है …..?? अगले दिन दीपू ने पूछा …….

.शाम 4:00 बजे से बेटा…… तो 3:00 बजे तक तैयार हो जाना……. एक घंटा लग जाएगा अपनी गाड़ी से उतनी दूर जाने में……..! कविता मन ही मन खुश हो रही थी …. मैं स्टेज शेयर करके कितनी खुश हूं… एक प्रतिष्ठित संस्थान ने मेरे विचार रखने के लिए मुझे अपना मंच दिया है …

   पर उससे भी ज्यादा खुशी बेटे का मेरे प्रति उत्साह देखकर हो रही थी…

माँ अच्छे से तैयारी कर ली है ना जो तुझे स्टेज पर बोलना है…

हां बेटा… खुश होती हुई कविता मुस्कुराकर कहती….

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बेटा जो अपनी छुट्टी के साथ साथ उत्सुकता से माँ के लिए परवाह या चिंता कर रहा था….।

शालीनता से तैयार हो कविता जैसे ही गाड़ी में बैठी……. उसने दीपू से कहा….. बेटा तू ना पूरा वीडियो रिकॉर्डिंग करना…… अच्छे से….. एकदम साफ साफ आना चाहिए, मुझे व्हाट्सएप स्टेटस …..फेसबुक सभी जगह डालना है….वहां तो रिकॉर्डिंग होता ही है पर वो कब मुझे मिलेगा पता नहीं …….?? इसलिए तू अच्छे से वीडियो बनाना बेटा……..

   ठीक है माँ …..कहकर दीपू गाड़ी चलाने लगा….. रास्ते भर कविता ने भी अपनी रचना पर गौर किया।

कार्यक्रम स्थल में पहुंचते ही पता चला ….मुख्य अतिथि के आने में विलंब है…… सब अपनी अपनी जगह पर बैठ गये …….अभी पूरा हाल भरा भी नहीं था….. चूँकि कविता समय की पाबंदी पर विशेष ध्यान देती थी ….और दीपू भी आखिर कविता का ही तो बेटा था….तो उसे भी समय बाध्यता का बड़ा महत्व था…… इसलिए माँ बेटा दोनों नियत समय में कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए थे …..आधे घंटे के इंतजार के बाद भी मुख्य अतिथि का आगमन नहीं हुआ ….तो दीपू ने कहा… माँ… यही पास में मेरे ही ऑफिस के एक सहकर्मी (जूनियर) रहते हैं… तब तक मैं उनसे मिल जाऊं क्या …..?? हाँ हाँ जा बेटा …..वैसे भी तो तू यहां बैठे बैठे बोर ही हो रहा है….. पर देख नियत समय पर आ जाना ……..वरना मेरा वीडियो कौन बनाएगा……??

हाँ माँ तू चिंता मत कर…. मैं आ जाऊंगा…. बस तू एक काम करना …..जैसे ही कार्यक्रम शुरू होगा…. झट से मुझे फोन कर देना मैं तुरंत आ जाऊंगा…. कहकर दीपू चला गया…..।

     इधर दीपू का जाना ….उधर मुख्य अतिथि का आगमन …….देखते ही देखते पूरा हॉल खचाखच भर गया….. कविता सोच रही थी…… दीप प्रज्वलित और स्वागत गीत आदि के बाद कुछ औपचारिकताएं होंगी …..तब तक तो दीपू आ ही जाएगा ….अब गया है तो 10 मिनट के बाद ही फोन करूंगी…..।

    मुख्य अतिथि के आते ही दीप प्रज्वलित और स्वागत गीत प्रारंभ हो गया ……कविता ने फोन कर दीपू को बता दिया कि…. कार्यक्रम शुरू हो गया है..

तुरंत आया माँ……..कहकर दीपू ने फोन रख दिया…… जैसे ही कविता फोन पर्स में डाली …….स्टेज पर अनाउंसमेंट हुआ….. महिला सशक्तिकरण पर कविता जी अपने विचार व्यक्त करने आ रही हैं……..

अरे पहला कार्यक्रम मेरा ……?? अब वीडियो कौन बनाएगा…..?? ये दीपू को भी ना अभी ही जाना था……. दूर निकल गया होगा….. दोस्तों में , ये लड़का भी ना …..सब कुछ भूल जाता है…….. न जाने कितनी सारी बातें मन में उथल-पुथल मचा रही थी……

   फिर भी तत्परता से कविता ने मोबाइल एक बच्चे को पकड़ा कर वीडियो बनाने का संकेत देकर स्टेज पर चली गई…. और बड़ी निर्भीकता से अपने विचार रखें….

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         तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज रहा था…… कईयों ने कविता से उसकी रचना की कॉपी मांगी…. बहुत खुशनुमा माहौल था ……पर कविता को कहीं ना कहीं दीपू की अनुपस्थिति अखर रही थी ……स्टेज से उतरते ही दरवाजे पर नजर पड़ी ….. बदहवास खड़ा दीपू ……..अरे मम्मी हो गया क्या…..? उसके साथ उसका जूनियर सहकर्मी भी खड़ा था.

गुस्से में तमतमाती कविता ने कहा …..अब आया है … जब मेरा परफॉर्मेंस हो गया…… अरे सॉरी माँ… सॉरी सॉरी …बहुत बड़ा वाला सॉरी…. दीपू के चेहरे पर पश्चाताप व आत्मग्लानि स्पष्ट झलक रही थी…. ।

    माँ तेरा वीडियो.. . गुस्से में कविता ने दीपू को ये भी नहीं बताया कि उसने एक बच्चे से वीडियो बनवा लिया है…..

 वास्तव में कविता को भी दुख वीडियो बनाने से ज्यादा उसकी प्रस्तुति दीपू को ना देखने की ज्यादा थी…..

और कविता के चेहरे पर  “तनाव “स्पष्ट झलक रहा था….

    आवेश में कविता ने बेटे को उसके जूनियर के सामने ही डांटना शुरू कर दिया…… बल्कि जूनियर थोड़ा शर्मिंदा भी हो गया था ……उसने कहा भी….. सॉरी आंटी मेरे कारण ही विलंब हुआ….. मैंने ही सर को चाय पीने के लिए रोक कर रखा था…..!

दीपू ने एक भी शब्द अपनी सफाई में नहीं कहा… बस सॉरी सॉरी ही करता रहा….

लौटते वक्त रास्ते भर बेटे को पश्चाताप में देखकर कविता ने सोचा ……..

 ………..अब बस………

     चलो बता ही देती हूँ…. उसने पर्स में से मोबाइल निकाल कर ……अपने वीडियो को…. फुल साउंड में शुरू कर दिया …….जैसे ही दीपू को माँ की आवाज सुनाई दी… अरे माँ वीडियो बना है क्या ……?? खुश होते हुए दीपू ने पूछा ………..गाड़ी सड़क के किनारे लगाया और बोला अब तो मैं तेरी प्रस्तुति देखकर ही आगे बढ़ूंगा माँ ….

 पूरी कविता सुनने के बाद दीपू ने कहा ….बहुत अच्छा बोली है माँ …तेरे अभिव्यक्ति का तरीका बहुत प्रभावी था….

कविता भी भावविभोर हो गई प्यार से दीपू का माथा चूमा…. अब जब सब सामान्य हो गया तो दीपू ने कहा…

आज तो तू ना माँ ….मेरी सारी मैनेजरी (मैनेजर) मेरे जूनियर के सामने निकाल दी……

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     ओह…. सॉरी बेटा…. आज के लिए बड़ा वाला सॉरी रहेगा…. कविता को भी एहसास हो रहा था कि मेरे इतने गुस्से के बाद भी दीपू ने एक शब्द भी जवाब नहीं दिया …..सिर्फ अपनी गलती स्वीकार करता रहा….. जबकि वास्तव में उसकी भी गलती नहीं थी… हम दोनों ही गलत नहीं थे ….बस कभी-कभी समय ही आंख-मिचौली खेल जाता है……।

अभी तक दीपू सॉरी सॉरी बोल रहा था …अब कविता दीपू से सॉरी सॉरी बोल रही थी …..ये तो तय था …..दोनों के… गुस्सा करने …..माफी मांगने ….और माफ करने में भी ……माँ -बेटे का प्यार …..साफ झलक रहा था…!

रास्ते भर कविता सोचती रही ……एक तो मेरे लिए अपना …समय ….छुट्टी …सब कुछ दिया उपर से डाँट भी सुना वो भी जूनियर के सामने……

   घर पहुंचते ही दीपू के फोन की घंटी बजी….. सॉरी सर …..आज मेरे चलते आपको आंटी (कविता) जी से ………..

      अरे नहीं यार …….कविता समझ चुकी ….जूनियर सहकर्मी अपने मैनेजर साहब को फोन कर …..स्वयं वाक्या का कारण माध्यम बनना चाह रहे हैं……

सर एक बात बोलूं …..आज आपका और कविता जी (आंटी ) का …माँ – बेटे…. के रिश्ते का तालमेल देख कर मन खुश हो गया..

   आप वैसे ही हमारे मैनेजर नहीं हैं ….सिर्फ बोलना ही नहीं … बड़ों से सुनने में भी बड़प्पन झलकता है ये आज मैंने जाना है…… आज मैंने बहुत कुछ सीखा है सर….. बहुत कुछ…….. कभी-कभी खुशी ज्यादा……. गलती मान लेने पर होती है सर ……

   ” शायद मेरे घर में भी एक शिथिल पड़े रिश्ते पर नवसंचार होगा …… आज एक और माँ का दूर चला गया बेटा वापस लौटेगा सर “…….

हमेशा खुश रहो और सबको खुश रखने की कोशिश करो मेरे बच्चों ……बगल में बैठी कविता फोन के पास मुंह ले जाकर इतना ही कह सकीं….. ।

 सारे प्रकरण के बाद मां बेटे की आपसी  ” तनाव ” तो दूर हुई ही… एक ऐसे रिश्ते जो काफी हद तक फीके पड़ चुके थे ..उनके मध्य भी सारे  “तनाव ” दूर हो फिर से एक नए सिरे से प्रफुल्लित हो सका…!

दीपू ने माँ का वीडियो अपने जूनियर को फॉरवर्ड कर दिया….. वीडियो देखने के बाद जूनियर ने कहा…..

जब जिंदगी में कविता जी की प्रस्तुति इतनी शानदार है… तो मंच पर क्या ही रहा होगा सर…….!

साथियों… आज के परिवेश में जहां हम बच्चों पर संस्कार विहीन होने का तोहमत लगाते हैं …वही छोटी-छोटी भावनाओं घटनाओं के माध्यम से कुछ शिथिल पड़े संवेदनाओं को उभारा जा सकता है … थोड़ी सी कोशिश हमें भी करनी होगी …ये महज एक कहानी ही नहीं …यथार्थ से ओतप्रोत घटना है…!

    मेरे विचार पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा…..!

साप्ताहिक विषय 

    #  तनाव

 (स्वरचित मौलिक एवं सर्वाधिकार  सुरक्षित रचना )  

संध्या त्रिपाठी

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