दो महीने ही तो हुए हैं मेधा की शादी को, फ़िर ये गुमसुम क्यों रहती है ? अंजानी आशंका से घिरी मालती की नब्ज़ उसके पति विनोद ने आख़िर पकड़ ही ली,और बोले – “इस तरह टेंशन पालने से क्या होगा, मेधा से पूछो क्या हुआ है..? संभव हुआ तो हम उसकी मदद करेंगे !”
-“कोई टेंशन है बेटा.. ? “
अचानक माँ के इस अप्रत्याशित प्रश्न से घबरा कर मेधा बोली -” क्यों,क्या हुआ मम्मा.. ? “
-” नहीं बेटा तू हमेशा गुमसुम रहती है न, बस इसलिए.. क्या धीरज (दामाद) को बुला लें..! “मालती ने जानबूझकर व्यंग्य का पुट देते हुए कहा l
-“नहीं, मुझे नहीं जाना है.. !”
-“क्यों ! क्या हुआ ?” मालती अब कारण जानने की उम्मीद से मेधा के पास ही बैठ गयी l
मेधा सिर झुकाये मुँह बनाते हुए बोलने लगी “अरे मम्मा , जब देखो तब मेरी नन्द वहाँ आ जाती है,मेरे से नहीं होगी जी हुज़ूरी,और जानती हो मम्मा धीरज का भी अपना कोई बिजनेस नहीं है,पार्टनर है वो अपने चचेरे भाई के साथ! “
-” बस यही बात है,और कुछ नहीं है तो.. !”
-“नहीं, और कुछ नहीं है !”
-“एक बात कहूँ बेटा ये शादी का फ़ैसला तो तुम्हारा ही था , धीरज के घर में ये है, वो है,मैं उनके परिवार को अच्छे से जानती हूँ वहाँ मेरी शादी नहीं करोगे तो,मैं कहीं और नहीं करुँगी !” मम्मी ने अपना पक्ष साफ़ करते हुए कहा
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-” आपने भी तो घर देखा था न मम्मा ! ” मेधा ने शिकायत अपनी माँ के सिर पर मढ़ते हुए कहा..
-” हाँ देखा तो था,पर तुम्हारी नज़र से.. !” कहते हुए पुनः मम्मी ने अपने आपको मेधा के प्रश्न के सामने सुरक्षित कर लिया..
-” और.. तुम्हारी ख़ुशी के लिए परिवार के खिलाफ़ जाकर हमने शादी भी कर दी ,तो अब क्या समस्या है बेटा.. ! शादी जीवन में जंज़ीर की एक नयी कड़ी की तरह होती जिसे संयम और प्रेम से मज़बूती देना पड़ता है,ये कोई हॉस्टल थोड़े ही है कि,यहाँ सहेलियाँ अच्छी नहीं हैं , मुझे दूसरी जगह रहना है.. घर परिवार में हमेशा सुख और शांति रहे इसके लिए बेटा, दुःख की धूप को भी सहना पड़ेगा,, और रिश्ता निभाने को जी हुज़ूरी थोड़े ही कहते हैं, तुम सामने वाले को मान दोगी तो बदले में पाओगी भी , और एक बात कहूँ, मान सम्मान तो हमारा भी है बेटा, ऐसा न हो कि आस पड़ोस के लोग हमसे पूछने लगें… के, क्या हुआ मेधा को.. कब जा रही है वो !! बेटा,अपने व्यवहार से ससुराल वालों का दिल जीतोगी तो ही ख़ुश रहोगी,यहाँ पर रहने से नहीं..और सच कहूँ… तो, इस तरह से दोनों परिवार की बदनामी ही होगी !” अपना दिल कठोर करके मालती ने मेधा से ये बात कह तो दी, पर उनकी आँखें छलक गईं जिसे मेधा से छिपाते हुए वो पलट कर खड़ी हो गई…
पर पास ही खड़े उनके पति विनोद से ये नहीं छिपा.. उन्होंने तो अपनी आँखों से ही मौन सहमति जताते हुए मालती को इशारे में ही कह दिया कि-“तुम ग़लत तो बिल्कुल नहीं हो….. !”
#परिवार
मधु मिश्रा,,,©® ओडिशा
(स्वरचित और मौलिक)