करवाचौथ का व्रत – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शादी के बाद पहला करवाचौथ है आज समीरा का।

मैं क्यों रहूंगी  व्रत!रहेंगे तो दोनों रहेंगे नहीं तो कोई नही रहेगा….समीरा एकदम दृढ़ थी अपनी बात पर ।शादी से पहले भी और शादी के बाद भी।

मम्मी ये गलत बात है आप भूखी रहती हैं पापा के लिए पापा की लंबी उमर के लिए और पापा को देखो  सब कुछ खाते पीते रहते हैं अरे पापा को आपकी कोई परवाह नहीं है उनको आपकी लंबी उम्र की कोई ख्वाहिश ही नहीं है ये सब व्रत नियम पुरुषो और महिलाओं में भेदभाव पैदा करते हैं पुरुषो को ईश्वर तुल्य बताने के लिए बनाए गए है मैं बिल्कुल नही रहूंगी ये सब….समीरा की बात सुनकर मम्मी हंस देती थी बस। जानती थीं जेंडर समानता की कट्टर समर्थक बिटिया को  तर्क में कोई नहीं हरा सकता…।

कुछ बातें तर्क से नहीं दिल से समझी और निभाई जाती हैं मां यह जानती थीं।

शादी के बाद …जब सासू मां ने समीरा से करवाचौथ से एक हफ्ते पूर्व बड़े उत्साह से तैयारी करने के लिए कहा तो समीरा उन पर भी भड़क उठी थी”मम्मी जी देखिए आप रहती है इसका ये मतलब हरगिज नहीं है कि मैं भी इन ढकोसलों को मानूं जितने भी व्रत हैं बराबरी से पति पत्नी दोनों को रहने चाहिए आप  या परितोष  मुझ पर इन बातों के लिए कोई दबाव नहीं डालिए…”…बहू के साथ उसका पहला करवाचौथ मनाने की उत्साह पूर्ण प्रतिक्रिया के विपरीत तीखा प्रत्युत्तर सासू मां को ऐसा चुभा कि “सारा ज्ञान व्रत त्योहारों पर देना ही आता है..!!”परितोष को सुना कर उस दिन के बाद से उन्होंने समीरा से भूल कर भी करवाचौथ की चर्चा ही नही की और परितोष ने भी समीरा की बात सुन कर अनसुनी कर दिया था।

रिश्तों को जोड़ने या तोड़ने में इन्हीं छोटी छोटी बातों का बहुत बड़ा महत्व होता है …. परितोष समझ रहा था और घर में अनचाहे ही पैर पसारते मनमुटाव को भलीभांति अनुभव भी कर रहा था पर अभी बात बढ़ाने की बजाय वह खामोश ही रह गया था।

समीरा की मम्मी अपनी बेटी के तीखे तेवर जानती थीं और शादी के बाद  पड़ने वाले पहले त्योहार पर बेटी की नासमझी से ससुराल में कोई अप्रिय घटना घटित  ना हो इसीलिए उन्होंने करवाचौथ के दो दिनो पहले  समीरा को अपने पास मायके बुलवा लिया था यह कहकर कि हमारे यहां लड़की पहला करवाचौथ मायके में ही करती है।

समीरा व्रत ना रहने का मौका पाकर बहुत खुशी से मायकेआ  गई थी मां के पास । मां ने हमेशा की तरह आज भी व्रत रखा था पर समीरा से कुछ नही कहा सारी तैयारी इस बार खुद कर ली खाना बना कर समीरा को थाली भी परस कर दे दी पर पता नही क्यों समीरा चाहते हुए भी एक निवाला ना खा सकी ना ही चाय पानी पी सकी…काफी अनमनी सी थी.. मम्मी सब कुछ देख रही थीं पर ध्यान नहीं देने का बहाना कर रही थीं।

पूरा दिन यूं ही बीत गया शाम हुई और चांद निकलने का समय हो गया ….मां ने समीरा को भी अच्छे से तैयार होकर आने के लिए कहा  बेटा शादी के बाद का सुहाग का त्योहार है कम से कम अच्छे से तैयार होकर पूजा तो कर ही ले कह बुलाया पर वह बहुत उदास दिखी …क्यों दुखी है वह खुद नही समझ पा रही थी ….सब कुछ अपने मन का करने की स्वतंत्रता मिली है फिर भी कुछ नहीं कर पा रही थी..अंदर से कोई उत्साह ही नहीं आ रहा था….मां के जिद करने पर उनका मन रखने को उनकी  दी साड़ी और गहने पहन तो लिए पर मन बुझा बुझा सा ही था…पूजा की थाली सजा ही रही थी कि…

अचानक कार का परिचित हॉर्न सुनाई दिया …मां की आवाज अरे परितोष बाबू आये हैं समीरा आजा जल्दी देख समधीन भी आई है।

समीरा का दिल धड़क उठा चेहरे पर खुशी चमक उठी और गाल सहसा ही सिंदूरी हो गए….!

जी मम्मी मैने सोचा पहले करवाचौथ का चांद मैं अपने चांद के साथ ही देखूंगा और आपका आशीष भी ले लूंगा…. सजी धजी समीरा की तरफ शरारत से एकटक देखते हुए परितोष ने झुक कर अपनी सासू मां के पैर छू लिए ……!…

“चांद देखने की बेकली तो व्रत रहने वालों को होती है आपको क्यों.!!समीरा ने धीरे से कहा तो परितोष ने उसके एकदम नजदीक आकर आहिस्ता से कहा “मुझे भी अपने चांद की लंबी उम्र मांगना है ऊपर वाले चांद से… तुम्हारे व्रत से मेरी उम्र बढ़ेगी तो मेरे व्रत से तुम्हारी भी बढ़ेगी तभी तो हमारा साथ ताउम्र  बना रहेगा ….समीरा मेरा भी पहला करवाचौथ व्रत है आज  चांद दिखने पर ही तुम्हारे साथ खाना खाऊंगा सोच कर आया हूं ।

  हां समीरा आज परितोष ने भी सुबह से कुछ नही खाया है मैने सोचा समीरा पहला करवाचौथ अपने ससुराल में नहीं मना सकती तो क्या हुआ परितोष तो अपना पहला करवाचौथ अपनी ससुराल में मना ही सकता है इसीलिए यहां आ गए ….सासू मां की बात सुन समीरा ने परितोष की तरफ  आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता से देखते हुए सासू मां के  चरण स्पर्श किए तो सासू मां ने गदगद होकर उसे गले से लगा लिया…. सारा मन मुटाव दिलों के इस निष्कपट जुड़ाव में कहीं तिरोहित हो गया था।

तभी परितोष समीरा के हाथ की पूजा की थाली पकड़

चहक कर बोल उठा … लीजिए मेरा चांद तो निकल आया मेरा व्रत अब खत्म होता है ….चलिए आप लोगो का चांद भी देख लेता हूं ….।

परितोष के साथ चांद की पूजा अर्घ्य देते हुए समीरा का दिल  अनिवर्चनीय प्रसन्नता और अपने प्रति परितोष द्वारा प्रकट किए गए सम्मान से अभिभूत हो उठा था।

बात व्रत करने की नहीं थी एक पति द्वारा अपनी पत्नी के विचारों का सम्मान और समर्थन करने की थी ।

वास्तव में करवाचौथ तो पति पत्नी द्वारा परस्पर विचारों को समझने और सम्मान करने का ही व्रत संकल्प होता है …यही तो हर रिश्ते की आधार शिला है और  सबसे बड़ा गिफ्ट भी..।

लतिका श्रीवास्तव

# रिश्तों के बीच कई बार छोटी-छोटी बातें बड़ा रूप ले लेती है।

# बेटियाँ वाक्य कहानी प्रतियोगिता 

 

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