सीमा दुल्हन बनाकर मनोज के घर आ गई। नई दुल्हन की तरह उसके चेहरे पर कोई उल्लास या चमक नहीं थी। बस कठपुतली की तरह सारे रस्मों रिवाज निभाये जा रही थी। मनोज की मां कमला देवी ने उसकी गोद में 2 साल की नन्ही पीहू लाकर डाल दी।
और कहा देखो बहू अब तुम ही इसकी मां हो। बिन मां की बच्ची पर अपनी ममता को बरसाना । मेरा तो पके फल की तरह कोई भरोसा नहीं है। तभी किसी के आवाज लगाने पर वह बाहर निकल गई पीहू उसे देखकर ऐसे मुस्कुरा रही थी जैसे कब से उसे जानती हो उसके मन में भी पीहू को देखकर ममता हिलोरे मारने लगी।
उसने उसे गले से लगा लिया और कहा मेरे साथ जो हुआ वह तुम्हारे साथ नहीं होगा पीहू बेटा। कभी जिस जगह में खड़ी थी आज उसी जगह तुम खड़ी हो। उसे सीने से लगाए वह बीती स्मृतियों में खो गई। सीमा 5 साल की ही थी जब उसकी मां की मृत्यु हो गई थी। उसके पिता के लाख मना करने के बाद भी सीमा की दादी ने यह कहकर जबरदस्ती नीला से उसकी शादी कर दी थी की बच्ची को माँ मिल जाएगी।
लेकिन अपनी सौतेली मां से उसे कभी मां का प्यार नहीं मिल सका 1 साल बाद ही उसका छोटा भाई मुकुल पैदा हो गया था फिर तो नीला का सारा ध्यान ही अपने बेटे पर केंद्रित होकर रह गया था। जब तक उसकी दादी जीवित रही तब तक उन्होंने उसका पूरा ध्यान रखा लेकिन सीमा के 12 साल की होने पर ही उसकी दादी का भी देहांत हो गया था।
उसकी सौतेली मां तो नहीं चाहती थी कि उसकी पढ़ाई भी पूरी हो लेकिन उसके पिता के दबाव के कारण उसने स्नातक की डिग्री तो ले ही ली थी। सीमा के पिता की इच्छा उसे B.Ed करने की भी थी लेकिन इसी बीच मनोज की मां जो नीला के पड़ोस में ही रहा करती थी उन्होंने अपने बेटे के लिए सीमा का हाथ मांगा मनोज की पत्नी का देहांत दिल के दौरे की वजह से एक साल पहले ही हुआ था। उस समय पीहू 1 साल की थी। सीमा के पिता के लाख विरोध के बावजूद भी उसकी मां उसकी शादी मनोज से ही करना चाहती थी क्योंकि
दान दहेज देने की भी जरूरत नहीं थी लेकिन सीमा ने अपने पिता को अपनी इस शादी के लिए भी मौन स्वीकृति दे दी उसे कोई आपत्ति नहीं थी उसने अपनी किस्मत का फैसला भगवान के हाथ में छोड़ दिया था।
तभी पीहू ने उसके कान का झुमका पकड़ कर उसके गाल से अपना गाल सटा दिया। कुछ ही समय में उसने मनोज और कमला देवी के मन में अपनी जगह बना ली थी। सीमा के पिता अपनी बेटी की ऐसी परवरिश के लिए खुद को कभी माफ नहीं कर पाए और एक दिन दिल के दौरे की वजह से उनकी भी मृत्यु हो गई।
यूं ही समय आगे सरक गया। उसे कभी महसूस नहीं हुआ कि पीहू को उसने जन्म नहीं दिया है।मनोज भी सीमा से बहुत प्यार करता है। 3 साल बाद उनका एक बेटा भी हो गया था आज पीहू डॉक्टर बन चुकी है, और अपने पापा से ज्यादा अपनी मां के करीब है। उसने अपनी बेटी से किया हुआ वादा पूरी शिद्दत से निभाया है।सीमा का भाई अपनी बूढ़ी माँ को छोड़कर विदेश में बस चुका है। नीला बीमार भी रहती हैं मनोज और सीमा जबरदस्ती उन्हें अपने साथ ले आए और अपने साथ ही रखते हैं।
नीला पश्चाताप की अग्नि में जल रही है और अपनी बेटी से उसके साथ किए गए व्यवहार की क्षमा मांगती है, लेकिन सीमा अपनी मां से कहती है मां मुझे भगवान से यही शिकायत थी कि मुझे मां का प्यार नहीं मिला लेकिन अब मेरी वह शिकायत भी दूर हो गई। आज मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरी किस्मत से अच्छी किसी की किस्मत नहीं है। अपने दोनों बच्चे और मनोज जैसा जीवनसाथी पाकर मैं सचमुच खुद को खुश नसीब समझती हूं।
पूजा शर्मा