कांता बाई के केक की मिठास – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

लॉक डाउन के बाद कांता बाई का आज काम पर जाना हुआ। अंदर ही अंदर डर समाया हुआ था पता नहीं मालिक काम पर रखेंगे या नहीं।

लेकिन कांता बाई को देखकर कोठी वाली मेमसाब की खुशी देखते ही बन रही थी, वो भी थक चुकी थी रोज काम करते हुए, सोच रही थी

पता नहीं काम वाली काम पर लौटेगी भी या नहीं।  आज उन्होंने खाने में स्पेशल केक भी बनाया, बच्चे बहुत खुश हो गए।

रोजाना बच्चों की फरमाइश पूरी करने में मेमसाब को झुंझलाहट आने लगती थी, लेकिन आज वो कांता बाई के लिए भी चाय बना लाई।

घर जाते हुए मेमसाब ने बच्चों के लिए भी केक रख दिया। आज कांता बाई बहुत खुशी-खुशी घर आई और आते ही बाहर खेल रहे

अपने बेटे और बेटी को बुलाया, और बच्चों को हाथ धोने की कह कर, अपना थैली खोलने बैठ गई। दोनों बच्चे भूख से व्याकुल, कुछ खाने की आस में अंदर आए।

मां ने थैली में से एक पैकेट निकाला उसमें केक था। अपने बेटे को प्यार से दुलराते हुए मां ने उस डिब्बे को खोलकर बेटे को दिया

और बहुत लाड़ से कहा, मैम साहब ने घर में बनाया, स्पेशल। तुझे बहुत पसंद है ना चल खा ले, बेटी ने यह देखकर बाल सुलभ ललचाते हुए कहा,

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मां मुझे भी तो दो ना केक! कांता बाई ने झिड़क कर चुप कर दिया, तू यह सब खाकर बिगड़ जाएगी। छोरियों का चटोरापन सही नांय,

तोहे ससुराल जाना है कि नहीं, वहां रोटी के संग चटनी, सब्जी मिल जाए तो तेरे भाग जाग जाएंगे। तेरे काजे खानौ लाई हूं खा लै,

मां ने डांटते हुए थैली में से खाना निकाल कर, थाली में परोस कर बेटी को दे दिया। बेटी चुपचाप बैठकर बेमन से खाना खाने लगी,

वह मन ही मन रो रही थी, मां हमेशा भाई को ज्यादा महत्व क्यों देती है। बेटे से यह सब सहन नहीं हुआ वह खड़ा हुआ

और अपनी थाली में से आधा केक निकाल कर अपनी बहन की थाली में रख दिया। केक देखकर बहन का चेहरा खिल उठा

और मां भी चकित रह गई। केक खा तो बेटी रही थी लेकिन जीवन में पहली बार उसे तसल्ली हो रही थी बहन भाई के प्यार को देखकर।

केक की मिठास का स्वाद जीवन में मधुरता घोल रहा था। कांता बाई सोच रही थी, लॉक डाउन के बाद अभावों के बीच “स्नेह के बंधन” गहरे हो रहे हैं।

_ मनु वाशिष्ठ कोटा राजस्थान 

#स्नेह का बंधन

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