काश मैंने बेटे की जगह पति और पिता बनकर फैसला लिया होता!! – संगीता अग्रवाल  

” माफ कीजिएगा मांजी आपकी बहु के मरी हुई संतान पैदा हुई है !” नर्स बाहर आ उमा जी से बोली।

” क्या ….और मेरी पत्नी कैसी है ?” उमा जी की बजाय उनके बेटे रक्षित ने पूछा।

” वो अभी बेहोश हैं असल में बच्चे की नॉर्मल डिलीवरी करवाने की चक्कर में उन्होंने पहले ही बहुत कष्ट सहे फिर ऑपरेशन का दर्द भी झेलना ही पड़ा । पर अफसोस उसके बाद भी उनकी झोली खाली ही रही !” नर्स उमा जी की तरफ देखती हुई अफसोस से बोली और वहां से चली गई।

” देख लिया मां आपने अपनी जिद का नतीजा क्या होता अगर ऑपरेशन हो जाता कम से कम स्वाति ( रक्षित की पत्नी ) मां बनने का सुख तो पा जाती पर आपकी जिद ने हमारे बच्चे की हत्या कर दी काश माँ मैने आपकी बात ना मानी होती …काश मैं एक बेटे की जगह एक पति और बाप बनकर सोचता तो ये ना होता !” रक्षित दुख और गुस्से में अपनी मां से बोला।

” बेटा मैं तुम्हारी और स्वाति की गुनहगार हूं मैं नहीं जानती थी ये सब होगा मुझे लगा डॉक्टर पैसा बनाने के लिए ऑपरेशन बोल रहे हैं जबकि स्वाति को बच्चा होने का दर्द तो था !” उमा जी आंख में आंसू ला बोलीं। रक्षित कुछ नहीं बोला और कुर्सी पर बैठ सिर पीछे टिका आंखें बन्द कर लीं।

क्या कहूंगा स्वाति को कैसे संभालूंगा कितनी खुश थी वो कितने अरमान सजाए थे हमने इस बच्चे को लेकर। कल जब अस्पताल आए थे तब भी स्वाति दर्द के बावजूद चहक रही थी। जब डॉक्टर ने बताया की बच्चा नॉर्मल डिलीवरी नहीं बर्दाश्त कर पाएगा कुछ कॉम्प्लिकेशन की वजह से इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा तब भी वो हंसते हुए तैयार हो गई थी।

पर तभी मां ने कहा ” नही आप नॉर्मल डिलीवरी की कोशिश कीजिए अरे ऐसे एक घंटे में आपने कैसे निर्णय ले लिया जबकि बच्चा पैदा करने में तो पूरी पूरी रात गुजर जाती है।”




” मांजी समझने की कोशिश कीजिए आपकी बहु और बच्चा दोनों कमजोर हैं हमे ऑपरेशन करना ही होगा मिस्टर रक्षित आप पेपर साइन कर दीजिए  !” डॉक्टर ने समझाया।

” नहीं बेटा तू साइन मत कर और आप कम से कम कोशिश तो कीजिए थोड़ी !” उमा जी बोलीं।

” मां जब वो बोल रही है ऑपरेशन जरूरी है तो करने दीजिए ना !” रक्षित पेपर हाथ में ले बोला।

” नहीं नहीं नहीं ये सब उनके चोंचले होते हैं तू इनके जाल में मत फंस वरना पैसा तो पानी की तरह बहेगा ही बहु का पेट कटने से परेशानी होगी वो अलग सुबह तक देख लेते हैं देखियो बच्चा नॉर्मल हो जायेगा !” उमा जी बोली। रक्षित को मां की बात ना चाहते हुए भी माननी पड़ी। और फिर सुबह स्वाति की हालत खराब होने पर उसे ऑपरेशन की अनुमति देनी ही पड़ी।

” आपकी वाइफ को होश आ गया है आप मिल लीजिए !” रक्षित की सोच को लगाम लगाती नर्स की आवाज सुनाई दी रक्षित लपक कर स्वाति के पास पहुंचा।

” रक्षित ये लोग मेरा बच्चा नही दे रहे मुझे इनसे बोलो ना एक बार मुझे मेरा बच्चा दिखा दें !” रक्षित के अंदर जाते ही स्वाति बोली। रक्षित समझ गया अभी बच्चा खोने की बात स्वाति को नही पता है अजीब स्थिति हो गई रक्षित की अगर पत्नी को बच्चा खोने की बात बताता है तो पत्नी के खोने का भी डर है और नही बताता है तो कैसे उसके सवालों के जवाब देगा। उसकी आंख में आए आंसुओं को उसने रोक दिया और मुस्कुरा कर बोला।

” अरे बच्चा अभी आईसीयू में है !”

” आईसीयू में क्यों वो ठीक तो है ना ?” स्वाति शंकित नजरों से रक्षित को देख बोली।

” बिल्कुल ठीक है बस एहतियातन उसे वहां रखा है मैं अभी देख कर आ रहा हूं उसे तुम आराम करो !” रक्षित उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला। थोड़ी देर बाद दवाई के असर से स्वाति सो गई तो रक्षित बाहर आकर बैठ गया क्या अजीब विडंबना है अपने बच्चे की मौत का शोक भी नही मना सकता मैं क्योंकि बीवी को संभालना है। मर्द को कितना कुछ देखना होता है और ये जमाना उसे कितनी आसानी से पत्थर दिल बोल देता है । ये सोचते हुए रक्षित की आंखों में आंसू आ गए।

” सर जल्दी चलिए आपकी पत्नी किसी की नही सुन रही है! ” रक्षित जो बैठा बैठा ही नींद के आगोश मे चला गया अचानक नर्स की आगाज़ से उठा और स्वाति के कमरे की तरफ लपका।




” स्वाति क्या कर रही हो तुम जानती भी हो? ” बिस्तर से उठने की कोशिश करती स्वाति से रक्षित बोला।

” मुझे मेरे बच्चे के पास जाना है वो भूखा होगा! ” स्वाति चिल्लाई।

” देखो स्वाति तुम्हारा बच्चा अभी थोड़ी देर बाद तुम्हारे पास आ जाएगा तब तक तुम आराम करो! ” रक्षित के कुछ बोलने से पहले वहाँ डॉक्टर आई और बोली साथ ही उन्होंने स्वाति को एक इंजेक्शन दे दिया जिसके असर से स्वाति कुछ पलों मे सो गई।  डॉक्टर रक्षित को लेकर अपने केबिन मे आई।

” देखिये मिस्टर रक्षित स्वाति की हालत बहुत खराब है और अगर उसे पता लगा वो अपना बच्चा खो चुकी है तो मुझे डर है वो कोमा मे ना चली जाए! ” डॉक्टर बोली।

” ऐसा ना कहिये डॉक्टर बच्चे को खो चुका हूँ पत्नी को नही खोना चाहता! ” रक्षित रोते हुए बोला।

” मुझे आपकी पत्नी को ठीक करने का एक ही उपाय नजर आ रहा है अगर आप चाहे तो! ” डॉक्टर इतना बोल चुप हो गई।

” डॉक्टर आप कहना क्या चाहती हैं? ” रक्षित बोला।

” हमारे अस्पताल मे अभी एक एक्सीडेंट केस आया है जिसमे औरत साढ़े आठ माह की गर्भवती थी औरत की सास ससुर पति की मौत हो गई थी जबकि औरत का भी बचना नामुम्किन था हमने उस औरत की डिलिवरी करवाई ओपरेशन से पर!! ” डॉक्टर एक पल को रुकी।




” पर क्या डॉक्टर? ” रक्षित अधीरता से बोला।

” पर वो औरत एक बच्ची को जन्म दे चल बसी अब उस बच्ची का इस दुनिया मे कोई नही तो अगर आप चाहे तो!! ” डॉक्टर ने रक्षित की तरफ देखा।

” डॉक्टर कौन कहता है उस बच्ची का कोई नही है उसकी माँ,  दादी पिता सब है! ” तभी वहाँ उमा जी आकर बोली जो शायद कुछ अनहोनी के डर से बाहर खड़ी सारी बात सुन रही थी।

” माँ! ” रक्षित माँ की तरफ घुमा।

” हाँ बेटा हम उस बच्ची को गोद ले लेंगे स्वाति को उसका बच्चा मिल जाएगा, तुम्हे तुम्हारी पत्नी मिल जाएगी और मुझे मेरे गुनाह के बोझ से थोड़ी मुक्ति! ” उमा जी बोली।

” हाँ माँ ईश्वर ने शायद उस बच्ची को जिंदा हमारे लिए ही रखा हो… डॉक्टर आप हमे हमारी बच्ची से मिला दीजिये गोद लेने की प्रक्रिया हम बाद मे कर लेंगे अभी वो बच्ची मेरी पत्नी के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी! ” रक्षित खुश होते हुए बोला।

स्वाति जब नींद से जागी सामने रक्षित की गोद् मे उसकी बच्ची थी स्वाति के चेहरे पर मुस्कान आ गई।  रक्षित ने बच्ची स्वाति के बगल मे लिटा दी। स्वाति ने बच्ची को देखा और मुस्कुरा दी। रक्षित और उमा जी के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।

रक्षित ऊपर की तरफ देख मन ही मन बोला ” वाह भगवान क्या खेल रचाते हो अंधेरा करके जीवन मे उम्मीद की डोर भी खुद पकड़ाते हो । किसी की मौत किसी के लिए जीवनदायिनि बनाते हो सच मे तुम्हारी लीला कोई नहीं समझ सकता।”

उधर उमा जी सोच रही थी ” ईश्वर तुमने मुझे बेटे की नज़र मे गिरने से बचा लिया वरना स्वाति के बच्चे की मौत का गम मुझे ना जीने देता ना मरने !

दोस्तों हमें जिंदगी मौत के मामलों मे खुद हस्ताक्षेप नहीं करना चाहिए माना कुछ डॉक्टर गलत होते है पर सभी नहीं। यहाँ उमा जी और उनके परिवार की किस्मत अच्छी थी जो उन्हे बच्ची मिल गई वरना एक परिवार आज बिखर जाता और रक्षित तथा स्वाति की जिंदगी मे काश हमेशा को रह जाता।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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