” देखो दिव्या ये सोनिया पता नहीं इतना सज धज कर कहां जा रही है ?” दिव्या अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी तब उसकी पड़ोसन मंजु उससे बोली।
” जा रही होगी किसी काम से या किसी फंक्शन में !” दिव्या लापरवाही से बोली।
” अरे ये तो अपने मिस्टर के बिना कहीं नहीं जाती फिर आज कैसे मुझे तो लगता है दाल में कुछ काला है !” मंजु बोली तो दिव्या मुस्कुरा दी।
दिव्या अपने परिवार के साथ चार महीने से यहां रह रही थी और इतना तो जान गई थी इस मोहल्ले में लोगों को अपने घरों से ज्यादा दूसरों के घरों और जिंदगी में झांकने की आदत है। मोहल्ले की बाकी औरतें भी एक दूसरे से किसी ना किसी के बारे में बात करती ही रहती। दिव्या इन सबके बीच से मुस्कुराते हुए अलग हो जाती।
” दिव्या तुम्हें पता है आज तुम्हारी सास ज्वेलर्स की दुकान पर गई थी ?” एक दिन दिव्या की एक पड़ोसन रीटा उसके ऑफिस से लौटने पर उससे बोली।
” नहीं पता पर होगा कोई काम !” दिव्या कंधे उचका कर बोली।
” अरे तुम्हें बताना चाहिए था ना जाने से पहले तुम्हें पूछना चाहिए उनसे क्या पता अपनी बेटी के लिए कोई गहना गढ़वाने गई हों !” रीटा बोली।
” मम्मी जी अगर खुद बताना चाहेंगी तो बता देंगी नहीं बताना होगा तो उनकी मर्जी !” दिव्या ने कहा।
” ऐसे कैसे यार कमाई तो तुम्हारे पति की है तो तुम्हे जानने का पूरा हक है तुम खुद पूछना अगर वो ना बताएं तो !” रीटा बोली।
” देखो रीटा मैं किसी की जिंदगी में ज्यादा दखल देना पसंद नहीं करती फिर चाहें वो मेरे पड़ोसी हो , रिश्तेदार या घरवाले और खुद भी अपनी जिंदगी में किसी का ज्यादा दखल बर्दाश्त नहीं करती। स्पेस हर रिश्ते में होना चाहिए वही मैं देती हूं ये तो सास है मैं पति को भी पूरा स्पेस देती हूं और वो मुझे। और हां रही मेरे पति की कमाई की बात वो पहले तो मम्मीजी के बेटे हैं मेरे पति तो बाद में हैं !” दिव्या मुस्कुरा कर बोली।
” मुझे क्या मैं तो तुम्हारे भले के लिए कह रही थी !” ये बोल पड़ोसन वहां से नौ दो ग्यारह हो गई और दिव्या अंदर आ गई।
” अरे दिव्या बेटा आ गई तू आज मैं सुनार के पास गई थी देख तो क्या लाई !” घर में घुसते ही दिव्या की सास कमला जी बोली।
” बहुत सुंदर इयर रिंग्स हैं मम्मी जी रिया दीदी ( दिव्या की ननद) पर बहुत सूट करेंगे !” दिव्या मुस्कुराते हुए बोली और अंदर आ गई। उसे पड़ोसन की कही बात एक बार को याद आई और वो सोचने लगी ” क्या मम्मीजी इसी तरह रिया दीदी के लिए चीजे बनवाती है !” …फिर उसने अपनी सोच को झटक दिया ” बनवाती भी है तो क्या हुआ बेटी है वो उनकी फिर मम्मी जी जब मुझसे सवाल जवाब नही करती तो मैं कैसे नही नही !
” दिव्या बेटा जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई !” अगली सुबह दिव्या को गिफ्ट देते हुए कमला जी बोलीं।
” मम्मी जी ये इयरिंग्स मेरे लिए थे ?” दिव्या आश्चर्य से बोली।
” और नहीं तो क्या रिया के लिए लाने होते तो तुझे साथ लेकर जाती या फिर तुझसे ही मंगवा लेती ये तो तेरे लिए थे कल तुझे इसलिए नही बताया की सरप्राईज कैसे रहता फिर !” कमला जी हंसते हुए बोली। दिव्या ने कमला जी के पैर छू आशीर्वाद लिया उन्होंने उसे गले से लगा लिया। तभी दिव्या के पति ने भी बाहर आ उसे विश किया।
दिव्या एक पल की अपनी सोच के लिए खुद से शर्मिंदा हो गई साथ ही उसे ये तसल्ली थी उसने खुद से ना पूछ अपनी सास की नजर में खुद को शर्मिंदा होने से बचा लिया। वैसे भी दिव्या के घर में सब एक दूसरे से खुद से बाते शेयर करते हैं और एक दूसरे के स्पेस का ख्याल रखते हैं इसलिए ही रिश्तों में प्यार और सम्मान है।
दोस्तों किसी की जिंदगी में दखल देकर हम उस रिश्ते को थोड़ा बेजार कर देते रिश्ता कोई भी हो थोड़ा स्पेस हर रिश्ता मांगता है तभी वो फलता फूलता है। ये मेरी सोच है और आपकी ??
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल